धर्म को बचाए रखने से ही असमिया का अस्तित्व बच सकेगा : डा.अरिन्दम बरकटकी
राजु मिश्रा ,
Nov 12, 2017, 19:51 pm IST
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मोरानहाट: अपनी भाषा, संस्कृति और धर्म त्याग कर साउलुंग चुकाफा ने वृहत्तर असमिया जाती का गठन कर लगभग छ सौ वर्षों तक असम पर राज किया मगर राज करनेवाले आहोम जनगोष्ठी की भाषा, संस्कृति और धर्म आज विलुप्ति के पथ पर अग्रसर है, ऐसे में वृहत्तर असमिया जाती के अस्तित्व की रक्षा हेतु आज जरूरी है कि आहोम जनगोष्ठी अपने भाषा, संस्कृति तथा धर्म को आगे बढ़ाए.
मोरान टाई अध्ययन और अनुषंधान केन्द्र में आज दिन के 1 बजे से डाम साव नंदेश्वर बरुवा स्मृति वक्तीता में जड़ो की खोज और जातिय जागरण : अतीत, वर्तमान तथा भविष्य शीर्षक पर विशिष्ट कवि,लेखक तथा नगांव ढ़ेकियाल फुकन महाविद्यालय के अध्यापक डा. अरिन्दम बरकटकीका ने उक्त बाते कहीं. उन्होंने कहा कि आहोम लोग आज अपनी भाषा, संस्कृति और धर्म को भुलते जा रहे जिसका लाभ उठाकर कुछ लोग चुकाफा को आक्रमणकारी संवोधित करने से भी नहीं चुकते केन्द्र के अध्यक्ष जीवेश्वर मोहन के अध्यक्षता में आयोजित वक्तीता के उदेश्यों पर केन्द्र के सचिव डा.बिरिंषि गोगोई ने प्रकाश डालाने के साथ ही स्वागत भाषण भी रखा । केन्द्र के विद्यातनिक परिषद के डा.यतीन्द्र नाथ कुवंर ने स्व. नंदेश्वर बरुवा का परिचय पाठ करने के साथ ही उनके परिवार से सबका परिचय करवाया. समारोह में मशहूर गायक बिपिन सावडांग सहित स्थानीय गणमान्य लोग उपस्थित थे वक्तीता के अंत में केन्द्र के वसंत फुकन धन्यवाद प्रेषित किया. केन्द्र में ही वहीं आगामी 26 नवंबर दिन के 1 बजे पंन्द्रहवां वार्षिक डा. लीला गोगोई स्मारक वक्तीता आयोजित किए जाने की जानकारी केन्द्र के विद्यातनिक परिषद के डा. यतीन्द्र नाथ कुवंर एवं वसंत फुकन ने देते हुए बताया कि भाषा संस्कृति की विलुप्ति:प्रसंग उत्तर पुर्व भारत विषय पर चिंताविद, लेखक, गुवाहाटी बी.रुवा कालेज के पुर्व अध्यक्ष डा. दिनेश वैश्य वकतव्य रखेंगे आयोजकों ने कार्यक्रम में लोंगों के उपस्थिति का आहवान किया है. |
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