आलोक बिखेर कर असमय ही चले गये आलोक

जनता जनार्दन संवाददाता , Mar 21, 2011, 18:37 pm IST
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आलोक बिखेर कर असमय ही चले गये आलोक नई दिल्ली: हिन्दी पत्रकारिता की नई पीढ़ी के सबसे लिक्खाड़ और निडर पत्रकारों में से एक आलोक तोमर का असमय कॅन्सर से निधन हो गया. यह एक अजीब इत्तिफाक है कि पत्रकारिता की लौह लेखनी के उनके आदर्श उदयन शर्मा का निधन भी ऐसे ही लंबी बीमारी से हुआ था।

वरिष्ठ पत्रकार आलोक तोमर सोमवार को पंचतत्व में विलीन हो गए. लोदी रोड शवदाह गृह में उनका अंतिम संस्कार संपन्न हुआ. इस अवसर पर उनके नजदीकी लोगों के अलावा पत्रकारिता और साहित्य जगत से जुड़े अनेक लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पंहुचे।

वरिष्ठ पत्रकार आलोक तोमर का लंबी बीमारी के बाद 20 मार्च को निधन हो गया. वह 50 वर्ष के थे. दिल्ली के बत्रा अस्पताल में भर्ती तोमर का रविवार सुबह 11 बजकर 10 मिनट पर निधन हो गया. वह गले के कैंसर से पीड़ित थे।

उनके परिवार में उनकी पत्नी सुप्रिया और बेटी मिष्टी हैं. उनके अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे जिनमें राम बहादुर राय, राम कृपाल, राहुल देव, एन के सिंह, कमर वहीद नकवी, अच्युतानंद मिश्र और कुमार आनंद आदि शामिल हैं।

प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया से जुड़े तोमर ने अपराध और सामाजिक सरोकार के मुद्दों से जुड़ी पत्रकारिता में अपना विशेष स्थान बनाया. मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में 1960 में जन्मे तोमर ने हिंदी पत्रकारिता में अपनी रिपोर्टिंग के जरिये भाषा को नये तेवर दिये. उन्होंने वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगे की मानवीय रिपोर्टिंग की।

उन्होंने वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगे की मानवीय संवेदनाओं से भरी रिपोर्टिंग के जरिए पत्रकारिता जगत में अपनी अलग पहचान बनाई. प्रिंट मीडिया से करियर की शुरूआत करने वाले तोमर जनसत्ता अखबार से बुलंदियों पर पहुंचे. वह समाचार एजेंसी वार्ता, जनसत्ता अखबार और सीएनईबी समाचार चैनल से जुड़े थे. वेब पत्रकारिता के माध्यम से भी वह सामाजिक सरोकार के मुद्दे को उठाते रहे।
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