![]() |
क्या CM योगी आदित्यनाथ इस्तीफा देंगे?
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Jun 06, 2024, 16:57 pm IST
Keywords: Opinion CM योगी आदित्यनाथ सीएम योगी आदित्यनाथ सपा डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस
![]() वैसे इस तरह के सवाल को खड़ा करने वाले नैतिकता का हवाला देकर इस तरह की मांग कर रहे हैं. ये सवाल कुछ ऐसा ही है जैसा कि विपक्ष पीएम मोदी से मांग कर रहा है कि बीजेपी अपने दम पर बहुमत के आंकड़े को नहीं छू सकी लिहाजा उनको इस्तीफा देना चाहिए. कुछ लोग नीतीश कुमार का उदाहरण दे रहे हैं कि जब 2014 में उनकी पार्टी जेडीयू का प्रदर्शन खराब रहा था तो उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था. लेकिन इस तरह की मांगों के बीच जमीनी हकीकत को भी समझने की जरूरत है. यूपी सरकार के 16 मंत्री अपनी विधानसभा हारे. सूर्य प्रताप शाही की पथरदेवा में बीजेपी हार गई. राकेश सचान की भोगनीपुर सीट में पार्टी हार गई. जयवीर सिंह, ओम प्रकाश राजभर, असीम अरुण, मयंकेश्वर शरण, सोमेंद्र तोमर, सुरेश राही, अनूप बाल्मिकी, सतीश शर्मा और विजय लक्ष्मी गौतम अपनी अपनी सीटों पर बीजेपी को नहीं जिता पाए. यूपी सरकार के अधिकाश मंत्री अपने क्षेत्रों में बेअसर रहे. सूत्रों का कहना है कि यूपी में भितरघात के कारण बीजेपी हारी है. इस संबंध में राज्य इकाई रिपोर्ट तैयार करेगी और भाजपा आलाकमान इस पर एक्शन लेगा. सिर्फ इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश संगठन में बदलाव तय माने जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि संगठन के स्तर पर बड़े बदलाव होंगे. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी को पद से हटाया जा सकता है. इसी तरह उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन न कर पाने वाले क्षेत्रीय अध्यक्ष से लेकर जिला और महानगर अध्यक्ष तक पर गाज गिर सकती है. अगले महीने की 15 तारीख से पहले संगठन में बदलाव हो सकता है. इसी परिप्रेक्ष्य में ये कहा जा रहा है कि बीजेपी के 33 सीटों पर सिमटने का असर क्या सीएम योगी पर भी पड़ सकता है? कई विश्लेषकों का ये कहना है कि बीजेपी की तरफ से टिकट बंटवारे में किसकी सबसे ज्यादा भूमिका रही...ये देखने वाली बात होगी. हार का ठीकरा भी उसी पर फूटेगा. लेकिन इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक ये भी कह रहे हैं कि सीएम योगी को ही केवल जिम्मेदार ठहराना सही नहीं रहेगा क्योंकि इसके पीछे कई अन्य कारण भी हैं. मसलन पीएम नरेंद्र मोदी की पिछली बार की तुलना में अपेक्षाकृत कम मार्जिन से जीत और इसी तरह अमेठी से स्मृति ईरानी का हारना ये बताता है कि बीजेपी को गंभीर आत्ममंथन से गुजरना होगा. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक बीजेपी की हार का सबसे बड़ा कारण ये रहा कि बीजेपी टिकट बंटवारे में ठीक से संतुलन नहीं बना पाई. पार्टी ने यूपी की 75 सीटों पर अकेले दम चुनाव लड़ा. इनमें से 16 ब्राह्मण, 13 ठाकुर उम्मीदवारों को टिकट दिया गया. इनमें से केवल 8-6 ही जीते. इसके विपरीत सपा ने परंपरागत मुसलमान-यादव (MY) वोटबैंक की तुलना में पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक (PDA) पर फोकस करते हुए अपने 62 प्रत्याशियों में से 57 गैर यादव उम्मीदवारों को मैदान में उतारा. अखिलेश यादव ने यादव जाति के केवल 5 लोगों को टिकट दिया. ये सभी उन्हीं के परिवार के सदस्य हैं. इसके अलावा चुनावों के ऐन मौके पर पेपर लीक, अग्निवीर का मसला, संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर जिस तरह से राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने बीजेपी को घेरा, उसका सटीक काउंटर बीजेपी नहीं दे पाई. इसके जवाब में हिंदुत्व कार्ड, मंगलसूत्र, विरासत टैक्स के मुद्दे जो बीजेपी की तरफ से उछाले गए, वे कहीं न कहीं लोगों के गले नहीं उतरे. |
क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं? |
|
हां
|
|
नहीं
|
|
बताना मुश्किल
|
|
|