नवीन कृष्ण राय ने उप-पुलिस अधीक्षकों को जीवन प्रबंधन का ट्रेनिंग दिया 

जनता जनार्दन संवाददाता , Jan 11, 2023, 15:21 pm IST
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नवीन कृष्ण राय ने उप-पुलिस अधीक्षकों को जीवन प्रबंधन का ट्रेनिंग दिया 
टीम के सदस्यों के बेहतर प्रबंधन के लिए व्यवहारिक और निर्णय लेने के कौशल पुलिस अधिकारियों के दैनिक जीवन, विशेष परियोजनाओं और विभिन्न ऑपरेशनो के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये कौशल उन्हें एक विविध और मजबूत टास्क फोर्स को इकट्ठा करने, उसका नेतृत्व करने और उसे सशक्त बनाने में मदद करते हैं।

मध्य प्रदेश पुलिस अकादमी, भौरी, भोपाल ने उप-पुलिस अधीक्षकों के लोक प्रबंधन कौशल को तराशने और बेहतर करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए "जीवन प्रबंधन” विषय पर एक प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया। यह सत्र 42-ए बैच के उप-पुलिस अधीक्षकों के इंडक्शन ट्रेनिंग प्रोग्राम का एक हिस्सा था। उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर के रहने वाले नवीन कृष्ण राय (मैनेजर, गवर्न्मेंट अफ़ेयर्स, आईआईएम इंदौर) ने इस सत्र को संबोद्धित किया।

सत्र में अधिकारियों को शक्ति, अधिकार और प्रभाव के बीच के अंतर से परिचित कराया गया और विभिन्न प्रकार के प्रबंधन सिद्धांतों और मॉडलों के माध्यम से लोक प्रबंधन के बारे में बताया गया। लोगों के निर्णय लेने के बारे में बात करते हुए कि लोगों को बेहतर ढंग से समझने की अंतर्निहित अनिवार्यता पर विचार-विमर्श किया गया। इस दौरान उन्हें बताया गया है कि लोग हमेशा तर्कसंगत व्यवहार नहीं करते हैं और वे पूर्वाग्रह रखते हैं। प्रास्पेक्ट सिद्धांत की मदद से प्रतिभागियों को बताया गया कि लोग लाभ और हानि को अलग-अलग महत्व देते हैं। समान मूल्य के लाभ और हानि होने की स्थिति में, कोई भी व्यक्ति उस लाभ से मिलने वाली ख़ुशी को उसी मूल्य के हानि से होने वाली पीड़ा की तुलना में से कम आंकता है। उसे उस पीड़ा का अहसास ज़्यादा होता है। 

पूर्वाग्रहों के बारे में विस्तार से बात करते हुए, सूडो-सरटेनिटी प्रभाव पर चर्चा करते हुए बताया गया कि समान मूल्य के लाभ को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति ज़्यादा जेखिम वाला विकल्प नहीं चुनता है जबकि उसी मूल्य के नुक़सान से बचने के लिए वह तुलनात्मक ज़्यादा जोखिम वाला विकल्प चुन लेता है। इन पूर्वाग्रहों को दूर करने के लिए प्रतिभागियों को सलाह दी गई कि उन्हें पहले यह स्वीकार करना होगा कि उनके अंदर भी पूर्वाग्रह मौजूद हैं। उसके बाद फिर उन्हें दूसरों से फ़ीड्बैक मांगना चाहिए और उस पैटर्न की तलाश करना चाहिए कि उन्होंने पूर्व परिस्थितियों को कैसे देखा है और किन परिस्थितियों में वे बेहतर निर्णय ले सकते थे। ओवरटोन विंडो और ब्रिज एक्स्पेरिमेंट जैसे महतवपूर्ण कॉन्सेप्ट के माध्यम से संगठन के बाहर के लोगों के बेहतर प्रबंधन करने के तरीक़ों पर भी चर्चा हुई।
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