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क्या तीसरे विश्व युद्ध की कगार पर पहुंची दुनिया?
जनता जनार्दन संवाददाता ,
May 24, 2025, 16:39 pm IST
Keywords: World War International Third World War भारत-पाकिस्तान रूस-यूक्रेन इजरायल-हमास अमेरिका-ईरान
![]() नई दिल्लीः 21वीं सदी को अगर अब तक की सबसे अधिक तकनीकी प्रगति और वैश्विक कनेक्टिविटी की सदी माना गया है, तो इसे सत्ता संघर्ष, धार्मिक कट्टरता, और भू-राजनीतिक जटिलताओं की सदी भी कहा जा सकता है. पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में युद्ध, टकराव और सैन्य गतिविधियों में वृद्धि हुई है, उससे यह सवाल लगातार गहराता जा रहा है — क्या दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रही है? वर्तमान समय में चार प्रमुख संघर्ष वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता को सबसे ज़्यादा प्रभावित कर रहे हैं — भारत-पाकिस्तान, रूस-यूक्रेन, इज़रायल-हमास, और अमेरिका-ईरान. आइए इन चारों पर विस्तार से चर्चा करें: भारत-पाकिस्तान: फिर गर्म हुआ नियंत्रण रेखा का इलाका भारत और पाकिस्तान के संबंध शुरू से ही तनावपूर्ण रहे हैं, लेकिन हाल के दिनों में ऑपरेशन सिंदूर और जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले के बाद यह टकराव खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है. 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों की जान गई, ने भारत को सख्त कार्रवाई करने पर मजबूर कर दिया. भारत ने इसके जवाब में 6 और 7 मई की रात "ऑपरेशन सिंदूर" चलाया और पाकिस्तान के कई एयरबेस और सैन्य ठिकानों को ब्रह्मोस मिसाइलों से निशाना बनाया. पाकिस्तान की ओर से तुर्की और चीन से लिए गए हथियारों और ड्रोन के जरिए भारत पर हमले की कोशिशें हुईं, लेकिन भारतीय डिफेंस सिस्टम ने सभी प्रयासों को नाकाम कर दिया. पाकिस्तान की बौखलाहट यह दिखाती है कि भारत अब आतंकी हमलों का जवाब सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि सटीक सैन्य कार्रवाई से देने की नीति पर चल रहा है. रूस-यूक्रेन युद्ध: दो साल और कोई अंत नहीं रूस और यूक्रेन के बीच 2022 से जारी युद्ध ने सिर्फ इन दो देशों को नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित किया है. इस युद्ध में लाखों लोग जान गंवा चुके हैं, करोड़ों विस्थापित हो चुके हैं, और यूरोपीय महाद्वीप की अर्थव्यवस्था चरमराने की कगार पर है. यूक्रेन को अमेरिका और NATO देशों से भारी सैन्य मदद मिल रही है, जबकि रूस लगातार पश्चिमी देशों पर “प्रॉक्सी वॉर” का आरोप लगा रहा है. पुतिन ने कई बार परमाणु हथियारों की धमकी दी है, जिससे यह युद्ध वैश्विक परमाणु संघर्ष में बदलने की आशंका को और बढ़ा देता है. इस युद्ध का सबसे खतरनाक पक्ष यह है कि इसमें सिर्फ दो देश नहीं, बल्कि पूरी पूर्व और पश्चिमी विश्व शक्तियां शामिल हैं — एक ऐसी स्थिति जो किसी भी वक्त तीसरे विश्व युद्ध में तब्दील हो सकती है. इजरायल-हमास संघर्ष: गाजा पट्टी बनी रणभूमि 2023 में शुरू हुआ इजरायल और हमास के बीच संघर्ष अब तक थमा नहीं है. हमास द्वारा शुरू किए गए हमलों के जवाब में इज़रायल ने गाजा में भीषण सैन्य कार्रवाई की, जिसमें हजारों लोगों की जान गई. इस संघर्ष में सबसे बड़ी चिंता की बात है — सिविलियन कैजुअल्टी, मानवाधिकार हनन और धार्मिक विभाजन का बढ़ना. ईरान समेत कई इस्लामिक देश हमास के समर्थन में सामने आ रहे हैं, जबकि अमेरिका और पश्चिमी देश इज़रायल का समर्थन कर रहे हैं. इससे यह क्षेत्र एक धार्मिक और राजनीतिक संघर्ष का अखाड़ा बन चुका है. मध्य पूर्व की जटिलताएं ऐतिहासिक रूप से हमेशा विश्व युद्धों की जड़ रही हैं — और आज भी वही डर दोहराया जा रहा है. अमेरिका-ईरान: बढ़ते तनाव और टकराव की आशंका ईरान और अमेरिका के रिश्तों में लंबे समय से तनातनी रही है, लेकिन हाल के दिनों में यह टकराव और तीव्र हो गया है. ईरान का परमाणु कार्यक्रम, क्षेत्रीय विस्तारवादी नीति और इज़रायल-हमास संघर्ष में उसकी भूमिका ने अमेरिका को सतर्क कर दिया है. अमेरिका ने मध्य पूर्व में सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी है और कई बार ईरान के ठिकानों को निशाना भी बनाया है. बदले में ईरान समर्थित मिलिशिया ग्रुप्स ने अमेरिकी ठिकानों पर हमले किए हैं. स्थिति इस कदर संवेदनशील हो चुकी है कि अगर एक और हमला होता है, तो यह टकराव सीधा युद्ध में बदल सकता है. दुनिया भर में फैले अन्य छोटे-छोटे संघर्ष इन चार बड़े टकरावों के अतिरिक्त भी दुनिया के अन्य हिस्सों में भी कई संकट उभर रहे हैं. चीन और ताइवान के बीच बढ़ता तनाव, उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण और दक्षिण कोरिया के साथ उसका शत्रुतापूर्ण रवैया, अर्मेनिया-अज़रबैजान का लगातार जारी संघर्ष, और अफ्रीकी देशों में जातीय हिंसा — ये सभी संकेत दे रहे हैं कि दुनिया में शांति सिर्फ दिखावा भर बनकर रह गई है. हर महाद्वीप में कोई न कोई टकराव जन्म ले रहा है, और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इन पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रही हैं. इस स्थिति में सवाल यह उठता है कि क्या तीसरे विश्व युद्ध को टाला जा सकता है? इसका उत्तर है — हां, लेकिन इसके लिए दुनिया को तुरंत, सामूहिक और ठोस कदम उठाने होंगे. सबसे पहले, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं जैसे संयुक्त राष्ट्र को केवल निंदा प्रस्ताव पारित करने से आगे बढ़कर सक्रिय भूमिका निभानी होगी. दूसरे, विश्व शक्तियों को हथियारों की होड़ से बाहर निकलकर संवाद और कूटनीति को प्राथमिकता देनी होगी. तीसरे, वैश्विक नेतृत्व को यह समझना होगा कि आधुनिक युद्ध केवल सैनिकों की लड़ाई नहीं, बल्कि इंसानियत के खिलाफ एक अपराध बन चुका है — जिसमें आम नागरिकों की जान सबसे ज़्यादा जाती है. आज की दुनिया आर्थिक रूप से जुड़ी हुई है, लेकिन राजनीतिक रूप से बंटी हुई है. इस विभाजन को अगर समय रहते न रोका गया, तो अगला युद्ध शायद कोई विजेता नहीं छोड़ेगा. यह महायुद्ध एक ऐसा संकट ला सकता है जो न केवल शहरों को मिटा देगा, बल्कि पूरी सभ्यताओं को पीछे धकेल देगा. |
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