प्रशांत भूषण ने संदिग्ध साख रखने वाले आप के 12 उम्मीदवारों के नाम सौंपे
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Jan 24, 2015, 15:13 pm IST
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नई दिल्ली: आप पार्टी के संस्थापक सदस्य शांति भूषण के बेटे और पार्टी के प्रमुख सदस्य प्रशांत भूषण ने अब अरविंद केजरीवाल के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। समाचार पत्र डीएनए की रिपोर्ट के मुताबिक सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के लोकपाल आंदोलन के समय से केजरीवाल के साथ जुड़े प्रशांत भूषण ने संदिग्ध साख रखने वाले आप के 12 उम्मीदवारों की सूची सौंपी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भूषण ने इन संदिग्ध साख वाले उम्मीदवारों का टिकट वापस लेने की मांग करते हुए अपनी सूची पार्टी के आंतरिक लोकपाल को सौंपी है। डीएनए के मुताबिक भूषण ने कहा, 'उम्मीदवारों का जिस तरह से चयन किया गया है, उसके बारे में काफी शिकायतें आई हैं। खासकर ऐसे उम्मीदवार जो हाल ही में अन्य पार्टियों से आए हैं। पार्टी के लोकपाल ने इनमें से दो उम्मीदवारों को हटाने की सिफारिश की थी।' आप पार्टी ने हाल ही में गोवर्धन सिंह और राजिंदर डबास के टिकट रद्द कर दिए। गौरतलब है कि इसके पहले शांति भूषण के पिता प्रशांत भूषण ने भाजपा की सीएम पद की उम्मीदवार किरण बेदी की प्रशंसा की थी जिससे आप पार्टी के लिए मुश्किल बढ़ गईं। पिछले कुछ महीनों से केजरीवाल के आलोचक रहे भूषण ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में बेदी का योगदान महत्वपूर्ण था। साथ ही उन्होंने बेदी के आरएसएस की प्रशंसा करने वाले बयान का भी समर्थन किया। भूषण ने कहा, ‘भाजपा से किरण बेदी का जुड़ना भाजपा का एक मास्टरस्ट्रोक है। मुझे लगता है कि पार्टी में उनको लाना तथा मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाया जाना एक मास्टरस्ट्रोक है क्योंकि अन्ना आंदोलन में बेदी, अरविंद (केजरीवाल) और प्रशांत (भूषण) के साथ थीं और भ्रष्टाचार खत्म करने के आंदोलन में उनका योगदान प्रभावशाली था।’ यह पूछे जाने पर कि क्या आप प्रमुख के पद से केजरीवाल को हटाया जाना चाहिए तो पूर्व केंद्रीय मंत्री ने ‘हां’ में जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘हां, आने वाले समय में क्योंकि वह अपने रास्ते से हट गए हैं।’ उन्होंने साथ ही यह भी जोड़ा कि केजरीवाल ने ‘स्वराज’ के सिद्धांत को भी त्याग दिया है। भूषण ने कहा कि केजरीवाल को हटाने पर पार्टी की राष्ट्रीय परिषद फैसला करेगी। भूषण के बयान पर टिप्पणी करने को कहे जाने पर केजरीवाल ने कहा, ‘हमारे यहां पार्टी के भीतर आंतरिक लोकपाल है जिसने हाल में दो उम्मीदवारों को बदलने का फैसला किया। उनकी टिप्पणी से साबित होता है कि पार्टी के भीतर आंतरिक लोकतंत्र है।’ |
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