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200 बार टोल क्रॉस, 3000 रुपए में एक साल... FASTag को नियमों में हुआ बदलाव
जनता जनार्दन ,
Jun 18, 2025, 16:01 pm IST
Keywords: Radio Frequency Identification FASTag हाईवे यात्रा nitin gadkari
![]() नई दिल्ली: देशभर में हाईवे यात्रा को आसान और सुगम बनाने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक नई पहल की है. अब निजी वाहनों (नॉन-कमर्शियल) के लिए FASTag आधारित वार्षिक पास उपलब्ध होगा, जिसकी कीमत ₹3,000 प्रति वर्ष तय की गई है. इस सुविधा की शुरुआत 15 अगस्त 2025 से की जाएगी. यह नया विकल्प खासतौर से उन लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है जो नियमित रूप से नेशनल हाईवे पर यात्रा करते हैं. आइए इस नई व्यवस्था से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं को पांच प्रमुख सवाल-जवाब के ज़रिए समझते हैं. 1. FASTag पहले से है, तो वार्षिक पास की ज़रूरत क्यों? FASTag के वर्तमान सिस्टम में हर बार टोल पार करते समय निर्धारित शुल्क कटता है. ऐसे में बार-बार यात्रा करने वालों के लिए यह खर्च बढ़ सकता है. नया वार्षिक पास एक फिक्स्ड प्राइस मॉडल पर आधारित है – ₹3,000 में आप या तो एक वर्ष तक या अधिकतम 200 टोल क्रॉसिंग तक यात्रा कर सकते हैं. यानी बार-बार टोल देने की ज़रूरत नहीं. यह मॉडल विशेष रूप से उन निजी वाहन मालिकों के लिए उपयोगी है जो फ्रीक्वेंट ट्रैवलर हैं और टोल पर बार-बार भुगतान करते हैं. 2. वार्षिक पास को कैसे प्राप्त किया जा सकता है? इस पास के लिए आवेदन प्रक्रिया को सरल और डिजिटल बनाया जा रहा है. उपयोगकर्ता निम्न प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए पास प्राप्त कर सकेंगे:
यहां पर आवश्यक विवरण भरने के बाद भुगतान किया जा सकता है और पास को सक्रिय किया जा सकेगा. 3. क्या यह पास हर टोल प्लाज़ा पर मान्य होगा? यह पास सिर्फ नेशनल हाईवे के टोल प्लाज़ा पर वैध होगा. यानी अगर आप दिल्ली-मुंबई, बेंगलुरु-चेन्नई या किसी अन्य राष्ट्रीय राजमार्ग पर यात्रा कर रहे हैं, तो यह पास पूरी तरह से मान्य रहेगा. हालांकि, ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह पास राज्यीय (State) हाईवे या लोकल टोल रोड्स पर लागू नहीं होगा. 4. 60 किलोमीटर के दायरे वाले यात्रियों के लिए मददगार हां. पहले से यह शिकायत आम थी कि घर या ऑफिस से 60 किमी के भीतर मौजूद टोल प्लाज़ा पर भी बार-बार शुल्क देना पड़ता है, विशेषकर डेली कम्यूटर्स के लिए. यह पास इस समस्या का समाधान प्रदान करता है. अब अगर कोई व्यक्ति रोज़ या बार-बार एक ही टोल पार करता है, तो उसे बार-बार शुल्क नहीं देना पड़ेगा. इससे स्थानीय निवासियों को बड़ी राहत मिलेगी. 5. नई व्यवस्था के पीछे सरकार की मंशा? इस स्कीम का उद्देश्य केवल सुविधा बढ़ाना नहीं, बल्कि पूरे टोल मैनेजमेंट सिस्टम को अधिक डिजिटल, संगठित और पारदर्शी बनाना है. इसके जरिए सरकार और NHAI के कुछ प्रमुख उद्देश्यों को पूरा किया जाएगा:
फास्टैग क्या है और यह कैसे काम करता है? FASTag एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम है जिसमें RFID (Radio Frequency Identification) तकनीक का उपयोग होता है. यह टैग वाहन की विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है और टोल बूथ पर स्कैन होते ही वाहन चालक के बैंक खाते या वॉलेट से स्वतः भुगतान हो जाता है. इससे समय की बचत होती है, वाहनों को टोल पर रुकने की जरूरत नहीं होती और ईंधन की भी बचत होती है. |
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