उत्तर-दक्षिण में सियासी संतुलन के लिए एम वेंकैया नायडू एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार

उत्तर-दक्षिण में सियासी संतुलन के लिए एम वेंकैया नायडू एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार नई दिल्ली: भाजपा के वरिष्ठ नेता एम वेंकैया नायडू एनडीए की तरफ से अगले उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार होंगे। भाजपा संसदीय बोर्ड ने विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी के सामने नायडू को मैदान में उतारने का फैसला किया है। वे आज मंगलवार को अपना पर्चा भरेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नायडू को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुने जाने के बाद उनके लिए तेलुगू के शब्द ‘गारू’ का इस्तेमाल किया जो किसी को सम्मान देने के लिए बोला जाता है।

मोदी ने ट्वीट कर लिखा, ‘किसान के पुत्र. एम वेंकैया नायडू गारू सार्वजनिक जीवन में वर्षों का अनुभव रखते हैं और हर राजनीतिक वर्ग में सराहे जाते हैं।' इसके बाद पीएम मोदी ने एक और ट्वीट कर नायडू को उपराष्ट्रपति पद के लिए सबसे योग्य उम्मीदवार बताया।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने बताया कि वे नायडू के लिए खुश हैं और उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए उनसे बेहतर और कोई नहीं हो सकता था।

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बधाई देते हुए कहा कि वेंकैया सिर्फ राजनीतिज्ञ ही नहीं बल्कि सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं।

वेंकैया नायडू ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। नायडू के जिम्मे आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय की कमान थी।

वेंकैया का चुनाव रणनीतिक रूप सबसे ज्यादा मुफीद था। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं।

पिछले तीन सालों में उच्च सदन में विपक्ष के असहयोग के कारण परेशानी झेल रही सरकार को ऐसे कुशल प्रशासक की जरूरत थी जो सदन चला सकें। खासकर तब जबकि सदन में विपक्ष का संख्याबल ज्यादा हो।

नायडू वर्तमान में चौथी बार राज्यसभा सदस्य हैं। उनके अनुभव और विपक्ष से संबंधों के आधार पर माना जा रहा है कि वह सामंजस्य बिठाने में कामयाब रहेंगे।

 दक्षिण में विस्तार पर नजर

-वेंकैया को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार चुनने का एक बड़ा कारण दक्षिण में भाजपा के राजनीतिक विस्तार को भी माना जा रहा है।

-दक्षिण में भाजपा काफी प्रयासों के बावजूद कर्नाटक से आगे नहीं बढ़ पाई है। उसकी नजरें तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु पर भी हैं।

-आंध्र प्रदेश में फिलहाल भाजपा तेदेपा सरकार में शामिल है। लेकिन, विस्तार के लिहाज से आंध्र को अलग नहीं छोड़ा जा सकता।

-उत्तर में जम्मू-कश्मीर और पूर्व में असम, अरुणाचल, मणिपुर और नगालैंड के बाद केवल दक्षिण भारत ही पूरे विस्तार में अवरोध है।
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