Chandauli News: किसानों को उनका हक दिलवाने के लिए मंडी समिति पहुँचे पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू

जनता जनार्दन संवाददाता , Oct 06, 2023, 17:43 pm IST
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Chandauli News: किसानों को उनका हक दिलवाने के लिए मंडी समिति पहुँचे पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू
चंदौली: समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू बहुप्रतिष्ठित काला धान के मुद्दे पर शुक्रवार को मुखर नजर आए। इस दौरान उन्होंने किसानों के साथ नवीन मंडी समिति में बैठक की और उनकी समस्याओं को एक-एक कर सुना। साथ ही उन्होंने काला धान समिति के महासचिव वीरेंद्र सिंह से काला धान के सापेक्ष किसानों को होने वाले भुगतान में आ रही दिक्कतों को जाना। इस दौरान किसानों से जानकारी मिली कि नवीन मंडी के गोदाम में रखे 1200 कुंतल धान में से करीब 400 कुंतल धान की बिक्री किसानों को बिना सूचना के ही कर दिया। बावजूद इसके अभी तक किसी भी किसान को एक फुटी कौड़ी नसीब नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने किसानों की समस्याओं से संबंधित एक मांग पत्र तैयार कराकर एसडीएम सदर दिग्विजय प्रताप को फोन करके अवगत कराया.
 
इस दौरान मनोज सिंह डब्लू ने कहा कि काला धान की पहचान को जिला प्रशासन, शासन ने चंदौली पहचान से जोड़कर इसे देश ही नहीं विश्व पटल पर ख्याति प्राप्त कराने का काम किया।एक जनपद, एक उत्पाद योजना के तहत जिले के अधिकारियों ने चंदौली के किसानों को प्रेरित करके इसकी खेती को अपनाने का आह्वान किया था। अफसरों का यह तर्क था कि इसकी खेती अपनाने से किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिलेगी.
 
इन्हीं उम्मीदों व आकांक्षाओं के साथ आकांक्षी जनपद चंदौली के किसानों ने काला धान की खेती की। दुर्भाग्यपूर्ण यह कि काला धान की फसल सिवान से कटकर खलिहान तो पहुंची, लेकिन बड़े-बड़े दावों के विपरीत जिला प्रशासन व शासन ने इसकी खरीद करने में हाथ खड़े कर दिए। लम्बे समय तक 1200 कुंतल काला धान मंडी के गोदाम में पड़ा रहा। हाल फिलहाल यह सूचना मिल रही है कि उसमें से 400 कुंतल धान को बेच दिया गया है, लेकिन किसानों को एक पैसे का भुगतान नहीं हुआ। लिहाजा एक सप्ताह के अंदर एक रेसियो निर्धारित कर किसानों का भुगतान किया जाए। साथ ही जो काला धान बेचने से रह गया है उसे एक माह के अंदर खरीद करना सुनिश्चित किया जाए.
 
मांग किया कि काला धान को सामान्य धान की तरह क्रय केन्द्रों के जरिए खरीद की जाए। साथ ही किसानों के धान की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित की जाए और उसका कड़ाई के साथ पालन हो, क्योंकि मामला अन्नदाताओं से जुड़ा है.
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