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मिट्टी के चूल्हे, आम की लकड़ी, गुड़ और चावल की खीर... जानें खरना का प्रसाद और व्रत की खास परंपरा

जनता जनार्दन संवाददाता , Oct 25, 2025, 16:21 pm IST
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मिट्टी के चूल्हे, आम की लकड़ी, गुड़ और चावल की खीर... जानें खरना का प्रसाद और व्रत की खास परंपरा

 छठ महापर्व, जो भारत और नेपाल में श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, अपने चार दिन के उत्सव में भक्तों के लिए कई महत्वपूर्ण अनुष्ठान लेकर आता है. इनमें से दूसरे दिन का ‘खरना’ विशेष रूप से अहम माना जाता है. इस दिन छठी मैया का स्वागत होता है और व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू करते हैं.

छठ पर्व के दूसरे दिन यानी रविवार को नहाय-खाय के बाद व्रती खरना का प्रसाद ग्रहण करती हैं. इस दिन शाम को गुड़ और चावल की खीर के साथ गेहूं की रोटी या पूड़ी बनाई जाती है और छठी मैया को भोग लगाया जाता है. इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद ही व्रती निर्जला व्रत रखते हैं और अगले दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देते हैं.


खरना के दिन प्रसाद बनाना एक पवित्र परंपरा है. इसे शाम के समय मिट्टी के नए चूल्हे पर बनाया जाता है. परंपरा के अनुसार, आम की लकड़ी से चूल्हे पर आग जलाई जाती है और उसी पर गुड़ और चावल की खीर पकाई जाती है. साथ ही गेहूं के आटे की रोटी या पूड़ी तैयार की जाती है.

व्रती इस प्रसाद को ग्रहण कर अपनी भक्ति का आरंभ करते हैं. माना जाता है कि इस प्रसाद को ग्रहण करने से शरीर और मन दोनों को शक्ति मिलती है और उपवास को पूरा करना आसान होता है.

  • खरना पूजा के दौरान घर में शांति बनाए रखना जरूरी है.
  • तेज आवाज, शोर-शराबा या कोई अनावश्यक गतिविधि व्रत में बाधा डाल सकती है.
  • प्रसाद ग्रहण करते समय पूरी श्रद्धा और ध्यान के साथ आहार लें.
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