ट्रांस फैट से 23% तक बढ़ जाता है दिल के रोगों का खतरा, हर साल मरते हैं 5 लाख से ज्यादा लोग

जनता जनार्दन संवाददाता , Jan 06, 2019, 18:19 pm IST
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ट्रांस फैट से 23% तक बढ़ जाता है दिल के रोगों का खतरा, हर साल मरते हैं 5 लाख से ज्यादा लोग तेल और घी में बने लगभग सभी फूड्स में ट्रांस फैट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। फ्रेंच फ्राइज, बर्गर, पिज्जा, केक, कुकीज, बिस्किट, क्रीम कैंडीज, डोनट्स और फास्ट फूड्स शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक होते हैं क्योंकि इनमें काफी मात्रा में ट्रांस फैट होता है। वहीं घर में बने आहार जैसे- पूड़ी, पराठा, भटूरे, सब्जियां या तली-भुनी चीजें खाते हैं, तो भी आपके शरीर में ट्रांस फैट जमा होता है। ये ट्रांस फैट दिल की बीमारियों की संभावना को 23% तक बढ़ा देते हैं। सबसे ज्यादा ट्रांस फैट वनस्पति तेलों और घी में पाया जाता है। ट्रांस फैट खाद्य पदार्थों के जरिए शरीर में पहुंचकर रक्त धमनियों के ब्लॉकेज का कारण बनता है।

एफएसएएसआई के मुताबिक फिलहाल तेल और घी में पांच फीसदी ट्रांस फैट है जो डॉक्टरों के अनुसार बहुत ज्यादा है। इसलिए एफएसएसआई कंपनियों से बात करके उनके सैंपल टेस्टिंग के लिए भेजने की तैयारी कर रही है। जिसके बाद ट्रांस फैट की लिमिट को कम करने पर फैसला हो सकता है। एफएसएसएआई ने देश को ट्रांस फैट से मुक्त कराने के लिए वर्ष 2022 तक का लक्ष्य निर्धारित किया है।

अक्सर किचन में तलने-छानने के बाद बचने वाले तेल को आप एहतियात से रख देती हैं, ताकि बाद में इसका इस्तेमाल किया जा सके। विशेषज्ञों के मुताबिक तेल को एक बार उबालने के बाद तीन बार से अधिक इस्तेमाल करना बीमारियों को न्यौता देने वाला साबित हो सकता है। जबकि खाद्य पदार्थ वाले ज्यादातर दुकानों में इस को लेकर लापरवाही की जाती है। वहीं खुला तेल बेचना भी एक गलत प्रक्रिया है। इनमें रसायनों की मात्रा अत्यधिक हो सकती है।

ट्रांस फैट से जो खाना बनता है वो स्वादिष्ट तो लगता है लेकिन बाद में उसका नुकसान बहुत है। ट्रांस फैट से बनी चीजें जल्दी हजम नहीं होतीं और पेट के हर पार्ट में जाकर फैट जमा हो जाता है। कोलेस्ट्रॉल तो बढ़ता ही है, लेकिन मोटापा, किडनी और दिल की बीमारी सबसे ज्यादा होती है। एक बार जल चुके तेल का दोबारा इस्तेमाल करना इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि इससे बैड कोलेस्ट्रॉल तेजी से बढ़ता है और दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा  एसिडिटी, अल्जाइमर और पार्किसंस समेत तमाम बीमारियों की आशंका बनी रहती है। दरअसल फ्री रेडिकल्स हमारी कोशिकाओं के लिए दुश्मन हैं, जिनकी शरीर में ज्यादा मात्रा कई तरह के रोगों का कारण बनती है।


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