![]() |
चंदा मामा के पास जाने के लिए मच गई दुनिया के देशों में होड़?
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Aug 27, 2023, 17:25 pm IST
Keywords: moon आईआईटी बॉम्बे एस्ट्रोफिजिसिस्ट प्रोफेसर वरुण भालेराव Tidal Form ज्वारीय रूप एलवीएम 3 अनंत टेक्नोलॉजीज
![]() वर्तमान में तीन देशों - भारत (एक), अमेरिका (चार), दक्षिण कोरिया (एक) के लगभग 6 अंतरिक्ष मिशन चंद्रमा की कक्षा में घूम रहे हैं. चंद्रमा की भूमध्य रेखा के करीब स्पेसक्राफ्ट पहले सफलतापूर्वक उतर चुके थे. अब भारत के चंद्रयान -3 ने पहली बार उसके दक्षिणी ध्रुव पर उतरकर इतिहास रचा है. इसकी मुख्य वजह असमान भूभाग और सूर्य की रोशनी न होना के कारण लैंडिंग में मुश्किल होना है. दक्षिणी ध्रुव पृथ्वी के सामने नहीं है इसलिए वहां स्पेसक्राफ्ट से कम्युनिकेशन स्थापित करना भी मुश्किल है. रूस का लूना लैंडर मिशन, जिसके चंद्रयान-3 के साथ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की उम्मीद थी, 20 अगस्त को प्रीलैंडिंग ऑर्बिट में एंट्री करते वक्त दुर्घटनाग्रस्त हो गया. जापान, अमेरिका, इजराइल, चीन और रूस जैसे देश जल्द ही चंद्रमा पर कक्षीय और लैंडर मिशन शुरू करने की संभावना रखते हैं. कंपनी, जो लॉन्च व्हीकल्स और सैटेलाइट्स में इसरो की लंबे समय से भागीदार रही है, ने चंद्रयान -3 के लिए लॉन्च वाहन (एलवीएम 3) में योगदान दिया है. मोहराना ने बताया कि चंद्र दक्षिणी ध्रुव में सूर्य क्षितिज के नीचे या ठीक ऊपर मंडराता है, जिससे सूर्य की रोशनी की अवधि के दौरान तापमान 130 डिग्री फ़ारेनहाइट (54 डिग्री सेल्सियस) से ऊपर हो जाता है. उन्होंने कहा, 'रोशनी की इन अवधियों के दौरान भी ऊंचे पहाड़ काली छाया डालते हैं और गहरे गड्ढे अपनी गहराइयों में अंधेरे की रखवाली करते हैं. इनमें से कुछ क्रेटर स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्रों के घर हैं, जिन्होंने अरबों वर्षों में दिन का उजाला नहीं देखा है, जहां तापमान -334 डिग्री फ़ारेनहाइट से -414 डिग्री फ़ारेनहाइट (-203 डिग्री सेल्सियस से -248 डिग्री सेल्सियस) तक होता है. चंद्रमा हर 27.322 दिन में एक बार हमारे ग्रह के चारों तरफ चक्कर लगाता है. चंद्रमा धरती के साथ ज्वारीय रूप (Tidal Form) से घिरा हुआ है, जिसका मतलब है कि जब भी यह तुल्यकालिक घूर्णन (सिनक्रोनस रोटेशन) करता है तो यह अपनी धुरी पर ठीक एक बार घूमता है. भालेराव ने कहा, 'अब मुझे लगता है कि यह एक सिनेरियो के रूप में थोड़ा अलग है जहां धरती की निचली कक्षा तक पहुंच बेहद लोकतांत्रिक हो गई है. बहुत सारे देश और निजी कंपनियां अब असल में धरती की निचली कक्षाओं में लॉन्च कर सकते हैं और फिर यह स्वाभाविक हो जाता है कि हर किसी के लिए अगला कदम हमारे सबसे करीबी पड़ोसी के पास जाना होगा. |
क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं? |
|
हां
|
|
नहीं
|
|
बताना मुश्किल
|
|
|