गद्दाफी युग खात्मे की खुशी?अभी नहीं

जनता जनार्दन संवाददाता , Aug 28, 2011, 11:43 am IST
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गद्दाफी युग खात्मे की खुशी?अभी नहीं लंदन/बीजिंग: वर्षों लगते हैं किसी देश का सियासी सूरतेहाल बदलने में, और उस देश के हालात तो और भी ख़राब होते हैं जो हिंसा से बदलाव की तरफ रूख करते हैं. लीबिया में भले ही गद्दाफी युग का 'निस्संदेह' अंत हो गया है, लेकिन लीबियाई लोगों को देश के भविष्य के प्रति सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि आगे जबरदस्त मुश्किलें हैं।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने एक टिप्पणी में कहा कि गद्दाफी के शासन को खत्म करने के लिए लीबियाई विद्रोहियों और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने अत्यधिक हिसक तरीके का प्रयोग किया है।

सिन्हुआ ने कहा कि हालांकि लीबियाई लोगों को 'स्वतंत्रता' की अत्यधिक कीमत भी चुकानी पड़ी है। छह महीने चले लम्बे संघर्ष में देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ठप्प पड़ गई है और इसकी जीवनरेखा तेल उद्योग नष्ट हो जाएगा। साथ ही देश पूर्व एवं पश्चिम में बंट गया है।

सिन्हुआ ने कहा कि सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि संक्रमणकालीन यह अवस्था कब तक चलेगी।

समाचार एजेंसी ने कहाकि गद्दाफी शासन का अंत सबका सामान्य लक्ष्य था, जिसे प्राप्त करने के बाद क्या विद्रोही गुट अपनी एकता बनाए रखेंगे?

समाचार एजेंसी ने कहा, "जल्दीबाजी में बनी राष्ट्रीय अंतरिम परिषद के लिए राष्ट्रीय राजनीतिक संरचना की स्थापना बेहद जटिल होगा।"

इस बीच लीबिया के शासक मुअम्मार गद्दाफी की गोद ली हुई लड़की जिंदा है। माना जा रहा था कि वर्ष 1986 में अमेरिकी हवाई हमले में उसकी मौत हो गई थी। यह लड़की त्रिपोली के एक अस्पताल में एक डॉक्टर के रूप में अपनी सेवा दे रही है।

समाचार पत्र 'डेली मेल' के मुताबिक गद्दाफी पिछले 25 सालों से दावा करते आए थे कि उनकी गोद ली गई लड़की हना हवाई हमले में मारी जा चुकी है। यही नहीं उन्होंने उसकी याद में अपने त्रिपोली स्थित परिसर में एक स्मारक भी बनवाया था।

इस बीच, विद्रोहियों द्वारा परिसर में कब्जा किए जाने के बाद वहां से प्राप्त दस्तावेजों और तस्वीरों से यह साफ हो गया है कि हना जीवित है।

हना ने कथित रूप से त्रिपोली में चिकित्सा की पढ़ाई की और चार साल पहले उसने राजधानी त्रिपोली स्थित ब्रिटिश काउंसिल में अंग्रेजी सीखी।
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