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'ग्लेशियरों के पिघलने से नहीं सूखेगी गंगा'

'ग्लेशियरों के पिघलने से नहीं सूखेगी गंगा' कोलकाता: वैश्विक तापमान बढ़ने के कारण हिमालय के ग्लेशियर पिघल जाने के बावजूद गंगा और सिंधु जैसी हिमालयी नदियों के जलस्तर में अगली सदी में कोई कमी नहीं आएगी क्योंकि मॉनसून की बढ़ती बारिश से इसकी भरपाई होगी। यह दावा वैज्ञानिकों ने एक रिपोर्ट में किया है।

नीदरलैंड के एक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक और नेपाल में अंतरराष्ट्रीय एकीकृत पर्वत विकास केंद्र के अतिथि वैज्ञानिक डॉ वाल्टर इमरजील के नेतृत्व में संपन्न ताजा अनुसंधान में संकेत दिया गया है कि बारिश का बढ़ता स्तर नदियों को सूखने से रोकेगा।

आज उपलब्ध हुई शोध रिपोर्ट के अनुसार ग्लेशियरों का पिघलना साल 2070 के आसपास किसी समय चरम पर होगा। हालांकि उसी समय बारिश में वृद्धि से इसकी भरपाई हो सकेगी।

गंगा और सिंधु जैसी हिमालयी नदियां ग्लेशियरों और बर्फ के पिघलने पर निर्भर करती हैं जो भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में निचले इलाकों में रहने वाले लाखों लोगों की भोजन आपूर्ति के लिए आवश्यक हैं।

अनुसंधानकर्ताओं ने हिमालय में नदियों में पानी के प्रवाह पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझने के लिए कंप्यूटर मॉडल बनाए।

नेपाल स्थित अंतरराष्ट्रीय एकीकृत पर्वत विकास केंद्र के महानिदेशक डॉ डेविड मोल्डन ने कहा कि यह महत्वपूर्ण शोध जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की अवधारणा को चुनौती देता है।

उन्होंने एक बयान में कहा, हालांकि बहुत काम अभी बाकी है जिसमें मॉनसून के पैटर्न और बर्फ पिघलने के तरीकों में बदलाव और इसके नतीजतन नदियों के प्रवाह में परिवर्तन की बेहतर समझ शामिल है।
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