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पाठकों के हाथ आई 'पकी जेठ का गुलमोहर'

श्रेष्ठ गुप्ता , Oct 01, 2016, 14:14 pm IST
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पाठकों के हाथ आई 'पकी जेठ का गुलमोहर'
नई दिल्ली, वाणी प्रकाशन की प्रस्तुति में भगवानदास मोरवाल की नवीनतम कृति 'पकी जेठ का गुलमोहर' का कल शाम विमोचन और साथ ही पुस्तक परिचर्चा सफलतापूर्वक समाप्त हुआ. परिचर्चा की शुरुआत मीडिया विशेषज्ञ परवेज़ आलम ने किया. किताब की विशषेता बताते हुए परवेज़ कहते है कि "इस पुस्तक में लेखक ने हमारी भाषा की 'ओरल हिस्ट्री' को सँजो कर रखा है।" वहीं मुख्य वक्ता के रुप में आए मीडिया विशेषज्ञ अनंत विजय ने भी किताब की प्रशंसा करते हुए कहा कि "मोरवाल जी ने पाठक को सारी सुविधाएँ दी हैं, इसे बेहद पठनीय बनाया है, लेकिन अपने आप को बहुत बचाते हुए।" 

जनता जनार्दन से खास बातचीत करते हुए मोरवाल जी किताब के बारे में कहते है कि इस किताब की रचना समय की सतह पर पानी की तरह हुए की गई है. यह किताब मेरी स्मृतियों का अतीत राग या फिर महज उनकी दास्तान भर नहीं, बल्कि यह बदलते आधुनिक ग्रामीण-शहरी समाज के बहाने एक लेखक के क्रमिक विकास के साथ-साथ एक सामजशास्त्रीय और मानवशास्त्रीय आख्यान भी है. अंत में मोरवाल जी यह भी कहते है कि इस किताब को लिखने में जितना योगदान उनका हैं उतना ही योगदान उनकी पत्नी का भी रहा है. वे कहते है कि उनके बिना ये किताब लिख पाना आसान नहीं था.
दिल्ली के ऑक्सपोर्ड बुक स्टोर में हुई इस परिचर्चा में वाणी प्रकाशन के प्रकाशक अरुण माहेश्वरी, अदीति माहेश्वरी औऱ मुख्य वक्ता के तौर पर आए मीडिया विशेषज्ञ अनंत विजय और परवेज़ आलाम ने एक साथ मंच साझा कर किताब का विमोचन किया.
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