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बांग्लादेशी हिंदुओं को सता रहा मौत का डर, बताया हाल

जनता जनार्दन संवाददाता , Dec 24, 2025, 11:05 am IST
Keywords: Bangladeshi Hindus    बांग्लादेश में हिंदू   
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बांग्लादेशी हिंदुओं को सता रहा मौत का डर, बताया हाल

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के हालात फिलहाल बेहद डरावने और असुरक्षित बने हुए हैं. हालिया घटनाओं में देखा गया है कि कट्टरपंथी समूहों और चरमपंथी तत्वों के बढ़ते प्रभाव के कारण हिंदू समुदाय में भय और असुरक्षा का माहौल कायम हो गया है. देश के कुछ इलाकों में हिंसा की घटनाओं में तेजी आई है, जिससे अल्पसंख्यक अपने घरों और जीवन दोनों के लिए चिंतित हैं.

एक बांग्लादेशी हिंदू ने  इंटरव्यू में बताया कि वे अब अपने रोजमर्रा के जीवन में “चलती-फिरती लाश” जैसी स्थिति में जी रहे हैं. उनके अनुसार, अगर उनकी पहचान किसी चरमपंथी के हाथ लग गई तो उनकी जान को सीधा खतरा हो सकता है. यह भय पिछले कुछ हफ्तों में लगातार बढ़ रहा है, खासकर चटगांव और मैमनसिंह जैसे दूरदराज इलाकों में, जहां हिंसा के मामले लगातार सामने आ रहे हैं.

इस व्यक्ति ने बताया कि हाल ही में 20 दिसंबर को चटगांव में हिंदू समुदाय पर हमला हुआ. कट्टरपंथियों ने खुलेआम भड़काऊ बयानबाजी की और हिंसा की धमकियां दीं. आरोप है कि धमकी भरे पर्चों में यह लिखा गया था कि हिंदुओं को मारने और उनके घरों से भगाने की अनुमति दी गई है.

घरों में आग और लूटपाट

हिंसा का मुख्य निशाना गांव और दूरदराज के इलाके रहे हैं. कट्टरपंथियों ने कई घरों में आग लगा दी और मवेशी समेत अन्य सामान को नष्ट कर दिया. पीड़ित परिवारों को अपनी जान बचाने के लिए झाड़ियों और अज्ञात रास्तों से भागना पड़ा. घर जलाए जाने, लूटपाट और खुलेआम हिंसा की खबरों ने स्थानीय हिंदू समुदाय में खौफ और असुरक्षा की स्थिति पैदा कर दी है.

इस बांग्लादेशी हिंदू ने बताया कि महिलाओं और लड़कियों पर खतरा सबसे अधिक है. कई लड़कियों ने अपनी उच्च शिक्षा छोड़ दी है, और परिवार उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जल्दी शादी करने के लिए मजबूर कर रहे हैं. हिंसा के आरोपियों का स्थानीय राजनीतिक नेताओं से जुड़ाव होने का भी दावा किया गया है.

पुलिस और प्रशासन की भूमिका

पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया अक्सर पीड़ितों के पक्ष में नहीं रही. शिकायत करने पर पीड़ितों को उल्टा राजनीतिक दलों से जुड़ाव या अवामी लीग समर्थक होने का आरोप झेलना पड़ता है. स्थानीय प्रशासन और पुलिस कभी-कभी शिकायत दर्ज करने से मना कर देते हैं, जिससे अपराधी और अधिक हौसला पाते हैं.

हालिया मॉब लिंचिंग ने बढ़ाया खौफ

हिंसा का एक सबसे भयावह उदाहरण हाल ही में सामने आया जब फैक्ट्री मजदूर दीपू चंद्र दास को ईशनिंदा के आरोप में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला. आरोप यह था कि उसने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. फैक्ट्री अधिकारियों ने पुलिस को तुरंत सूचना देने की बजाय उसे सीधे भीड़ के हवाले कर दिया. हत्या के बाद भीड़ ने उसके शव को आग के हवाले कर दिया. बाद में जांच में अधिकारियों ने बताया कि ईशनिंदा के कोई सबूत नहीं मिले हैं. इस मामले में अब तक फैक्ट्री अधिकारियों समेत 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

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