जय बाबा कीनाराम: बाबा के भक्त शेयर करें, शुरू हो रहा तीन दिवसीय रामगढ़ बाबा कीनाराम महोत्सव

जय बाबा कीनाराम: बाबा के भक्त शेयर करें, शुरू हो रहा तीन दिवसीय रामगढ़ बाबा कीनाराम महोत्सव
चंदौली: हर वर्ष की भाति इस वर्ष भी बाबा कीनाराम महोत्सव मनाने की तैयारी पूरी हो गयी है. बाबा कीनाराम महोत्सव पिछले तमाम सालों से रामगढ़ गांव में मनाया जाता है, जहां बाबा का जन्म हुआ, जहां बाबा पले बढ़े. बाबा के भक्तों को इस दिन का इंतजार बेसब्री से रहता है.

बाबा किनाराम उत्तर भारतीय संत परंपरा के एक प्रसिद्ध संत थे. जिनकी यश-सुरभि परवर्ती काल में संपूर्ण भारत में फैल गई. वाराणसी के पास चंदौली जिले के ग्राम रामगढ़ में एक कुलीन रघुवंशी क्षत्रिय परिवार में सन् 1601 ई. में इनका जन्म हुआ था। बचपन से ही इनमें आध्यात्मिक संस्कार अत्यंत प्रबल थे। 

तत्कालीन रीति के अनुसार बारह वर्ष की अल्प आयु में, उनकी घोर अनिच्छा रहते हुए भी उनका विवाह कर दिया गया, किंतु दो तीन वर्षों बाद द्विरागमन की पूर्व संध्या को इन्होंने हठपूर्वक माँ से माँगकर दूध-भात खाया। ध्यातव्य है कि सनातन धर्म में मृतक संस्कार के बाद दूध-भात एक कर्मकांड है। बाबा के दूध-भात खाने के अगले दिन सबेरे ही वधू के देहांत का समाचार आ गया। सबको आश्चर्य हुआ कि इन्हें पत्नी की मृत्यु का पूर्वाभास कैसे हो गया। 

अघोर पंथ के ज्वलंत संत के बारे में अनेक कथानक प्रसिद्ध है. जिनमें से एक है कि एक बार काशी नरेश अपनी हाथी पर सवार होकर शिवाला स्थित आश्रम से जा रहे थे, उन्होंने बाबा किनाराम की तरफ तल्ख नजरों से देखा. तत्काल बाबा किनाराम ने आदेश दिया दीवाल चल आगे, इतना कहना कि दीवाल चलने लगी और काशी नरेश का हाथी पीछे, दीवाल आगे-आगे. तब काशी नरेश को अपने अभिमान का बोध हो गया और तत्काल बाबा किनाराम जी के चरणों में गिर गये.

जनता जनार्दन मीडिया बाबा के तीन दिवसीय कार्यक्रम की लगातार कवरेज करेगी और जानकारी पाठकों को मुहैया कराएगी. बाबा के सभी भक्तों को इस पावन अवसर की शुभकामनाएं.
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