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क्रिकेट खिलाड़ी हैं भारत में भगवान, सफल खिलाड़ी को मिलती है बेशुमार दौलत बरसता है अपार सम्मान

शशि काला, क्रिकेट प्रशिक्षक , Mar 05, 2016, 21:01 pm IST
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क्रिकेट खिलाड़ी हैं भारत में भगवान, सफल खिलाड़ी को मिलती है बेशुमार दौलत बरसता है अपार सम्मान

भारत में क्रिकेट के प्रति दीवानगी कुछ इस तरह है कि टीम इंडिया के लिए खेलने वाले क्रिकेटर भगवान की तरह पूजे जाते हैं। फाइनल मैच में इनके अच्छे प्रदर्शन के लिए पूरा देश दुआएं मांगता है। भारतीय टीम की जीत के साथ नाचने गाने इठलाने लगते हैं दुनिया भर के भारतवासी। वर्ल्ड कप जैसे मैचों में तो पूरे देश की धड़कनें मानों एक एक गेंद और रन के साथ धड़कने लगती है।

यदि आप की भी क्रिकेट में दिलचस्पी है और आप खुद अपने या अपने परिजनों और मित्रों के बच्चों को इस खेल के प्रति जुड़ाव देखें तो कम आयु से ही बच्चे की प्रतिभा निखारने के लिए उचित कदम उठाएं। आज की तारीख में खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब कहावत पुरानी बन चुकी है यदि आपने अपने बालक के लिए सही समय पर सही कदम उठाए तो खेलोगे कूदोगे बनोगे नवाब बिल्कुल फिट बैठेगा क्योंकि आपका बच्चा छोटी उमर से ही अपने जौहर दिखाने शुरु कर देगा और शोहरत तथा दौलत उसके पीछे पीछे चली आएगी। हां यह तय मानिए कि इसके लिए आपको और आपके बच्चे, दोनों को कड़ी मेहनत करनी होगी।

जब बच्चा आठ से दस साल का हो जाय तो क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित कीजिए। बच्चे के साथ खुद खेलिए। जब बच्चा बल्ला संभालने या गेंद फेंकने लायक हो जाय तो ग्यारह वर्ष की आयु से उसकी पढ़ाई के साथ उसके खेल प्रशिक्षण की भी व्यवस्था कीजिए। एक से दो वर्षों में अच्छे गुरु यानि खेल प्रशिक्षक के सानिंध्य में रहकर बच्चा क्रिकेट की बारीकियों को समझने लगेगा। जिस तरह पढ़ाई में बेहतर करने के लिए माता पिता को खुद बच्चों को पढ़ाना चाहिए और खुद पढ़ाने की योग्यता या समय का अभाव हो तो ट्यूशन का इंतजाम करना चाहिए ठीक वैसे ही क्रिकेट के लिए भी आपको योग्य खेल गुरु की तलाश करनी चाहिए क्योंकि एक योग्य क्रिकेट प्रशिक्षक ही आपके लाडले की क्षमता को निखार कर उसे सही तरीके से तराश सकता है।

छोटी आयु के बच्चों के लिए अंडर 14, अंडर 16, और अंडर 19 तीन आयु वर्ग में राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय क्रिकेट टीम में खेलने के लिए संभावनाएं हैं। यदि आपका बच्चा अंडर 14 भारतीय टीम में शामिल हो गया तो समझिए कि बड़ी लॉटरी लग गई क्योंकि यहां तक पहुंचने वाले 16 खिलाड़ियों को स्पांसर करने के लिए कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां तैयार हो जाती हैं। मगर इन 16 भाग्यशालियों में शामिल होना आसान नहीं क्योंकि बेहद कड़ी प्रतियोगिता है।

सबसे पहले बच्चे को स्कूल स्तर पर अपनी टीम में जगह बनानी पड़ती है। फिर विभिन्न स्कूलों के बीच जोनल, इंटरजोनल या इंटर डिस्ट्रिक्ट, स्टेट और नेशनल लेवल की प्रतियोगिताएं होती हैं। हर स्तर पर एक टीम में 16 खिलाड़ी शामिल होते हैं।  ये सोलह खिलाड़ी इन प्रतियोगिताओं में अपने जलवे दिखाते हुए आगे बढ़ते हैं। हर स्तर पर छंटनी होती रहती है और नेशनल लेवल पर टीम का गठन होता है। बीसीसीआई यानि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के नियंत्रण में अनेक प्रतियोगिताएं हैं जिनमें लीग स्तर पर मुकाबले होते हैं। इन लीग मुकाबलों में भाग लेने वाले बच्चों की पहचान छुटपन से होने लगती है और वे राज्य स्तर की टीमों में अपने राज्य की ओर से जगह बना सकते हैं। यहीं पर अपने राज्य के लिए खेलते हुए अंडर 19 वर्ल्ड कप टीम के लिए बच्चे चुने जाते हैं।

बच्चा जब राज्य स्तर की टीम में शामिल हो जाता है उसके बाद से उसके रोजगार के अवसर काफी बढ़ जाते हैं। भले ही वे राष्ट्रीय टीम में शामिल नहीं हो सकें लेकिन रेलवे, एयर इंडिया जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनिया या फिर टाटा स्टील जैसी निजी क्षेत्र की कंपनियों में खेल कोटे के तहत आरक्षित पदों पर या फिर सामान्य वर्ग में भी ऐसे खिलाड़ियों को रोजगार मिलता है।

और अब तो आई पी एल का जमाना शुरु हो चुका है जिसमें बीस ओवरों के फटाफट क्रिकेट में दनादन रन बना कर या फिर विकटें चटका कर तुरंत शोहरत दौलत और सम्मान मिलने का सिलसिला शुरु हो जाता है। मगर यह सम्मान टिकेगा तभी जब बच्चा कड़ी मेहनत करे और लगातार मेहनत करे। इस आलेख का अंत करना चाहूंगा महान भारतीय ऑलराउंडर कपिलदेव की उक्ति से एक इंटरव्यू में अपनी सफलता का राज बताते हुए उन्होंने कहा था “ माफ कीजिए प्रतिभाशाली खिलाड़ी तो बहुत होते हैं लेकिन अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए जो धैर्य के साथ लगातार मैदान पर प्रैक्टिस जारी रखता है वही विजेता बनता है ” ।

आप भी अपने बच्चे को क्रिकेट से जोड़ना चाहते हैं तो उसकी प्रतिभा और क्षमता निखारने के लिए लगातार प्रैक्टिस जारी रखिए। सफलता अवश्य मिलेगी।

{ इस आलेख के लेखक शशि काला पेशे के तौर पर दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के ककरौला विद्यालय में “शारीरिक शिक्षा शिक्षक यानि पीटीटी ” हैं और बीसीसीआई से क्रिकेट कोच के प्रशिक्षक की परीक्षा उत्तीर्ण कर स्वांतः सुखाय समाज के विशेष रूप से गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चों को निःशुल्क क्रिकेट कोचिंग कराते हैं। इन्हें निगम विद्यालय में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए राज्य शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। }   

 

 
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