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लश्कर और जैश ने नेपाल के रास्ते भारत को दहलाने का बनाया प्लान
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Jul 12, 2025, 13:04 pm IST
Keywords: भारत जैश-ए-मोहम्मद काठमांडू Jaish E Mohhamad Transit Route
![]() नई दिल्ली: भारत की सुरक्षा एजेंसियों को पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों से जुड़े एक नए खतरे को लेकर सतर्क किया गया है. नेपाल के राष्ट्रपति के सलाहकार सुनील बहादुर थापा ने हाल ही में संकेत दिए हैं कि लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे आतंकी गुट नेपाल को पारगमन मार्ग (Transit Route) के रूप में इस्तेमाल कर भारत में प्रवेश की योजना बना सकते हैं. यह चेतावनी 9 जुलाई को काठमांडू में एक उच्च-स्तरीय सुरक्षा सेमिनार के दौरान दी गई, जिसमें दक्षिण एशिया में आतंकवाद के उभरते खतरे और इससे निपटने की रणनीतियों पर चर्चा हुई. खुली सीमा बनी सुरक्षा चुनौती भारत और नेपाल के बीच 1,751 किलोमीटर लंबी खुली सीमा है, जो ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक मानी जाती है. हालांकि, यह सीमा सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील भी बनती जा रही है. सीमावर्ती इलाकों में न्यूनतम जांच और नागरिकों की आसान आवाजाही के कारण आतंकी तत्व जाली दस्तावेजों या छद्म पहचान के ज़रिए इस मार्ग का दुरुपयोग कर सकते हैं. पिछले कुछ वर्षों में इस मार्ग से आतंकियों की आवाजाही की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें सुरक्षा एजेंसियों ने समय रहते कई संदिग्धों को हिरासत में लिया है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद खतरे की आशंका भारत द्वारा 7 मई को चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और पंजाब प्रांत में स्थित LeT और JeM के ठिकानों को निशाना बनाया गया था. इसके बाद, विश्लेषकों का मानना है कि इन संगठनों की ओर से प्रत्युत्तरात्मक कार्रवाई (retaliatory attempts) की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. यही कारण है कि नेपाल के वरिष्ठ अधिकारी की यह चेतावनी सिर्फ नेपाल के लिए ही नहीं, भारत और पूरे दक्षिण एशिया के लिए भी अहम मानी जा रही है. सुरक्षा सहयोग की जरूरत पर बल सेमिनार में वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और नेपाल को आतंकवाद से निपटने के लिए मजबूत सहयोग, खुफिया जानकारी साझा करने, सीमावर्ती क्षेत्रों में संयुक्त गश्त और मनी लॉन्ड्रिंग पर नियंत्रण जैसे मुद्दों पर मिलकर काम करना चाहिए. इसके साथ ही क्षेत्रीय स्तर पर दोहरे मानकों से बचते हुए, सभी आतंकवादी गतिविधियों की समान रूप से निंदा करने का भी आह्वान किया गया. पाकिस्तान की भूमिका पर भी चर्चा सेमिनार के दौरान यह भी कहा गया कि पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ढांचों को समर्थन मिलना सार्क क्षेत्रीय एकीकरण और शांति प्रयासों में एक बड़ी बाधा बना हुआ है. विशेष रूप से उन आतंकी संगठनों का जिक्र हुआ जिनका अतीत में भारत पर बड़े आतंकी हमलों—जैसे 2001 संसद हमला, 2008 मुंबई हमला, 2016 पठानकोट और 2019 पुलवामा हमला—में संलिप्तता रही है. |
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