सूर्य ग्रहण से सुलझेगी पृथ्वी की गुत्थी
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Apr 02, 2024, 14:56 pm IST
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अगले हफ्ते दुनिया एक अनूठी खगोलीय घटना की गवाह बनेगी. पृथ्वी के चक्कर लगाता हुआ चांद, हमारे सूरज को पूरी तरह अपनी ओट में ले लेगा. नतीजा सामने आएगा. जिन-जिन इलाकों में पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखेगा, वहां कुछ मिनटों के लिए अंधेरा छा चुका होगा. 8 अप्रैल 2024 के पूर्ण सूर्य ग्रहण को भारत में नहीं देखा जा सकेगा. इससे उलट अमेरिका, कनाडा और मेक्सिको के कई हिस्से अंधेरे में होंगे. वैज्ञानिकों से लेकर आम लोगों को भी सूर्य ग्रहण का इंतजार है. अमेरिका की नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन यानी NASA ने तो खास तैयारी कर रखी है. वर्जीनिया में मौजूद NASA के इंजीनियर्स पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान अंधेरे वाले कुछ मिनटों में तीन-तीन रॉकेट्स दागेंगे. तीनों रॉकेट्स सीधे ग्रहण की छाया में लॉन्च किए जाएंगे. वैज्ञानिकों इन रॉकेट्स की मदद से यह समझना चाहते हैं कि सूरज की रोशनी में अचानक गिरावट का हमारे सूरज के वायुमंडल पर क्या असर होता है.
सूर्य ग्रहण के दौरान, जब दिन से रात होती है तो तापमान तेजी से गिरता है. इस दौरान जानवर भी रात जैसा व्यवहार करने लगते हैं. विज्ञान अब तक यह नहीं जान सका है कि इस अंधेरे का पृथ्वी के वायुमंडल की ऊपरी परत पर क्या असर होता है. धरती के ऊपरी और निचले वायुमंडल के बीच वाली सीमा पर कुछ मिनटों के इस अंधेरे का कैसा प्रभाव होता है, यह जानना है. ऊपरी और निचले वायुमंडल के बीच की परत को आयनमंउल कहा जाता है. यह पृथ्वी की सतह से 90 से 500 किलोमीटर के बीच फैला हुआ है. आयनमंडल में सूर्य से आने वाला अल्ट्रावायलेट रेडिएशन लगातार परमाणुओं से इलेक्ट्रॉनों को दूर ले जाता है. इस वजह से भारी मात्रा में इलेक्ट्रिकली चार्ज्ड पार्टिकल्स बनते हैं जो ऊपरी वायुमंडल को फुला देते हैं. सूर्यास्त के समय यह (आयनमंडल) पतला हो जाता है क्योंकि ये आयन न्यूट्रल परमाणुओं में फिर से जुड़ जाते हैं. अगली सुबह फिर यही प्रक्रिया दोहराई जाती है. आप आयनमंडल को किसी तालाब की तरह समझें जिसमें बेहद हल्की-हल्की लहरें उठती हैं. जब सूर्य ग्रहण होता है तो ऐसी स्थिति बनती है जैसे कोई मोटरबोट तालाब के पानी को चीरती हुई आगे बढ़ी जा रही हो. कुछ समय के लिए बोट के नीचे और पीछे थोड़ी जगह खाली हो जाती है, जलस्तर बढ़ जाता है लेकिन फिर पानी अपनी जगह ले लेता है. 8 अप्रैल 2024 को जब सूर्य ग्रहण की शुरुआत होगी और अंधेरा छाने लगेगा, उस समय NASA पहला रॉकेट लॉन्च करेगा. कुछ मिनटों बाद, दूसरा रॉकेट छोड़ा जाएगा. अंधेरा छंटने के बाद तीसरे रॉकेट के आसमान में जाने की बारी आएगी. NASA को उम्मीद है कि ये तीन रॉकेट्स हमें इतना डेटा भेज देंगे कि हम आयनमंडल में होने वाले डिस्टरबेंस को समझ पाएं. इस डिस्टरबेंस की वजह से रेडियो और सैटेलाइट कम्युनिकेशन में दिक्कत आती है |
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