हरकतों से बाज नहीं आ रहा पाकिस्तान, अफगानिस्‍तान को दहलाने की साजिश

जनता जनार्दन संवाददाता , May 28, 2025, 16:33 pm IST
Keywords: पाकिस्तान   अफगानिस्‍तान   इस्लामिक स्टेट    India Pakistan War  
फ़ॉन्ट साइज :
हरकतों से बाज नहीं आ रहा पाकिस्तान, अफगानिस्‍तान को दहलाने की साजिश

अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत में सुरक्षा बलों ने हाल ही में एक बड़ी आतंकी साजिश को नाकाम करते हुए पाकिस्तान की ओर से भेजे गए विस्फोटकों से भरे ट्रक को पकड़ा है. इस ट्रक की आड़ में पाकिस्तान से अफगानिस्तान को चूना (Lime) भेजे जाने का दावा किया गया था, लेकिन जब सुरक्षा बलों ने चेकपॉइंट पर इसकी जांच की तो सच्चाई कुछ और ही निकली.

ट्रक में बड़े-बड़े ड्रमों में रखे गए डिब्बों को जब खोला गया, तो उसमें 270 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री, 100 इंस्टेंट फ्यूज और 36 पैकेट पटाखे बरामद किए गए. अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने दावा किया है कि यह सामग्री इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठनों को सौंपने के इरादे से भेजी जा रही थी, जिससे देश में हिंसा और अस्थिरता फैलाई जा सके.

तालिबान प्रशासन के मुताबिक, यह घटना पाकिस्तान की लंबे समय से चली आ रही रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह अपने पड़ोसी देशों में आतंक फैलाने के लिए अपनी जमीन का इस्तेमाल आतंकी समूहों को सौंपने में करता रहा है. इस घटनाक्रम के सबूत के तौर पर जब्त की गई विस्फोटक सामग्री की तस्वीरें भी सार्वजनिक की गई हैं.

संबंधों में बढ़ता तनाव

यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब पहले से ही पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण हैं. अफगानिस्तान ने पहले भी कई बार पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने और सीमा पार हमलों को अंजाम देने का आरोप लगाया है.

विशेष रूप से 24 दिसंबर 2024 को पकतीका प्रांत के बरमल जिले में हुए पाकिस्तानी हवाई हमले ने दोनों देशों के बीच की दूरी और बढ़ा दी. तालिबान प्रशासन के अनुसार, इस हमले में 46 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल थे. यह हमला ऐसे समय में हुआ जब इलाके में वज़ीरिस्तान के शरणार्थी रह रहे थे. तालिबान ने इस कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन करार दिया था.

राजनीतिक समीकरणों पर प्रभाव

विश्लेषकों का मानना है कि अफगानिस्तान में स्थिरता की राह में पाकिस्तान की भूमिका बेहद जटिल और संदिग्ध रही है. एक तरफ पाकिस्तान अफगान तालिबान के साथ संवाद और राजनयिक संबंधों को आगे बढ़ाने की कोशिश करता है, वहीं दूसरी ओर ऐसी घटनाएं उसकी मंशा पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं.

पाकिस्तानी नेतृत्व, खासतौर पर सेना प्रमुख आसिम मुनीर की भूमिका लगातार आलोचना के घेरे में रही है. उन पर क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाने के आरोप लगते रहे हैं. अफगान तालिबान की ओर से बार-बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद पाकिस्तान की नीतियों में कोई खास बदलाव नहीं देखा गया है.

आगे की राह क्या होगी?

यह घटना सिर्फ एक आतंकी साजिश को नाकाम करने की नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच गहरे अविश्वास की तस्वीर भी पेश करती है. क्षेत्रीय स्थिरता के लिए यह आवश्यक है कि पाकिस्तान अपनी सीमाओं के भीतर आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करे और अफगानिस्तान की संप्रभुता का सम्मान करे.

यदि ऐसा नहीं हुआ, तो न केवल अफगानिस्तान, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में सुरक्षा और शांति के प्रयास गंभीर खतरे में पड़ सकते हैं.

अन्य राष्ट्रीय लेख
वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल