टोक्यो ओलिंपिक मीरा बाई चानू ने भारत के लिए जीता पहला पदक, रचा इतिहास

जनता जनार्दन संवाददाता , Jul 24, 2021, 13:18 pm IST
Keywords: Mirabai Chanu   Saikhom Mirabai Chanu   India's first medal   Tokyo Olympics   Olympics 2021   Tokyo Olympics   टोक्यो ओलिंपिक   भारोत्तोलक मीराबाई चानू   मीराबाई चानू   
फ़ॉन्ट साइज :
टोक्यो ओलिंपिक मीरा बाई चानू ने भारत के लिए जीता पहला पदक, रचा इतिहास टोक्योः टोक्यो ओलिंपिक में भारत की एक महिला भारोत्तोलक ने देश के लिए पहला मेडल लाने का श्रेय हासिल किया है. भारोत्तोलक मीराबाई चानू ने 49 किग्रा में रजत पदक हासिल कर इतिहास रचा है. वेटलिफ्टिंग में ये दूसरी बार है जब भारत ने ओलिंपिक में मेडल जीता है. इससे पहले 2000 के सिडनी ओलिंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी ‌ने कांस्य पदक जीता था. चानू ने क्लीन एवं जर्क में 115 किग्रा और स्नैच में 87 किग्रा से कुल 202 किग्रा वजन उठाकर रजत पदक अपने नाम किया.

वहीं, यह पहली बार है, जब भारत ने ओलिंपिक के पहले दिन पदक जीता. मीराभाई भारोत्तोलन में रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय हैं. स्नैच के बाद मीराबाई चानू दूसरे नंबर पर थीं. इसके बाद क्लीन एंड जर्क के पहले प्रयास में मीराबाई चानू 110 किग्रा उठाने में कामयाब रहीं. दूसरे प्रयास में मीराबाई चानू 115 किग्रा वजन उठाने में कामयाब रही थीं. हालांकि वह तीसरे प्रयास में नाकाम रहीं और रजत पदक से संतुष्ट होना पड़ा.

इस बीच, मीराबाई चानू को पीएम मोदी ने बधाई दी है. उन्होंने ट्वीट किया कि भारत मीराबाई चानू के शानदार प्रदर्शन से उत्साहित है. भारोत्तोलन में रजत पदक जीतने के लिए उन्हें बधाई. उनकी सफलता हर भारतीय को प्रेरित करती है.

मीराबाई ने 2016 रियो ओलिंपिक के निराशाजनक प्रदर्शन की भरपाई टोक्यो ओलिंपिक में पदक जीतकर कर ली. टोक्यो के लिए क्वालिफाई करने वाली एकमात्र भारोत्तोलक मीराबाई का रियो ओलिंपिक में क्लीन एवं जर्क में तीन में से एक भी प्रयास वैध नहीं हो पाया था.

पांच साल पहले के इस निराशाजनक प्रदर्शन के बाद उन्होंने वापसी की और 2017 विश्व चैम्पियनशिप में और फिर एक साल बाद राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर अपने आलोचकों को चुप कर दिया. उन्होंने पीठ की परेशानी से भी वापसी की, जिसके कारण वह 2018 में अच्छा नहीं कर सकी थीं.

साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महासंघ के नए वजन वर्ग को शामिल किए जाने के बाद अपने 48 किग्रा वजन को बदलकर 49 किग्रा कर दिया. मीराबाई का रियो में जिस वजह से निराशाजनक प्रदर्शन रहा था, वही अब उनकी मजबूती बन गई है. 26 साल की इस खिलाड़ी ने लगातार अपने वर्ग में सुधार किया और शीर्ष प्रतियोगिताओं में पदक की दावेदार बनी रहीं.

मीराबाई के नाम अब महिला 49 किग्रा वर्ग में क्लीन एवं जर्क में विश्व रिकॉर्ड भी है. उन्होंने टोक्यो ओलिंपिक से पहले अपने अपने अंतिम टूर्नामेंट एशियाई चैम्पियनशिप में 119 किग्रा का वजन उठाया और इस वर्ग में स्वर्ण और ओवरऑल वजन में कांस्य पदक जीता.

मीराबाई जब 24 जुलाई को भारोत्तोलन एरेना में उतरीं, तो इस प्रदर्शन का असर उनके आत्मविश्वास पर दिखा.  हाल के वर्षों में उनका क्लीन एवं जर्क में शानदार प्रदर्शन उन्हें अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे ही रखता आया है, पर उनका स्नैच स्पर्धा में प्रदर्शन अक्सर परेशानी का कारण बनता रहा है. कंधे की चोट की वजह से वह स्नैच में जूझती रही हैं, जिसे वह खुद भी स्वीकार करती हैं.  

मीराबाई अपनी कमजोरियों को जानती हैं और डॉ. आरोन होरशिग के साथ इन पर काम कर रही हैं, जो पूर्व भारोत्तोलक से फिजियो थेरेपिस्ट और स्ट्रेंथ एवं कंडिशिनंग कोच बने और इसका नतीजा सबके सामने है.

भारोत्तोलन में भारत की तरफ से यह अब तक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. इससे पहले साल 2000 में सिडनी ओलिंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी ने वेटलिफ्टिंग में देश को कांस्य पदक जिताया था. उस समय कर्णम ने कुल मिलाकर 240 किलोग्राम भार उठाया था. तब उन्होंने स्नैच में 110 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 130 किलोग्राम भारत उठाकर ओलिंपिक में भारत की तरफ से कांस्य पदक जीतने वाली पहली महिला बनी थीं.
वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल