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पहलगाम हमले पर प्रत्यक्षदर्शियों का आखों देखा हाल
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Apr 23, 2025, 7:16 am IST
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![]() पहलगाम में मंगलवार की सुबह, दक्षिण कश्मीर की हसीन वादियों में बसे बैसारन घाटी में सब कुछ सामान्य लग रहा था. चारों ओर हरियाली, ठंडी हवा और दूर-दूर तक फैले टट्टुओं की टापों की आवाज़. पर्यटक, जो प्रकृति की गोद में सुकून तलाश रहे थे, यह नहीं जानते थे कि कुछ ही पलों में इस शांत माहौल को गोलियों की गूंज चीर देगी. दोपहर को बढ़ी पर्यटकों की भीड़ बैसारन, जो पहलगाम से लगभग 6.5 किलोमीटर दूर स्थित है, एक ऐसा स्थल है जहां सिर्फ पैदल या टट्टू के सहारे ही पहुंचा जा सकता है. इस कठिन लेकिन खूबसूरत सफर पर लगभग 1000 से 1500 सैलानी मौजूद थे. दोपहर की ओर बढ़ते दिन के साथ पर्यटकों की संख्या भी बढ़ रही थी. तभी, एक झटके में सब कुछ बदल गया. झाड़ियों से निकले आतंकी, और दहशत का खेल शुरू हुआ प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कुछ अज्ञात हमलावर वर्दी में जंगलों से निकलकर मैदान की ओर आए. उन्होंने पहले नाम पूछना शुरू किया, जिससे भ्रम की स्थिति बनी—लोग उन्हें सुरक्षाकर्मी समझ बैठे. लेकिन अगले ही पल उन पर गोलियां बरसने लगीं. एक महिला पर्यटक ने बताया "उन्होंने हमारा नाम पूछा और कुछ कहने से पहले ही नजदीक से गोली मार दी. महिलाएं डर के मारे चिल्लाने लगीं, लेकिन उन्हें छोड़ दिया गया. पुरुषों को निशाना बनाया गया." “ऐसा लगा जैसे वक्त थम गया हो” हमले के दौरान कुछ पर्यटक जान बचाकर पास के टेंट्स में भागे, लेकिन आतंकियों की नज़रें वहां भी पहुंच गईं. एक पर्यटक ने बताया कि उन्होंने एक व्यक्ति को टेंट से बाहर निकाला और फिर गोली मार दी. इस पूरी घटना के दौरान हमलावर लगभग 20 मिनट तक इलाके में बेखौफ घूमते रहे. पुलिस का कहना है कि आतंकी पूरी तैयारी के साथ आए थे और उन्होंने बड़े आराम से हमला किया. घने जंगल, सीमित रास्ते और संचार की कठिनाई ने सुरक्षा व्यवस्था को प्रभावित किया. स्थानीय लोगों और गाइड्स ने निभाई मानवता की भूमिका घायलों की मदद के लिए सबसे पहले स्थानीय दुकानदार और गाइड्स आगे आए. उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना टट्टुओं पर लादकर घायलों को पहलगाम तक पहुंचाया. एक चश्मदीद के अनुसार, "हमने पुलिस को खबर की, लेकिन जब तक वे पहुंचे, आतंकी जा चुके थे." “सोचा था सेना का अभ्यास चल रहा है...” कर्नाटक निवासी पल्लवी राव के पति को सिर में गोली लगी. उनके एक रिश्तेदार ने बताया कि उन्हें पहले लगा कि यह सेना का कोई अभ्यास है, लेकिन बहुत देर नहीं लगी यह समझने में कि ये असली गोलियां थीं. फिर से टूटा सुकून, फिर जागी सुरक्षा एजेंसियां कश्मीर की घाटियों में एक बार फिर खामोशी को खून में बदलने की कोशिश की गई है. घटनास्थल को सुरक्षा बलों ने घेर लिया है और तलाशी अभियान चल रहा है. इस बर्बर हमले ने सिर्फ जिंदगियां नहीं छीनीं, बल्कि एक बार फिर इस स्वर्ग सरीखी धरती को भय के साए में ढकेल दिया है. |
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