बर्बाद कर देंगे तुम्हें, लेकिन कब और कैसे?

जनता जनार्दन संवाददाता , Apr 16, 2024, 17:21 pm IST
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बर्बाद कर देंगे तुम्हें, लेकिन कब और कैसे? ईरान ने जब से इजरायल पर 300 से ज्यादा मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन से हमला किया है, तब से सवाल यही उठ रहा है कि अब दुनिया का इकलौता यहूदी देश पलटवार कैसे करेगा. इसमें कोई शक नहीं कि इजरायल ने हर बार अपने दुश्मनों को ऐसा मुंहतोड़ जवाब दिया है कि वह इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हो गया. 

भले ही इजरायल ने यह दावा किया हो कि उसने ईरान की 99 प्रतिशत मिसाइलों और ड्रोन्स को मार गिराया हो लेकिन मगर 5 सदस्यों वाली इजरायल की वॉर कैबिनेट अब तक तय नहीं कर पाई है कि ईरान के हमले का जवाब कैसे देना है. इस पर सहमति बनाने के लिए रविवार को 3 घंटे बैठक चली लेकिन कोई ठोस प्लान नहीं बन पाया. 

कई रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से सावधानीपूर्वक सोचने को कहा है. वॉर कैबिनेट ने फिलहाल अपनी बैठक रद्द कर दी है लेकिन जल्द ही दोबारा चर्चा कर सकती है.

इजरायली अखबार हयोम डेली ने एक अधिकारी के हवाले से बताया कि यहूदी देश जवाब जरूर देगा. वहीं एनबीसी नेटवर्क ने पीएम ऑफिस के एक आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया कि इस पर फैसला अभी होना है. इजरायली सेना ऑप्शन्स पेश करेगी और यह साफ है कि इजरायल जवाब देगा.

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने इजरायली अधिकारियों के हवाले से बताया कि वॉर कैबिनेट ईरान को जवाब देने के मूड में है लेकिन वह इस पर सहमत नहीं हो पाई है कि हमला कब हो और कितने स्केल पर उसे किया जाए. 

ईरान के इजरायल पर मिसाइलों और ड्रोन से हमले के 24 घंटे से भी कम वक्त में इजरायल की वॉर कैबिनेट चर्चा करने बैठ गई. आईडीएफ ने दावा किया कि ईरान ने 350 बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन से शनिवार रात हमला किया था. इनमें से 99 प्रतिशत को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया गया.

विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि ईरान के हमले के बाद वॉर कैबिनेट बेनी गैंट्ज़ और उनकी राष्ट्रीय एकता पार्टी के सहयोगी गादी ईसेनकोट, जो वॉर कैबिनेट में एक पर्यवेक्षक थे, दोनों ने ईरान पर जवाबी हमला करने का प्रस्ताव रखा, जबकि उस वक्त ईरानी हमला चल रहा था.

चैनल 12 न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, इस सुझाव का पीएम बेंजामिन नेतन्याहू, रक्षा मंत्री योव गैलेंट, आईडीएफ प्रमुख हर्जी हलेवी और अन्य ने मजबूती से विरोध किया, क्योंकि इसमें साथ ही कार्रवाई करने का दवाब था. जबकि उस वक्त इजरायल की वायुसेना का ध्यान ईरान की आने वाली मिसाइलों को नष्ट करने पर था.

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