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स्पेस में धमाल मचाने वाला है भारत का पहला AI रोबोट एस्ट्रोनॉट!
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Sep 19, 2025, 16:38 pm IST
Keywords: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO AI रोबोट एस्ट्रोनॉट ISRO का व्योममित्र मानवरहित उड़ान गगनयान मिशन
![]() यह सिर्फ एक रोबोट नहीं, बल्कि भारत के वैज्ञानिकों की सालों की मेहनत, तकनीक और सपना है जो अंतरिक्ष की दुनिया में एक नई क्रांति लाने वाला है. कौन है 'व्योममित्र'? ‘व्योममित्र’ एक ह्यूमनॉइड रोबोट है, जिसे खास तौर पर गगनयान मिशन के लिए तैयार किया गया है. इसका चेहरा और बॉडी एक इंसान जैसी बनाई गई है ताकि अंतरिक्ष यान के भीतर के सभी सिस्टम को इंसानी व्यवहार की तरह परखा जा सके. नाम भी बेहद खूबसूरत है- ‘व्योम’ यानी आकाश और ‘मित्र’ यानी दोस्त, यानी यह अंतरिक्ष का दोस्त है, जो भारत के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए रास्ता तैयार करेगा. यह रोबोट सिर्फ एक मशीन नहीं है, बल्कि यह अंतरिक्ष मिशन में एक ऐसा प्रतिनिधि है जो पहले ही यह सुनिश्चित करेगा कि जब असली इंसान जाएं, तो उनके लिए हर चीज़ पूरी तरह सुरक्षित हो. मानवरहित उड़ान से पहले की बड़ी तैयारी ISRO के चेयरमैन वी. नारायणन ने हाल ही में जानकारी दी कि इस साल दिसंबर 2025 में गगनयान की पहली मानवरहित उड़ान भेजी जाएगी, जिसमें इंसान की जगह व्योममित्र को स्पेस में भेजा जाएगा. यह एक बहुत ही क्रांतिकारी पहल है, क्योंकि इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मानव मिशन के दौरान कोई भी खतरा न हो. इस ह्यूमनॉइड रोबोट के ज़रिए वैज्ञानिक उन सभी परिस्थितियों को जांच पाएंगे, जिनसे एक इंसान को स्पेस में गुज़रना पड़ता है, जैसे तापमान, दबाव, आर्द्रता और कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर. व्योममित्र स्पेसक्राफ्ट के भीतर काम करेगा, सिस्टम मॉनिटर करेगा और रिपोर्ट भी देगा. बिल्कुल वैसा ही जैसे कोई इंसान करता. गगनयान मिशन: भारत की महत्वाकांक्षी उड़ान गगनयान मिशन भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन है, जिसके तहत तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्री 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर अंतरिक्ष में जाएंगे और तीन दिन तक वहां रहेंगे. यह मिशन भारत को अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की कतार में खड़ा कर देगा, जिन्होंने पहले ही यह कारनामा कर दिखाया है. लेकिन उससे पहले, व्योममित्र जैसे टेस्टिंग मिशनों के जरिए मिशन की हर बारीकी को परखा जाएगा. यह मिशन जितना वैज्ञानिकों के लिए अहम है, उतना ही देशवासियों के गर्व और आत्मसम्मान से भी जुड़ा हुआ है. समंदर में उतरने की तैयारी भी पूरी ISRO ने यह भी बताया कि गगनयान मिशन में 9 पैराशूट्स का इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि स्पेस कैप्सूल को समुद्र में सुरक्षित उतारा जा सके. इस पूरे अभियान में ISRO अकेला नहीं है, बल्कि भारतीय वायुसेना, नौसेना, DRDO, कोस्ट गार्ड और कई रक्षा संस्थान एक साथ मिलकर इसे सफल बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं. हाल ही में ISRO ने एक बड़ा माइलस्टोन भी हासिल किया है- IADT-01 यानी इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट को सफलता पूर्वक पूरा किया गया है, जो यह साबित करता है कि मिशन की तैयारी ज़मीन से लेकर आसमान तक पूरी लगन से की जा रही है. |
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