भारत ने छठे नौवहन उपग्रह का किया प्रक्षेपण

भारत ने छठे नौवहन उपग्रह का किया प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा: भारत ने गुरुवार को छठे नौवहन उपग्रह आईआरएनएसएस-1एफ को अपने एक रॉकेट के सहारे सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित कर दिया। इस सफलता के साथ ही भारत उन विशेष देशों के समूह में शामिल होने की ओर अग्रसर हो गया है, जिनके पास खुद की उपग्रह आधारित नौवहन प्रणाली है। भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस) नामक इस प्रणाली के तहत कुल सात उपग्रह हैं, जिनमें से छठे उपग्रह का गुरुवार को प्रक्षेपण किया गया।

1,425 किलोग्राम वजनी आईआरएनएसएस-1एफ उपग्रह को धु्रवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी32) रॉकेट से प्रक्षेपण के बाद मिशन कंट्रोल सेंट्रल में मौजूद वैज्ञानिकों ने खुशी से तालियां बजाई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष ने प्रक्षेपण के बाद कहा, छठे नौवहन उपग्रह को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित कर दिया गया। सातवें नौवहन उपग्रह को अगले महीने के बाद प्रक्षेपित किया जा सकता है।

12 साल के जीवनकाल वाले इस उपग्रह के पास नौवहन व दिशासूचक के लिए दो पेलोड हैं। आईआरएनएसएस-1एफ के नौवहन पेलोड नौवहन सेवा सिग्नल को उपयोगकर्ताओं के पास भेजेंगे। ये पेलोड एल5-बैंड तथा एस-बैंड में काम करेंगे। एक बेहद सटीक रूबिडीयम परमाणु घड़ी उपग्रह के नौवहन पेलोड का हिस्सा है।

आईआरएनएसएस-1एफ के पेलोड में एक सी-बैंड ट्रांसपोंडर है, जो उपग्रह की सही दिशा बनाए रखने में मददगार है। आईआरएनएसएस-1एफ में लेजर रेंजिंग के लिए कॉर्नर क्यूह रेट्रो रिफ्लेक्टर्स लगे हैं। भारत इस प्रणाली के अब तक छह उपग्रहों (आईआरएनएसएस-1ए, 1बी, 1सी, 1डी, 1ई व 1एफ) का प्रक्षेपण कर चुका है। सातवें उपग्रह के प्रक्षेपण के साथ ही यह प्रणाली पूरी तरह काम करने लगेगी और 1500 किलोमीटर के दायरे में सही दिशा स्थिति की सूचना प्रदान करेगी।

प्रत्येक उपग्रह की लागत 150 करोड़ रुपये है और पीएसएलवी-एक्सएल संस्करण के रॉकेट की लागत लगभग 150 करोड़ रुपये है। सातों उपग्रहों पर कुल 910 करोड़ रुपये की लागत आएगी। आईआरएनएसएस के सभी सातों उपग्रहों को 2016 में प्रक्षेपित किया जाना है।

पहले उपग्रह आईआरएनएसएस-1ए को जुलाई 2013 में लॉन्च किया गया था, जबकि दूसरा आईआरएनएसएस-1बी को अप्रैल 2014 में, तीसरा अक्टूबर 2014 में, चौथा मार्च 2015 में और पांचवां इस साल जनवरी में प्रक्षेपित किया गया

था। छठे उपग्रह का प्रक्षेपण गुरुवार को किया गया, जबकि सातवें उपग्रह का प्रक्षेपण साल 2016 के दूसरी छमाही में किया जाना है। एक बार जब सभी सातों उपग्रहों को कक्षा में स्थापित कर दिया जाएगा, भारत को नौवहन के लिए किसी और देश के नौवहन प्रणाली की जरूरत नहीं होगी।

इसरो नौवहन प्रणाली के सामरिक इस्तेमाल को लेकर खामोश है, लेकिन निश्चित तौर पर इसका इस्तेमाल रक्षा उद्देश्यों के लिए भी किया जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारियों ने कहा है कि आईआरएनएसएस प्रणाली औरों से अलग है, क्योंकि इसमें केवल सात उपग्रह हैं, जबकि दुनिया के अन्य प्रणालियों में 20 उपग्रह तक शामिल हैं। अन्य प्रणालियां वैश्विक हैं, जबकि यह क्षेत्रीय प्रकृति का है।
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