सर्दिर्यों में कोरोना वायरस और फ्लू का डबल अटैक हो सकता
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Oct 16, 2021, 19:42 pm IST
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ब्रिटेन को छोड़कर ज्यादातर पश्चिमी देशों में कोरोना वायरस संक्रमण या तो कम है या घट रहा है. लेकिन वैश्विक महामारी का खतरा पूरी तरह से दूर होने से पहले अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है. सर्दियों के मौसम में चिंता का सबसे बड़ा विषय है कोविड का प्रकोप दोबारा शुरू होना, और उसके साथ-साथ रेस्पिरेटरी सिस्टम के अन्य रोगों खासकर इन्फ्लूएंजा का और मजबूती से हमला करना.
यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया के प्रोफेसर ऑफ मेडिसिन पॉल हंटर ने बताया कि कोविड और इन्फ्लूएंजा के लिए इम्यून सिस्टम रिस्पांस कमोबेश समान होती है. हाल में हुआ संक्रमण या टीकाकरण आगे किसी संक्रमण के खिलाफ अच्छा बचाव करते हैं, लेकिन यह बचाव धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगता है. हालांकि इनके बाद दोबारा होने वाला संक्रमण या तो लक्षण रहित होता है, या फिर बहुत ही मामूली होता है. लेकिन इम्युनिटी डेवलप होने और फिर से संक्रमण होने के बीच का अंतराल यदि लंबा हो तो दोबारा होने वाले संक्रमण के ज्यादा गंभीर होने की आशंका रहती है. प्रोफेसर ने चिंता जातते हुए आगे कहा कि कोविड को फैलने से रोकने के लिए 2020 की शुरुआत से उठाए गए कदमों जैसे कि लॉकडाउन, ट्रैवल बैन और वर्क फॉम होम करना आदि के कारण बीते 18 महीने के दौरान लोग फ्लू के संपर्क में ज्यादा नहीं आए. ऐसे में लोगों में इस बीमारी के खिलाफ जो नेचुरल इम्यूनिटी होती है वह कम हो गई है. इन हालात में जब फ्लू का प्रकोप शुरू होगा तो यह अधिकाधिक लोगों को प्रभावित करेगा और सामान्य परिस्थितियों के मुकाबले अब लोगों को गंभीर रूप से बीमार करेगा. ऐसा ही, रेस्पिरेटरी सिस्टम को प्रभावित करने वाले अन्य वायरस भी करेंगे. शायद ऐसा हो भी रहा हो. ब्रिटेन में अभी इन्फ्लूएंजा का रेट कम है. लेकिन यदि वायरस फैलने लगा तो परिस्थितियां तेजी से बदल सकती हैं. प्रोफसर पॉल हंटर ने कहा कि अच्छी बात यह है कि हमारे पास एंटी फ्लू वैक्सीन हैं जो संक्रमण का जोखिम तो कम करते ही हैं, गंभीर बीमारियों से भी बचाते हैं. हालांकि एंटी फ्लू वैक्सीन, कोरोना वैक्सीन जीतनी प्रभावी नहीं है. फ्लू के वायरस तेजी से बदलते हैं और उनके कई वेरिएंट का प्रकोप हो सकता है. ये वेरिएंट हर साल बदल जाते हैं. वायरस का जो वेरिएंट हावी रहने वाला है यदि वह वैक्सीन में शामिल नहीं है तो टीके का प्रभाव भी कम रहेगा. बीते 18 महीने में फ्लू के मामले इतने कम रहे हैं कि यह अनुमान लगाना कहीं अधिक मुश्किल होगा कि वायरस का कौन सा वेरिएंट ज्यादा संक्रामक हो सकता है. इतना ही नहीं, कोरोना वायरस के साथ-साथ अन्य संक्रमण (बैक्टीरियल, फंगल या वायरल संक्रमण) होने का भी जोखिम है. हॉस्पिटल में भर्ती कोविड मरीजों पर की गई एक स्टडी में पाया गया कि उनमें से 19 फीसदी किसी अन्य संक्रमण से भी पीड़ित थे. ऐसे मरीज जिन्हें कोविड के अतिरिक्त भी कोई संक्रमण हो, उनकी जान जाने का जोखिम अधिक रहता है. जब कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू ही हो रहा था तब इन्फ्लूएंजा भी फैल रहा था. ब्रिटेन के रिसर्चर्स ने दो तरह के मरीजों की तुलना की. पहले तो वे जो सिर्फ कोविड से पीड़ित थे और दूसरे वे जिन्हें कोविड के साथ-साथ इन्फ्लूएंजा भी था. दोनों तरह के संक्रमण से पीड़ित लोगों को इन्टेन्सिव मेडिकल यूनिट में भर्ती करने की जरूरत और वेंटीलेशन सुविधा की जरूरत दो गुना अधिक रही तथा उनके मरने का खतरा भी अधिक रहा. हालांकि यह कहना तो संभव नहीं है कि ब्रिटेन में इस वर्ष इन्फ्लूएंजा का प्रकोप काफी अधिक होगा, लेकिन अगर नहीं भी होता तो यह तो निश्चित है कि इसका प्रकोप जल्द ही होगा. यदि इन्फ्लूएंजा लौटता है तो यह कोविड से पहले के वर्षों के मुकाबले अब अधिक लोगों को प्रभावित करेगा और इसके कारण मरने वाले लोगों की संख्या भी अधिक होगी. |
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