गुरु नानक देव की 551वीं जयंतीः ऐसे थे बाबाजी, भारतीय श्रद्धालु पाकिस्तान पहुंचे

जनता जनार्दन संवाददाता , Nov 29, 2020, 11:26 am IST
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गुरु नानक देव की 551वीं जयंतीः  ऐसे थे बाबाजी, भारतीय श्रद्धालु पाकिस्तान पहुंचे नई दिल्लीः  गुरु नानक देव की 551वीं जयंती की सारी तैयारियां हो गई हैं. दुनिया भर में सिख समुदाय का उत्साह देखने लायक है. भारत से ननकाना साहिब में होने वाले उत्सव में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को वाघा बॉर्डर के जरिए 600 से ज्यादा भारतीय सिख श्रद्धालु यहां पहुंचे.

हमें यह जानना चाहिए कि ननकाना साहिब सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की जन्म स्थली है. गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा के दिन हुआ था. हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन नानक देव जी की जयंती मनाई जाती है.

गुरु नानक देव के पिता का नाम मेहता कालू और माता का नाम तृप्ता देवी था. नानक देव जी की बहन का नाम नानकी था. इससे संबंधित मुख्य कार्यक्रम पंजाब प्रांत के गुरुद्वारा जन्मस्थान ननकाना साहिब में 30 नवंबर को आयोजित किया जाएगा.

गुरु नानक के बचपन के समय में कई चमत्कारिक घटनाएं घटी जिन्हें देखकर गांव के लोग इन्हें दिव्य व्यक्तित्व वाले मानने लगे. ‘इवेक्यूइ ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड’ के प्रवक्ता आसिफ हाशमी ने पीटीआई को बताया, ‘‘आज यहां वाघा बॉर्डर के जरिए 602 भारतीय सिख श्रद्धालु बाबा गुरु नानक की 551वीं जयंती का उत्सव मनाने के लिए ननकाना साहिब पहुंचे हैं.’’

गुरु नानक देव जी कहते थे कि ईश्वर एक है उसकी उपासना हिंदू मुसलमान दोनों के लिए हैं. मूर्तिपूजा, बहुदेवोपासना को नानक जी अनावश्यक कहते थे. हिंदु और मुसलमान दोनों पर इनके मत का प्रभाव पड़ता था. गुरु नानक जी का कहना था कि ईश्वर मनुष्य के हृदय में बसता है, अगर हृदय में निर्दयता, नफरत, निंदा, क्रोध आदि विकार हैं तो ऐसे मैले हृदय में परमात्मा बैठने के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं.

भारतीय श्रद्धालु 10 दिनों की यात्रा के दौरान प्रांत के अन्य गुरुद्वारों के भी दर्शन करेंगे. गुरु नानक जीवन के अंतिम चरण में करतारपुर बस गए. उन्होंने 25 सितंबर, 1539 को अपना शरीर त्याग दिया. मृत्यु से पहले उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया जो बाद में गुरु अंगद देव के नाम से जाने गए.

भारतीय उच्चायोग के दो सदस्य आर बी सोहरन और संतोष कुमार श्रद्धालुओं का स्वागत करने के लिए इस्लामाबाद से वाघा पहुंचे थे.
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