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राज्यपाल सम्मेलन-2018: राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा संघीय ढांचे में राज्यपालों की भूमिका महत्त्वपूर्ण
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Jun 04, 2018, 13:34 pm IST
Keywords: Conference of Governors and Lt. Governors Rashtrapati Bhavan President Ram Nath Kovind 49th Governors Conference राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द राष्ट्रपति भवन राज्यपाल सम्मेलन-2018
![]() प्रस्तुत है, राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का राज्यपाल सम्मेलन-2018 में आरम्भिक उद्बोधन राष्ट्रपति भवन, जून 04, 2018 1. राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस सम्मेलन में आप सबका हार्दिक स्वागत है। इस सम्मेलन में पहली बार शामिल होने वाली मध्य प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, ओडिशा के राज्यपाल प्रोफेसर गणेशी लाल और मिजोरम के राज्यपाल श्री के. राजशेखरन का विशेष रूप से स्वागत है। 2. सामान्यतः यह सम्मेलन प्रत्येक वर्ष के आरंभ में, आयोजित होता है। परंतु कुछ अपरिहार्य कारणों से, वर्ष 2017 का सम्मेलन अक्टूबर महीने में आयोजित हो पाया था। उसके सात महीनों के पश्चात वर्ष 2018 के इस सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। ऐसे सम्मेलन में आप सभी राज्यपालों और उप-राज्यपालों को उप-राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, गृह मंत्री, मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों, नीति आयोग के उपाध्यक्ष तथा सरकार के वरिष्ठतम अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श करने का अच्छा अवसर प्राप्त होता है। इस अवसर का उपयोग करके, हम कुछ महत्वपूर्ण विषयों पर पारस्परिक चर्चा करते हुए उन क्षेत्रों में भविष्य की दिशा तय कर सकेंगे। इस परिप्रेक्ष्य में राज्यपाल सम्मेलन का अपना विशेष महत्व है। 3. राज्यपाल के संवैधानिक पद की एक विशेष गरिमा होती है। राज्य सरकार के मार्ग-दर्शक तथा हमारे संघीय ढांचे की एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में, राज्यपाल अपना निरंतर योगदान देते हैं। राज्य की जनता राज्यपालों को आदर्शों और मूल्यों के कस्टोडियन के रूप में देखती है। 4. पिछले सम्मेलन में ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर’, ‘पब्लिक सर्विसेज’, तथा ‘हायर एजुकेशन इन स्टेट्स एंड स्किल डेवलपमेंट’ से जुड़े विषयों पर विचार-विमर्श हुआ था। आप सभी से इन विषयों पर अच्छे सुझाव प्राप्त हुए थे। 5. पिछले सम्मेलन में लिए गए निर्णय के अनुसार गठित की गई राज्यपालों की समिति ने अपनी रिपोर्ट जनवरी, 2018 में प्रस्तुत कर दी थी। इस रिपोर्ट में राज्यपालों की भूमिका समाज के चेंज-एजेंट के रूप में निरूपित की गई है। आज चौथे सत्र में इस रिपोर्ट के अनुसार की गई कार्यवाही पर भी चर्चा की जाएगी। 6. इस वर्ष के सम्मेलन का एजेंडा तय करते समय यह फ़ोकस रखा गया था कि विकास की यात्रा में पीछे रह गए देशवासियों के हित में क्रियान्वित की जा रही योजनाओं की सम्पूर्ण जानकारी आप सभी को मिले तथा उन पर विस्तार से चर्चा हो। विभिन्न राज्यों में जिन 115 ऐस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स में तेज गति से विकास करने का संकल्प किया गया है उसके क्रियान्वयन के बारे में आप सबको पूरी जानकारी मिले। गरीबों, महिलाओं, अनुसूचित जातियों एवं जन-जातियों, युवाओं और किसानों के कल्याण के लिए सभी स्टेक-होल्डर्स का मार्ग-दर्शन करने में, यह जानकारी आप सब के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगी। हमारे देश में अनुसूचित जनजातियों की लगभग दस करोड़ की आबादी का एक बड़ा हिस्सा, भारतीय संविधान की पाँचवीं और छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में रहता है। विकास की दृष्टि से अपेक्षाकृत पीछे रह गए इन लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में आप सभी उचित मार्ग-दर्शन दे सकते हैं। 7. भारत, विश्व की सबसे बड़ी युवा आबादी वाला देश है। इन युवाओं के जीवन में नैतिक मूल्यों की स्थापना करने तथा उन्हे उचित शिक्षा के लिए प्रेरित करने के लिए आप सही अर्थों में उनके अभिभावक हैं। आप उन्हे ऐसा चरित्र विकसित करने की प्रेरणा दे सकते हैं जिसके बल पर वे भारतीय मूल्यों के प्रति निरंतर संवेदनशील बने रहें। 8. उच्च-शिक्षा के संदर्भ में पिछले राज्यपाल सम्मेलन में यह तथ्य सामने आया था कि हमारे देश के उनहत्तर प्रतिशत [69%] विश्वविद्यालय राज्य सरकारों के नियंत्रण में चल रहे हैं, जिनमें चौरानबे प्रतिशत [94%] विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश विश्वविद्यालयों के आप कुलाधिपति हैं। अपने पद, अधिकार और अनुभव का उपयोग करते हुए आप सब शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए मार्ग-दर्शन और प्रेरणा प्रदान करते हैं। आप सभी यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि राज्यों के विश्वविद्यालयों में समय पर तथा पारदर्शी तरीके से विद्यार्थियों के दाखिले तथा अध्यापकों की नियुक्तियाँ हों। साथ ही परीक्षाएँ, परिणामों की घोषणा तथा दीक्षांत समारोह, नियत समय पर आयोजित हों। तेजी से बदलते हुए वैश्विक परिप्रेक्ष्य में, शिक्षा की प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए, समय-समय पर, पाठ्यक्रमों में बदलाव और सुधार करते रहना भी आवश्यक है। युवाओं के साथ संवाद स्थापित करके, आप सभी उन्हे समाज और देश के हित में अपनी शिक्षा का सदुपयोग करने की प्रेरणा दे सकते हैं। देश की भावी पीढ़ियों का निर्माण करने के लिए हम सबको मिलकर निरंतर प्रयास करते रहना है। 9. भारत सरकार ने 2 अक्टूबर, 2018 से आरंभ करके चौबीस महीनों तक महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने का निर्णय लिया है और इसके लिए राष्ट्रपति की अध्यक्षता में, एक राष्ट्रीय समिति का गठन किया गया है। विगत 2 मई, 2018 को इस समिति की पहली बैठक इसी परिसर में आयोजित की गई। उस बैठक में अनेक अच्छे सुझाव प्राप्त हुए। इस विषय पर भी कल इस सम्मेलन में चर्चा की जाएगी। गांधी जी की स्मृति से जुड़े समारोहों का अपना महत्व है। जैसा कि हम सभी जानते हैं, गांधी जी रचनात्मक कार्यों में विश्वास करते थे। अतः सार्थक सामाजिक बदलाव के लिए काम करना ही उनकी स्मृति को संजोए रखने का सबसे अच्छा तरीका है। गांधी जी ने किसी भी कार्य के आरंभ में होने वाली दुविधा को दूर करने का एक स्पष्ट समाधान सुझाया था। उनके अनुसार सबसे दुर्बल और गरीब व्यक्ति के जीवन और नियति को सुधारने का उद्देश्य ही किसी भी कार्य के उचित होने की कसौटी है। इस परिप्रेक्ष्य में, गांधी जी के आदर्शों और मूल्यों को व्यावहारिक रूप प्रदान करने के लिए, आप सभी के सुझावों का स्वागत है। 10. राज्यपालों के इस सम्मेलन में उप-राष्ट्रपति तथा प्रधान मंत्री, गृह मंत्री और उनके वरिष्ठ सहयोगी, अपनी उपस्थिति और योगदान से, यहाँ होने वाले संवाद को और अधिक सार्थकता प्रदान करेंगे। आप सभी राज्यपालों का सामाजिक जीवन में लंबा अनुभव रहा है। मुझे विश्वास है कि इस सम्मेलन के दौरान आप सबके महत्वपूर्ण सुझाव प्राप्त होंगे। इस सम्मेलन में जो विचार-विमर्श होगा उससे संवेदनशीलता, सौहार्द और समावेश पर आधारित एक अच्छे समाज के निर्माण में सहायता प्राप्त होगी। 11. इन शब्दों के साथ मैं 2018 के इस राज्यपाल सम्मेलन के आरम्भ की घोषणा करता हूँ। अब गृह मंत्री जी से मेरा अनुरोध है कि वे सम्मेलन की कार्यवाही को आगे बढ़ाएँ। धन्यवाद जय हिन्द! |
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