क्या पाषाण युग तक फैला है दिल्ली का इतिहास?

दीपक सेन , Dec 05, 2020, 11:10 am IST
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  क्या पाषाण युग तक फैला है दिल्ली का इतिहास? नई दिल्लीः ‘शहर ए आजम’ में महाभारत, मौर्य, तोमर, चौहान, सल्तनत, मुगल और ब्रिटिश काल के अवशेष हैं। लेकिन एक रॉक आर्ट विशेषज्ञ को दिल्ली में कुछ ऐसे चिह्न मिले हैं, जिनके बारे में माना जा रहा है कि वे पाषाण युग के हो सकते हैं।यदि ‘साइंटफिक डेटिंग’ के बाद इसे सही पाया गया तो दिल्ली का इतिहास पाषाण युग तक जा सकता है।

 संभवत: यह पहला मौका है जब दिल्ली में आदि मानव के रहवास के संकेत मिले हैं।रॉक आर्ट विशेषज्ञ रघुवीर सिंह ठाकुर ने दावा किया, ‘‘अरावली पर्वत श्रृंखला में दक्षिण दिल्ली के महरौली में कुतुब मीनार के करीब ‘कपमार्क’ मिले हैं। एक हजार मीटर के क्षेत्र में तीन स्थानों में करीब 150 की संख्या में ‘कपमार्क’ हैं, जिनमें एकरूपता पायी गयी है।’’ दिल्ली में ‘कपमार्क’ खोजकर्ता ने दावा किया, ‘‘इसके अलावा एक पत्थर पर अर्धचंद्राकार आकृति बनी हुई है। इसकी रेखाओं को जोड़कर देखा जाये तो अंग्रेजी ‘एस’ आकार की आकृति बनती है। यह आकृति भी पाषाण युग की है।’’

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व सुरक्षा अधिकारी ठाकुर ने कहा, ‘‘यदि इस ‘कपमार्क’ का उचित तरीके से समय काल का निर्धारण कर दिया जाये तो यह दिल्ली के इतिहास को दो लाख वषरे से भी अधिक पीछे ले जा सकता है।’’ उन्होंने बताया कि उन्होंने यह खोज 26 जनवरी को उस वक्त की जब पूरी दिल्ली गणतंत्र दिवस के जश्न में डूबी थी। उन्होंने इस स्थान को मेट्रो से देखा था और 26 जनवरी का दिन उन्हें इसके लिए सबसे अच्छा दिन लगा।ठाकुर ने बताया कि इसके समय निर्धारण के लिए एक टीम के साथ वह काम करना चाहते हैं, क्योंकि यह बेहद श्रमसाध्य और धर्य का काम है। यदि इस स्थान के आस पास बेहतर तरीके से काम किया जाये तो यहां इस तरह के और भी चकित करने वाली जानकारियां मिल सकती हैं। इस बारे में पेलिंयॅटोलाजिस्ट जीएल बादाम ने कहा, ‘‘इस तरह के ‘कपमार्क’ का काल निर्धारण करना बेहद कठिन हैं, क्योंकि रेडियो डेटिंग के जरिये केवल बीस हजार साल पहले तक के समय का निर्धारण ही किया जा सकता है, जबकि यह 20 लाख साल पुराना भी हो सकता है।पोटेशियम आर्गन डेटिंग या यूरेनियम थोरियम डेटिंग से इसका काल निर्धारण हो सकता है।’’

उन्होंने बताया, ‘‘आम तौर पर विशेषज्ञ ‘कपमार्क’ के बारे में अधिक ध्यान नहीं देते थे।हालांकि, पिछले कुछ समय से विशेषज्ञ इस तरफ ध्यान देने लगे हैं और इस तरह के हैरिटेज स्थलों के उचित रखरखाव के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और इंटेक जैसे संगठनों को आगे आना चाहिए और इसकी सुरक्षा का इंतजाम किया जाना चाहिए।’’ मध्यप्रदेश के भीमबैठका और मंदसौर में ‘दर की चट्टान’ में काम कर चुके बादाम ने कहा, ‘‘‘कपमार्क’ की डेटिंग करके काल निर्धारण कैसे किया जाये। इसे बनाने के लिए कठोर पत्थर का इस्तेमाल क्यों किया गया। लोगों में जागरूकता और सुरक्षा के लिए क्या उपाय किये जाने चाहिए।’’

रॉक आर्ट विशेषज्ञ डा. मुरारी लाल शर्मा ने बताया, ‘‘पाषाण युग को दो लाख साल पहले से दस हजार साल पहले तक विभिन्न चरणों में बांटा जाता है। हालांकि, 25 से 28 हजार साल पहले शतुरमुर्ग के अंडे मिले थे।इसका सीधा मतलब है कि उस वक्त मानव ने चित्राकंन प्रारंभ कर दिया था।यह ‘कपमार्क’ प्रारंभिक पाषाण युग के होने की संभावना है।’’ शर्मा ने बताया, ‘‘कला इतिहास के क्षेत्र में अरावली पर्वत श्रृंखला के एक छोर में इस तरह के प्रमाण पहली बार मिले हैं। दिल्ली के पास ‘कपमार्क’ मिलना अपने आप में क्रांतिकारी खोज है।अभी तक सुदूर क्षेत्रों में पाषाण युग के अवशेष मिलते थे।इसकी फोटो को माइक्रोस्कोप से देखने में इसके कटाव बेहद सहज लगते है, जो इसकी प्राचीनता के स्पष्ट प्रमाण है।’’ शर्मा ने हालांकि बताया कि इसकी प्राचीनता के बारे में स्पष्ट निर्धारण ‘साइंटिफिक डेटिंग’ के बाद ही किया जा सकता है। इसे क्यों बनाया गया इस बारे में कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता। इस बारे में पश्चिम और भारतीय राक आर्ट विशेषज्ञों की कई तरह की राय है।
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