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भारत ने मालदीव को दिया 4850 करोड़ का कर्ज, फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर हुई बातचीत
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Jul 25, 2025, 19:08 pm IST
Keywords: भारत मालदीव दक्षिण एशियाई भू-राजनीति रणनीतिक निवेश pm modi
![]() प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दो दिवसीय मालदीव दौरा न सिर्फ दक्षिण एशियाई भू-राजनीति के लिहाज से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह यात्रा भारत-मालदीव संबंधों में एक नई ऊर्जा और रणनीतिक स्थिरता का संकेत भी देती है. प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के विशेष निमंत्रण पर हुआ है. दिलचस्प बात यह रही कि माले एयरपोर्ट पर खुद राष्ट्रपति मुइज्जू ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और दोनों नेताओं के बीच सार्वजनिक तौर पर सौहार्दपूर्ण संवाद देखने को मिला. ₹4850 करोड़ की मदद और रणनीतिक निवेश दौरे की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक रही भारत द्वारा मालदीव को ₹4850 करोड़ की लाइन ऑफ क्रेडिट देना. यह आर्थिक सहायता न केवल मालदीव की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में सहायक होगी, बल्कि इससे भारत-मालदीव के बीच विकास आधारित सहयोग और भी गहरा होगा. इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मुइज्जू के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को लेकर सकारात्मक चर्चा हुई. आने वाले महीनों में इस पर ठोस प्रगति की उम्मीद है, जिससे दोनों देशों के व्यापार संबंधों को नया विस्तार मिलेगा. 60 साल की दोस्ती का जश्न: स्मारक डाक टिकट जारी भारत और मालदीव के बीच राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक विशेष स्मारक डाक टिकट भी जारी किया गया. यह कदम दोनों देशों के लंबे और ऐतिहासिक संबंधों को दर्शाता है, जिनमें क्षेत्रीय सुरक्षा, संस्कृति, व्यापार और शिक्षा जैसे कई आयाम जुड़े हुए हैं. समुदाय विकास के 6 प्रोजेक्ट्स की शुरुआत भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति के तहत मालदीव में छह नए कम्युनिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की गई. इनमें स्वास्थ्य, शिक्षा, जल प्रबंधन और डिजिटल सेवा जैसे क्षेत्र शामिल हैं. ये प्रोजेक्ट्स सीधे तौर पर मालदीव के आम नागरिकों को लाभ पहुंचाएंगे और भारत की "सहयोग के साथ विकास" की नीति को धरातल पर उतारेंगे. भारत-मालदीव कूटनीति और सुरक्षा का नया अध्याय इस यात्रा के दौरान रक्षा और रणनीतिक साझेदारी को लेकर कई अहम समझौते (MoU) भी हुए. भारत ने INS जटायु जैसे रणनीतिक ठिकानों के विकास के लिए अपना समर्थन दोहराया और समुद्री निगरानी, आतंकवाद विरोधी अभियानों और साझा गश्त जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और विस्तार देने पर सहमति जताई. यह मालदीव की चीन के साथ बढ़ती निकटता के मद्देनजर भारत की सधी हुई रणनीति का हिस्सा है. हिंद महासागर में भारत की बढ़ती मौजूदगी एक बार फिर स्पष्ट हुई है. पीएम मोदी का संदेश: "भारत हमेशा साथ खड़ा है" मोदी ने अपने संबोधन में कहा, "भारत को मालदीव का सबसे विश्वसनीय मित्र होने पर गर्व है. चाहे महामारी हो, आपदा हो या अर्थव्यवस्था का संकट—भारत हमेशा मालदीव के साथ खड़ा रहा है. हमारा पड़ोसी पहले का सिद्धांत और SAGAR (Security and Growth for All in the Region) का विजन, मालदीव को विशेष स्थान देता है." स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल प्रधानमंत्री मोदी 26 जुलाई को मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करेंगे. यह राष्ट्रपति मुइज्जू के कार्यकाल में किसी विदेशी नेता की पहली औपचारिक यात्रा है, जो दोनों देशों के रिश्तों की अहमियत को रेखांकित करता है. पिछले तनाव भरे वर्षों से आज के सौहार्द तक 2022 और 2023 में भारत-मालदीव संबंधों में काफी तनाव देखा गया. राष्ट्रपति मुइज्जू के चुनाव अभियान में 'इंडिया आउट' जैसे नारों ने भारतीय नीति निर्माताओं को चिंतित कर दिया था. जनवरी 2024 में मालदीव के कुछ मंत्रियों द्वारा पीएम मोदी और लक्षद्वीप यात्रा को लेकर की गई अपमानजनक टिप्पणियों के बाद भारत में ‘बायकॉट मालदीव’ अभियान तेज हो गया. हालांकि, उसी वर्ष अक्टूबर में मुइज्जू की भारत यात्रा और 750 मिलियन डॉलर की करेंसी स्वैप डील के बाद रिश्तों में बर्फ पिघलने लगी. मई 2025 में भारत ने 50 मिलियन डॉलर के ट्रेजरी बिल को रोल ओवर कर मालदीव को फिर आर्थिक राहत दी. UPI से लेकर डिजिटल सहयोग तक साझेदारी दोनों देशों ने डिजिटल भुगतान व्यवस्था (UPI) को मालदीव में लागू करने और साझा उपयोग के लिए तैयार करने पर बातचीत की है. इससे पर्यटक, व्यवसायी और आम नागरिक आसानी से डिजिटल लेन-देन कर पाएंगे. इसी के साथ नवीकरणीय ऊर्जा, मछली पालन और समुद्री परिवहन के क्षेत्रों में भी सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमति बनी. भारत की रणनीति: चीन के प्रभाव का संतुलन मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू चीन के काफी करीब माने जाते हैं. 2024 में उनकी बीजिंग यात्रा के दौरान उन्होंने "मालदीव छोटा देश हो सकता है, लेकिन धमकाया नहीं जा सकता" जैसे बयान दिए थे. उन्होंने भारतीय सैनिकों की उपस्थिति पर सवाल उठाए और मई 2024 तक उन्हें हटाने की मांग की थी. भारत ने इस पर कूटनीतिक रूप से प्रतिक्रिया दी और सैनिकों की जगह तकनीकी विशेषज्ञ भेजे, जिससे उपस्थिति भी बनी रही और टकराव भी टला. |
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