लेजर गन से मार गिराए पाकिस्तान के सारे ड्रोन

जनता जनार्दन संवाददाता , May 12, 2025, 16:20 pm IST
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लेजर गन से मार गिराए पाकिस्तान के सारे ड्रोन

भारत द्वारा हाल ही में किए गए ऑपरेशन सिंदूर को लेकर अब और भी अहम जानकारी सामने आ रही है. इस ऑपरेशन की सफलता पर जब भारतीय सेना में डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) की ओर से रिपोर्ट पेश की गई, तो सबसे ज्यादा ध्यान खींची उस नई तकनीक ने, जिससे भारत ने पाकिस्तान के सभी ड्रोन को मार गिराया—वो भी लेजर गन के ज़रिए.

आपको बता दें कि ये बातें DGMO के प्रेस कॉन्फ्रेंस में सामने आई हैं. इससे पहले भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाली डीजीएमओ स्तर की बातचीत टल गई. इस हॉटलाइन टॉक के लिए 12 बजे का वक्त रखा गया था, लेकिन अब जानकारी मिल रही है कि यह वार्ता शाम को होगी.

लेजर तकनीक से तय की हवाई सीमा की हिफाजत

DGMO की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की ओर से हमला करने आए ड्रोन को भारत ने बिना एक भी गोली चलाए ढेर कर दिया. इन ड्रोन को गिराने के लिए प्रयोग की गई इंडिजेनस हाई एनर्जी लेजर वेपन सिस्टम ने ऑपरेशन की सफलता में अहम भूमिका निभाई.

भारत की यह प्रणाली न सिर्फ रडार से बचने वाले ड्रोन को ट्रैक कर पाने में सक्षम है, बल्कि कुछ सेकंड के भीतर उन्हें आकाश में ही निष्क्रिय कर देती है. इससे यह साफ हो गया है कि भारत अब ड्रोन वारफेयर के मामले में भी किसी से पीछे नहीं.

ऑपरेशन सिंदूर की मुख्य उपलब्धियां:

  • पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) समेत कई आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले.
  • 100 से ज्यादा आतंकवादियों के मारे जाने की पुष्टि, जिनमें पुलवामा और IC-814 कांड से जुड़े चेहरे भी शामिल.
  • 11 पाक सैन्य-आतंकी ठिकानों की सेटेलाइट इमेज जारी.
  • और अब — लेजर टेक्नोलॉजी से ड्रोन डिफेंस में सफलता.

क्यों खास है यह उपलब्धि?

भारत की इस तकनीकी सफलता ने दो संदेश दिए हैं:

  • आतंकवाद के खिलाफ भारत अब सिर्फ पारंपरिक हथियारों पर निर्भर नहीं है, बल्कि उसने भविष्य की युद्ध शैली—टेक्नोलॉजी और साइबर स्पेस—में भी खुद को तैयार कर लिया है.
  • पाकिस्तान जैसे देश जो ड्रोन के ज़रिए सीमा में घुसपैठ करवाते हैं, उनके लिए यह सीधा इशारा है कि अब भारत के पास ऐसे शून्य-हथियार उपयोग वाले हथियार हैं, जो उनके मंसूबों को हवा में ही रोक सकते हैं.
  • DGMO के अधिकारियों ने यह भी बताया कि आने वाले समय में देशभर की फॉरवर्ड पोस्ट्स और संवेदनशील ठिकानों पर इस तकनीक को तेजी से तैनात किया जाएगा.
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