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देश-दुनिया में नहाय खाय के साथ 4 दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व 2021 की शुरुआत
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Nov 09, 2021, 17:48 pm IST
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![]() देश-दुनिया में नहाय खाय के साथ छठ महापर्व 2021 की शुरुआत हो चुकी है. यह उत्सव 4 दिनों तक चलेगा. इस पूजा के चारों दिन लगन और निष्ठा के सूर्य के साथ छठी मैया (Chhathi Mata) की भी पूजा की जाती है. 4 दिनों तक चलता है छठ पर्वछठ पर्व (Chhath Puja 2021) के पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन शाम के समय सूर्य को अर्घ्य और चौते दिन उगते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है. छठ पूजा दिवाली के छठे दिन से शुरू होती है. छठी मैया यानी षष्ठी मैया की वजह से इस पर्व का नाम छठी पड़ा है. मान्यता है कि छठ के दूसरे दिन यानी खरना वाले दिन छठी मैया घर घार आती हैं और अपना शुभ आशीष देती हैं. कात्यायनी का प्रतिरूप हैं छठ देवीमाना जाता है कि षष्ठी देवी (Chhathi Mata) ब्रह्मा की मानसपुत्री हैं. प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इन देवी को यह नाम मिला. पुराणों में इन्हें कात्यायनी कहा गया है. नवरात्रों में छठे दिन इनकी पूजा की जाती है. इन्हीं कात्यायनी देवी को छठी देवी भी कहा जाता है. भगवान सूर्य को देते हैं अर्घ्यछठ पर्व (Chhath Puja 2021) में लोग उगते हुए सूर्य (Surya Dev) के साथ ही डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य प्रदान करते हैं. लोग नदी और साफ तालाबों में कमर तक पानी में खड़े होकर पूजा करते हैं. वे बांस के बने सूप और डाले में प्रसाद रखकर उन्हें भगवान सूर्य को प्रसाद अर्पित करते हैं. मान्यता है कि भगवान सूर्य अत्यंत दयालु हैं. उनकी उपासना करने से सभी तरह के रोगों से छुटकारा मिल जाता है. जो सूर्य की उपासना करते हैं, वे कभी दरिद्र, दुखी, शोकग्रस्त और अंधे नहीं होते हैं. बिहार में सूर्य देव के प्रति काफी आस्थाबिहार को सूर्यपुत्र कर्ण की जन्मस्थली कहा जाता है. यही वजह है कि बिहार के लोगों में भगवान सूर्य (Surya Dev) के प्रति काफी आस्था है. बिहार में एक सूर्य देव मंदिर भी है. इसकी खासियत है कि मंदिर का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा की ओर है, जबकि आमतौर पर सूर्य मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा की है. मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया था. पौराणिक कहानियों के मुताबिक महाराज मनु के पुत्र प्रियवंद की कोई संतान नहीं थी. महर्षि कश्यप ने संतान प्राप्ति के लिए राजा प्रियवंद और उनकी पत्नी मालिनी को एक यज्ञ अनुष्ठान करने को कहा. महर्षि कश्यप की आज्ञा से राजा प्रियवंद ने एक यज्ञ करवाया. जिसके बाद रानी मालिनी गर्भवती हो गईं. संयोगवश उनका बच्चा गर्भ में ही मर गया. जिससे राजा-रानी समेत सारी जनता दुखी हो गए. उसी दौरान राजा ने चमकीले पत्थर पर बैठी एक देवी (Chhathi Mata) को देखा. संतान के लिए किया जाता व्रत राजा के पूछने पर देवी ने बताया कि वे ब्रहमा जी की मानस पुत्री षष्ठी हैं और सभी बच्चों की रक्षा करती हैं. उसके बाद राजा और रानी ने नियम के साथ उनकी व्रत-पूजा की. जिससे उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. राजा प्रियवंद ने जिस दिन इस व्रत को रखा था, उस दिन कार्तिक मास की षष्ठी थी. तब से भी छठ के त्योहार की परंपरा शुरू हुई और संतान की रक्षा के लिए छठी मैया का व्रत (Chhath Puja 2021) किया जाने लगा. |
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