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जब प्रियंका की स्पीच से भिंच गईं थीं मुट्ठियां

गौरव अवस्थी , Jun 19, 2024, 17:24 pm IST
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जब प्रियंका की स्पीच से भिंच गईं थीं मुट्ठियां
वह तारीख 29 सितंबर 1999 थी। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी तब महज 27 साल की ही थीं। अमेठी में पहली बार चुनाव मैदान में उतरी मां सोनिया गांधी का प्रचार संभाल रहीं प्रियंका गांधी रायबरेली में किस्मत आजमा रहे कैप्टन सतीश शर्मा के पक्ष में पहली बार धुआंधार किया था। तब कभी इंदिरा गांधी के विश्वासपात्र रहे अरुण नेहरू भाजपा के उम्मीदवार थे। यह वही अरुण नेहरू थे, जो 1980 में इंदिरा गांधी के इस्तीफा के बाद यूपी चुनाव लड़कर पहली बार संसद पहुंचे थे। इंदिरा गांधी के बाद रायबरेली लोकसभा क्षेत्र के विकास काजिमा उन्हीं के कंधों पर आया।  अरुण नेहरू मुगालते में थे कि इंदिरा गांधी के समय में किए गए विकास के काम को लेकर लोग उन्हें अपनाएंगे लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा.
 
वह चुनाव इंदिरा गांधी के लोकसभा क्षेत्र रायबरेली में कांग्रेस की पुर्नप्रतिष्ठा का था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लंबे अंतराल के बाद अमेठी को अपनाया था और प्रयोग के तौर पर गांधी परिवार ने कैप्टन शर्मा को यहां चुनाव लड़ने भेजा। कैप्टन शर्मा की चुनाव में नैया पार कराने के लिए प्रियंका गांधी को रायबरेली में प्रचार के लिए भेजा गया। विशेष विमान के बजाय प्रियंका गांधी रेगुलर फ्लाइट से अमौसी एयरपोर्ट और वहां से सड़क मार्ग से रायबरेली के बछरावां पहुंची। यहां उनकी पहली चुनावी सभा थी.
 
इंदिरा गांधी की पौत्री और राजीव गांधी की पुत्री की एक झलक देखने के लिए भारी हुजूम बछरावां के गांधी मैदान में जुटा था। प्रियंका गांधी की इस चुनावी सभा को कवर करने के लिए मैं बछरावां के गांधी मैदान में खुद उपस्थित था। प्रियंका ने अपने धारदार भाषण से उस चुनाव की फिजां ही बदल दी। करीब 20 मिनट के भाषण में प्रियंका का वह वाक्य ही लोगों को याद रहा-' परिवार की पीठ में छुरा घोपने वाले गद्दार को आपने रायबरेली में घुसने कैसे दिया?' अपने भाषण का यही तेवर प्रियंका ने रायबरेली शहर के राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान सहित सभी सभाओं में भी दिखाया और देखते ही देखते चुनाव की पूरी फिजां ही बदल गई. 
 
पूरे चुनाव के दौरान प्रियंका के इसी तेवर की चर्चा होती रही और गांव-गांव कांग्रेस के पक्ष में लहर चल पड़ी। उसे एक दिन के धुआंधार प्रचार में प्रियंका गांधी ने जिले में पांच बड़ी और करीब 100 नुक्कड़ सभाओं को संबोधित किया। लोकसभा क्षेत्र में करीब 200 किलोमीटर सड़कें नापीं और दो से ढाई लाख मतदाताओं के सीधे संपर्क में आईं.
 
प्रियंका के उस भाषण का असर यह रहा कि जीत की उम्मीद लेकर आए भाजपा उम्मीदवार अरुण नेहरू चौथे स्थान पर पहुंच गए। उन्हें समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार गजाधर सिंह और बसपा प्रत्याशी आनंद प्रकाश लोधी से भी कम मत हासिल हो पाए। सतीश शर्मा को 2,24,202, गजाधर सिंह को 1,50,653, आनंद प्रकाश लोधी को 1,37,775 और अरुण नेहरू को 1,36,217 मत मिले थे। आनंद प्रकाश लोधी तो ऐसे उम्मीदवार थे, जिनकी कोई पहचान ही चुनाव के पहले तक रायबरेली क्षेत्र में नहीं थी। इसके बावजूद अरुण नेहरू उनसे 1558 वोट कम पाए थे.
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