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एपल के बाद अब सैमसंग भी भारत में बढ़ाएगा प्रोडक्शन, US में बिकने वाले स्मार्टफोन यहां

जनता जनार्दन संवाददाता , Jul 11, 2025, 16:09 pm IST
Keywords: एपल   सैमसंग   US  
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एपल के बाद अब सैमसंग भी भारत में बढ़ाएगा प्रोडक्शन, US में बिकने वाले स्मार्टफोन यहां

वैश्विक स्मार्टफोन कंपनियों के लिए भारत अब न सिर्फ एक बड़ा उपभोक्ता बाजार बन चुका है, बल्कि मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट का प्रमुख केंद्र भी बनता जा रहा है. एपल के बाद अब सैमसंग भी अमेरिकी बाजार के लिए भारत में स्मार्टफोन निर्माण पर विचार कर रही है.

सैमसंग की रणनीति में बदलाव

फिलहाल सैमसंग अपने अधिकांश स्मार्टफोन वियतनाम में बनाकर अमेरिका भेजती है. लेकिन अमेरिका की संभावित टैरिफ नीति में बदलाव, विशेष रूप से 20% तक के इंपोर्ट टैरिफ, कंपनी की लागत पर असर डाल सकता है. इसे ध्यान में रखते हुए सैमसंग अब भारत स्थित ग्रेटर नोएडा फैक्ट्री को एक्सपोर्ट हब बनाने की योजना बना रही है.

सैमसंग के ग्लोबल प्रेसिडेंट वॉन-जून चोई ने कहा, "हम पहले से भारत में कुछ ऐसे मॉडल बना रहे हैं, जो अमेरिका एक्सपोर्ट हो रहे हैं. यदि टैरिफ पॉलिसी में बदलाव होता है, तो हम अपने प्रोडक्शन को भारत में तेजी से शिफ्ट कर सकते हैं."

एपल का मैन्युफैक्चरिंग शिफ्ट काफी आगे

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च से मई 2025 के बीच भारत से अमेरिका भेजे गए एपल आईफोन का 97% हिस्सा यहीं बना था. इस अवधि में भारत से करीब $3.2 बिलियन (₹27,000 करोड़) के आईफोन अमेरिका एक्सपोर्ट किए गए, जिसमें सिर्फ मई महीने में यह आंकड़ा $1 बिलियन (₹8,600 करोड़) तक पहुंच गया.

2025 की शुरुआत से मई तक भारत से अमेरिका को कुल $4.4 बिलियन (₹37,000 करोड़) के आईफोन भेजे जा चुके हैं — जो 2024 के कुल एक्सपोर्ट ($3.7 बिलियन) से भी अधिक है. यह डेटा दर्शाता है कि भारत एपल के लिए एक एक्सक्लूसिव मैन्युफैक्चरिंग बेस बनता जा रहा है.

अमेरिका में टैरिफ को लेकर ट्रंप का रुख सख्त

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एपल को यह स्पष्ट किया कि अमेरिका में बिकने वाले आईफोन की मैन्युफैक्चरिंग भारत या किसी अन्य देश में नहीं, बल्कि अमेरिका में ही होनी चाहिए. ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा कि यदि ऐसा नहीं होता है, तो एपल को कम से कम 25% टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है.

उन्होंने कहा, "मैंने टिम कुक को पहले ही बता दिया है कि अमेरिका में बिकने वाले आईफोन अमेरिका में ही बनने चाहिए. भारत या अन्य देशों से आयात पर भारी टैरिफ लगेगा."

भारत में प्रोडक्शन बढ़ाने के पीछे की वजहें-

एपल और सैमसंग जैसी कंपनियां भारत में निर्माण को प्राथमिकता दे रही हैं, इसके पीछे कई व्यावसायिक और रणनीतिक कारण हैं:

सप्लाई चेन डायवर्सिफिकेशन: चीन पर निर्भरता कम करने के लिए कंपनियां नए विकल्प तलाश रही हैं. भारत को एक कम जोखिम वाला विकल्प माना जा रहा है.

सरकारी प्रोत्साहन: भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और PLI स्कीम्स ने कंपनियों को स्थानीय उत्पादन के लिए आकर्षित किया है.

तेजी से बढ़ता बाजार: भारत दुनिया का एक प्रमुख स्मार्टफोन मार्केट है, जहां स्थानीय निर्माण से लागत घटती है और बाजार हिस्सेदारी बढ़ती है.

एक्सपोर्ट के अवसर: भारत से बने 70% से अधिक आईफोन एक्सपोर्ट किए जा रहे हैं. यहां से एक्सपोर्ट करने पर कंपनियों को टैरिफ में छूट मिलती है.

इन्फ्रास्ट्रक्चर और वर्कफोर्स: भारत में प्रशिक्षित श्रमिकों और मैन्युफैक्चरिंग सुविधाओं में तेजी से सुधार हो रहा है. कंपनियां अपने पार्टनर्स के माध्यम से प्रशिक्षण व निवेश बढ़ा रही हैं.

फॉक्सकॉन का भारत में बड़ा निवेश

ट्रंप के कड़े रुख के बावजूद, एपल की प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर फॉक्सकॉन भारत में निवेश जारी रखे हुए है. हाल ही में कंपनी ने तमिलनाडु स्थित यूनिट में $1.49 बिलियन (₹12,700 करोड़) का निवेश किया है. यह निवेश सिंगापुर यूनिट के जरिए किया गया है और इससे भारत में एपल के मैन्युफैक्चरिंग नेटवर्क को और मजबूती मिलेगी.

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