रायबरेली से राहुल, तो प्रियंका के लिए कांग्रेस का क्या है गेम 2.0?

जनता जनार्दन संवाददाता , May 03, 2024, 17:39 pm IST
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रायबरेली से राहुल, तो प्रियंका के लिए कांग्रेस का क्या है गेम 2.0? इस बार के देशसभा चुनाव की सबसे हॉट सीटों में से एक अमेठी सीट से कांग्रेस ने बीजेपी को लगभग वॉकओवर दे दिया है. राहुल गांधी के चुनाव लड़ने की उम्मीद थी लेकिन आखिरी समय में उन्हें रायबरेली से प्रत्याशी घोषित कर दिया गया है. हालांकि अमेठी से भी कांग्रेस ने किशोरी लाल शर्मा के नाम का ऐलान कर दिया है. इन सबके बीच कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को चुनाव मैदान में नहीं उतारा है. लेकिन कांग्रेस नेता जयराम रमेश के एक बयान के बाद चर्चा का दौर शुरू हो गया है कि कांग्रेस ने प्रियंका गांधी के लिए प्लान बना रखा है.

असल में अमेठी रायबरेली सीट से उम्मीदवारों के नाम के ऐलान के बाद प्रियंका से जुड़े सवाल पर जयराम रमेश ने कहा कि प्रियंका धुआंधार प्रचार कर रही हैं और प्रत्येक झूठ का जवाब सच से देकर बोलती बंद कर रही हैं, इसीलिए यह जरूरी था कि उन्हें सिर्फ अपने चुनाव क्षेत्र तक सीमित ना रखा जाए. 

इसके बाद जयराम ने यह भी कहा कि प्रियंका जी तो कोई भी उपचुनाव लड़कर सदन पहुंच जाएंगी. शतरंज की कुछ चालें बाकी हैं, थोड़ा इंतजार कीजिए. जयराम ने यह भी कहा कि राहुल गांधी जी की रायबरेली से चुनाव लड़ने की खबर पर बहुत सारे लोगों की बहुत सारी राय हैं. लेकिन वो राजनीति और शतरंज के मंजे हुए खिलाड़ी हैं और सोच समझ कर दांव चलते हैं. जयराम के इस बयान का मतलब यह भी है हो सकता है कि रायबरेली और वायनाड की दोनों सीटों से जीतने के बाद भी कांग्रेस के पास एक सीट से विकल्प खुला रहेगा.

जयराम रमेश के इस बयान के बाद राजनीतिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि कांग्रेस प्रियंका गांधी को फ़िलहाल चुनाव में उतारने के मूड में नहीं दिख रही है. अगर ऐसा होता तो अब तक कहीं ना कहीं से उनके नाम का ऐलान कर दिया होता. दूसरी तरफ प्रियंका गांधी पिछले कुछ समय से अपनी सभाओं को लेकर चर्चा में हैं और वे पीएम मोदी पर सीधे निशाना साधने से भी नहीं चूक रही हैं. ऐसे में कांग्रेस पूरे देश में उनकी सभाएं आयोजित कर रही है. रही बार जयराम के बयान का जिसमें उन्होंने उपचुनाव का जिक्र किया है तो वह विकल्प तो खुला ही रहेगा. 

बता दें कि अमेठी और रायबरेली गांधी-नेहरू परिवार के पारंपरिक क्षेत्र माने जाते हैं क्योंकि इस परिवार के सदस्यों ने कई दशकों तक इन सीट का प्रतिनिधित्व किया है. ऐसे में इस सीट को लेकर चर्चाओं का दौर काफी लंबा चला है. 

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