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ज्योति ने कुछ गलत नहीं किया, यूट्यूबर के पक्ष में वकील ने दी दलील
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Nov 12, 2025, 16:04 pm IST
Keywords: Jyoti Malhotra Case हरियाणा अदालत ज्योति मल्होत्रा
हरियाणा के हिसार से जुड़े एक चर्चित मामले ने एक बार फिर सुर्खियां बटोरी हैं. यूट्यूब चैनल ‘ट्रैवल विद जो’ चलाने वाली ज्योति मल्होत्रा, जो पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में जेल में बंद हैं, अब अपनी जमानत के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी हैं. उनके वकील कुमार मुकेश का कहना है कि इस याचिका पर जल्द सुनवाई हो सकती है. हालांकि, पहले 23 अक्टूबर को हिसार की सेशन कोर्ट ने ज्योति की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि उनकी रिहाई से जांच प्रभावित हो सकती है. 34 वर्षीय ज्योति मल्होत्रा एक यूट्यूबर हैं, जो अपने चैनल पर देशभर के ट्रैवल व्लॉग शेयर करती थीं. 16 मई को हिसार पुलिस ने उन्हें अफिशियल सीक्रेट्स एक्ट और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत गिरफ्तार किया था. आरोप है कि ज्योति ने पाकिस्तान से जुड़े कुछ लोगों के संपर्क में रहकर संवेदनशील जानकारी साझा की. फिलहाल वह हिसार की सेंट्रल जेल में न्यायिक हिरासत में हैं. सेशन कोर्ट ने क्यों ठुकराई थी जमानत? सेशन जज डॉ. परमिंदर कौर की अदालत ने ज्योति की जमानत याचिका पर कहा था कि मामले में प्रथम दृष्टया गंभीर साक्ष्य मौजूद हैं. कोर्ट ने बताया कि आरोपी के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से फॉरेंसिक मटेरियल और मल्टी एजेंसी सेंटर (SMAC) के खुफिया इनपुट से यह आशंका जताई जा रही है कि वह एक विदेशी अधिकारी के संपर्क में थी. अदालत का मानना था कि जमानत मिलने पर ज्योति जांच में बाधा डाल सकती हैं या डिजिटल साक्ष्यों से छेड़छाड़ संभव है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर पड़ सकता है. राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है अदालत ने अपने आदेश में कहा, “अगर आरोपी की रिहाई से सार्वजनिक व्यवस्था या राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है, तो ऐसी स्थिति में जमानत नहीं दी जानी चाहिए. अदालतों को न्यायिक विवेक के साथ-साथ राष्ट्रीय हित का भी ध्यान रखना चाहिए. सेशन कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि गोपनीय जानकारी से जुड़े अपराधों में राज्य के संप्रभु हितों को नुकसान पहुंचने की संभावना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. बचाव पक्ष के तर्क: वकील बोले - "ज्योति ने कुछ गलत नहीं किया. वकील कुमार मुकेश ने ज्योति की जमानत के समर्थन में तीन प्रमुख बातें कहीं पहली, उन्होंने कोई गोपनीय दस्तावेज साझा नहीं किया. वकील के मुताबिक, सीक्रेट एक्ट की धारा 3 तभी लागू होती है जब कोई व्यक्ति डिफेंस से जुड़ी योजना, मैप या प्रतिबंधित इलाके की जानकारी प्रसारित करे. लेकिन पुलिस की रिपोर्ट में ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है. दूसरी, पुलिस को अब तक कोई गोपनीय सामग्री नहीं मिली.ना तो किसी प्रतिबंधित क्षेत्र का नक्शा, और ना ही कोई सैन्य दस्तावेज पुलिस ने बरामद किए हैं. तीसरी, पाक एजेंट से सिर्फ नंबर जुड़ा, बातचीत नहीं. वकील का कहना है कि पुलिस ने जिस पाक एजेंट शाकिर का नाम लिया, उससे ज्योति की कोई चैट या कॉल रिकॉर्ड सामने नहीं आई. न ही कोई कॉल डिलीट होने का प्रमाण है. एक अन्य व्यक्ति दानिश से भी ज्योति सिर्फ वीजा प्रक्रिया के लिए मिली थीं. अधूरी चार्जशीट पर भी सवाल बचाव पक्ष का यह भी कहना है कि पुलिस ने अधूरी चार्जशीट कोर्ट में जमा की थी. बाद में संवेदनशील जानकारी का हवाला देते हुए उसे सीडी फॉर्मेट में सौंपा गया. कोर्ट ने इस चार्जशीट के कुछ हिस्सों को सार्वजनिक न करने का निर्देश दिया, ताकि जांच प्रभावित न हो. |
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