अखिलेश यादव और संजय राउत बार-बार अमेरिका क्यों पहुंच जाते हैं?

जनता जनार्दन संवाददाता , Dec 04, 2023, 17:12 pm IST
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अखिलेश यादव और संजय राउत बार-बार अमेरिका क्यों पहुंच जाते हैं? देश के 5 राज्यों में हुए असेंबली चुनाव में से बीजेपी ने सभी को चौंकाते हुए 3 स्टेट में जोरदार जीत दर्ज की है. उसकी इस जीत ने INDIA गठबंधन के नेताओं को हैरान- परेशान कर दिया है. उन्होंने इस चुनावी रिजल्ट के पीछे एक बार फिर EVM की भूमिका पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है. अखिलेश यादव और संजय राउत ने चुनावी नतीजों पर कमेंट करते हए ईवीएम पर शक जताया है और अमेरिका का उदाहरण देते हुए बैलेट से वोटिंग करवाने की मांग की है. 

राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़  में अपनी पार्टी की हार पर अखिलेश यादव ने कहा, 'हम लोग निराश नहीं है. इस तरह के परिणाम आते रहते हैं. जो भी परिणाम आएंगे, राजनीतिक पार्टी उसे स्वीकार करेगी. यह एक लंबी जंग है, जिसमें जीत हासिल करने के लिए हमें बहुत तैयारी करनी पड़ेगी. मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में परिणाम दूसरे होंगे.

EVM पर सवाल उठाते हुए अखिलेश यादव  ने कहा, 'हमें अमेरिका और जापान से सीखना चाहिए. वहां पर बैलेट के जरिए वोटिंग होती है, जिसकी गिनती एक महीने तक चलती है. जब यूएस जैसे देश की जनता काउंटिंग के लिए एक महीने तक इंतजार कर सकती है तो फिर आपको किस चीज़ की जल्दी है.

शिवसेना सांसद संजय राउत Sanjay Raut EVM को कटघरे में खढ़ा करने में पीछे नहीं रहे. उन्होंने कहा कि रविवार को आए चुनाव नतीजों को हम स्वीकार करते हैं. अगर छत्तीसगढ- मध्य प्रदेश की बात की जाए तो वहां पर बीजेपी को बड़ी जीत मिली है. इसके लिए हम उसे बधाई देते हैं. इन नतीजों के बावजूद INDIA गठबंधन पर कोई फर्क नहीं पड़ा है. 6 दिसंबर को दिल्ली में खरगे जी के घर पर गठबंधन की अहम बैठक होने जा रही है. 


चुनाव नतीजों पर शंका प्रकट करते हुए राउत Sanjay Raut ने कहा, जो रिजल्ट सामने आए हैं, वे लोगों को चौंकाने वाले हैं. इससे मन में शंका होती है कि आखिर ऐसा कैसे हो गया. सरकार को पब्लिक की इस आशंका को दूर करना चाहिए. उसे एक चुनाव जरूर बैलेट पेपर पर करवाना चाहिए. फिर चाहे वह संसद का चुनाव हो या असेंबली का. इसके बाद लोगों को अपने सभी सवालों का जवाब मिल जाएगा. 

उधर राजनीतिक एक्सपर्टों का कहना है कि ईवीएम (EVM) पर उंगली उठाना विपक्षी दलों की पुरानी टैक्टिक रही है. वे तब ऐसी बात नहीं करते, जब चुनावी नतीजे उनके फेवर में जाते हैं. इसी साल कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक के चुनाव में सफलता प्राप्त की थी, तब विपक्षी नेताओं को ईवीएम सही लग रही थी लेकिन जब नतीजे उनके खिलाफ गए तो वह इसमें कमियां निकालने लगे.
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