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शरद पूर्णिमा खीर की मिठास में छिपा स्वास्थ्य और आध्यात्म का रहस्य
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Oct 05, 2025, 11:49 am IST
Keywords: शरद पूर्णिमा 2025 आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि भगवान श्रीकृष्ण और महारास की कथा sharad purnima
![]() आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को हर वर्ष मनाया जाने वाला शरद पूर्णिमा का पर्व न केवल धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है, बल्कि इसमें सेहत से संबंधित कई गहरे अर्थ भी छिपे होते हैं. वर्ष 2025 में यह विशेष दिन 6 अक्टूबर, सोमवार को मनाया जाएगा. यह वही शुभ रात मानी जाती है जब चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ उदित होता है और उसकी किरणें पृथ्वी पर अमृत बरसाती हैं. इसी अमृत तत्व को आत्मसात करने के लिए शरद पूर्णिमा की रात में खुले आसमान के नीचे खीर रखने की परंपरा सदियों से निभाई जाती रही है. शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर उसे चांदनी में रखने का जो विधान है, वह केवल परंपरा नहीं बल्कि गहराई से जुड़ी हुई मान्यता है. यह विश्वास किया जाता है कि इस विशेष रात चंद्रमा की किरणें औषधीय ऊर्जा से परिपूर्ण होती हैं. जब खीर को पूरी रात इन किरणों में रखा जाता है, तो उसमें चंद्र किरणों का अमृत समाहित हो जाता है. यह खीर फिर केवल स्वादिष्ट पकवान नहीं रह जाती, बल्कि तन और मन को पोषण देने वाला दिव्य प्रसाद बन जाती है. भगवान श्रीकृष्ण और महारास की कथा से जुड़ी आस्था धार्मिक ग्रंथों में वर्णन है कि द्वापर युग में इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में गोपियों के साथ महारास किया था. यह रात प्रेम, भक्ति और आनंद का अद्वितीय संगम मानी जाती है. कहते हैं कि उसी रासलीला से प्रसन्न होकर चंद्रमा ने अपनी अमृतमयी किरणों से पृथ्वी को नहलाया था. यही कारण है कि इस रात को आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र और फलदायी माना जाता है. इसी दिन को मां लक्ष्मी के प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. मां को खीर अर्पित करने से वे प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को धन, सौभाग्य और समृद्धि का वरदान देती हैं. सेहत से जुड़ी हैरान करने वाली खूबियाँ शरद पूर्णिमा की खीर को केवल धार्मिक महत्व के लिए नहीं जाना जाता, बल्कि इसके पीछे छिपे स्वास्थ्य लाभ भी उतने ही उल्लेखनीय हैं. चंद्रमा की ठंडी किरणों में रातभर रखी खीर शरीर को ठंडक प्रदान करती है और पेट के लिए लाभकारी मानी जाती है. दूध और चावल का मेल पाचन तंत्र को आराम देने में मदद करता है, जिससे अपच, गैस और एसिडिटी जैसी समस्याएं दूर रहती हैं. इसके अलावा इस खीर में मेवे जैसे बादाम, पिस्ता, काजू और केसर डाले जाते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं. इन मेवों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन E और मिनरल्स शरीर को रोगों से लड़ने की ताकत देते हैं. केसर के गुण मानसिक स्वास्थ्य को भी संबल प्रदान करते हैं, क्योंकि इसमें तनाव को कम करने और मूड बेहतर बनाने वाले तत्व मौजूद होते हैं. ऊर्जा का स्रोत और सौंदर्य का रक्षक खीर को एक ऊर्जा से भरपूर भोजन माना गया है. दूध में पाया जाने वाला प्रोटीन, चावल में मौजूद कार्बोहाइड्रेट और ऊपर से डाली गई चीनी मिलकर शरीर को तुरंत शक्ति और ताजगी देते हैं. यही नहीं, यह मीठा प्रसाद त्वचा और बालों के लिए भी वरदान समान होता है. दूध और मेवों में पाए जाने वाले पोषक तत्व त्वचा को अंदर से नमी और चमक प्रदान करते हैं, वहीं बालों की जड़ों को मजबूती देते हैं. मानसिक संतुलन और शांति का माध्यम शरद पूर्णिमा की खीर केवल शरीर ही नहीं, मन को भी पोषण देती है. दूध में ट्रिप्टोफैन नामक अमीनो एसिड पाया जाता है, जो मस्तिष्क में सेरोटोनिन हार्मोन के निर्माण को बढ़ावा देता है. यही हार्मोन हमारे मूड को नियंत्रित करता है और हमें मानसिक शांति प्रदान करता है. इस खीर का सेवन मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में भी सहायक माना गया है. |
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