वसुंधरा राजे के CM बनने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बनेगा जयपुर राजघराना

जनता जनार्दन संवाददाता , Dec 03, 2023, 17:22 pm IST
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वसुंधरा राजे के CM बनने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बनेगा जयपुर राजघराना राजस्थान असेंबली में चुनाव नतीजे आने शुरू हो गए हैं. रुझानों के मुताबिक राजस्थान की जनता ने हर 5 साल में सरकार बदल देने का रिवाज कायम रखा है और 5 साल के वनवास के बाद बीजेपी एक बार फिर सरकार में लौटती दिख रही है. ऐसे में राज्य का अगला सीएम कौन बनेगा, इस पर भी कयासबाजी शुरू हो गई है. पार्टी को सत्ता में लौटते देख प्रदेश बीजेपी की कद्दावर नेता और 2 बार राज्य की सीएम रहीं वसुंधरा राजे एक बार फिर बड़ी कुर्सी हासिल करने के लिए सक्रिय हो गई है. 

वसुंधरा राजे एक बार फिर अपनी परंपरागत झालरापाटन सीट से चुनाव जीत चुकी हैं. उन्होंने चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के रामलाल चौहान को हराया. वे वर्ष 2003 से लगातार इस सीट से विधायक हैं. यह असेंबली सीट झालावाड़-बारां जिले में आती है, जिस संसदीय सीट से उनके बेटे दुष्यंत सिंह सांसद हैं. वसुंधरा राजे सिंधिया ग्वालियर के सिंधिया राजघराने की बेटी हैं. उनकी मां का नाम विजयाराजे सिंधिया और पिता का नाम जीवाजी राव सिंधिया था. वे ग्वालियर के आखिरी महाराज कहे जाते थे. वसुंधरा की शादी धौलपुर राजघराने के हेमंत सिंह से हुई था. हालांकि विवाह के कुछ समय बाद ही दोनों अलग हो गए थे. जिसके बाद वे राजनीति में सक्रिय हो गईं और राजस्थान की पहली महिला सीएम बनने का गौरव  हासिल किया. 

बीजेपी फिर मौका देने के मूड में नहीं?

राजस्थान में इस बात पर चर्चा जोर पकड़ रही है कि इस बार भी क्या वसुंधरा राजे सिंधिया पर अपना दांव लगाएगी या किसी और नेता को औचक तौर पर सीएम के रूप में घोषित करेगी. यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि वसुंधरा की तमाम कोशिशों के बावजूद बीजेपी ने इस बार उन्हें बतौर सीएम फेस प्रोजेक्ट करने से इनकार कर दिया था. ऐसे में इन बातों को बल मिल रहा है कि बीजेपी इस बार वसुंधरा को मौका देने के मूड में नहीं है. अगर ऐसा हुआ तो राजपूत वोटों पर नेगेटिव असर टालने के लिए इसी समाज से जुड़े किसी शख्स की लॉटरी खुल सकती है. 

सूत्रों का कहना है कि बीजेपी ने इस नुकसान से बचने के लिए बाकायदा वसुंधरा  का विकल्प तलाश लिया है. वह और कोई नहीं बल्कि जयपुर राजघराने की 'राजकुमारी' दीया कुमारी हैं. वे फिलहाल राजस्थान की राजसमंद सीट से लोकसभा सांसद हैं लेकिन बीजेपी ने इस बार उन्हें विद्याधर सीट से विधायक के चुनाव में उतारा, जिसमें वे पार्टी के भरोसे पर खरी उतरीं. रविवार को घोषित हुए नतीजों में उन्होंने निकट प्रतिद्वंदी कांग्रेस के सीताराम अग्रवाल को 55 हजार वोटों से हरा दिया. 

अपनी राजनीतिक समझबूझ और खूबसूरती के लिए चर्चित दीया कुमार जयपुर के पूर्व महाराज भवानी सिंह और रानी पद्मिनी देवी की इकलौती संतान हैं. वे राजनीति के अलावा अपने एनजीओ के जरिए समाजसेवा भी करती हैं. दीया कुमारी की संभावनाओं को इसलिए भी बल मिल रहा है क्योंकि उन्हें विद्यानगर सीट से चुनाव लड़वाने के लिए बीजेपी ने इस सीट से मौजूदा विधायक नरपत सिंह राजवी का भी टिकट काटने में गुरेज नहीं किया. नरपत सिंह राजवी पूर्व उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत के दामाद हैं और इलाके में राजपूत समाज के दिग्गज नेता हैं. 

फिलहाल बीजेपी के तमाम बड़े नेता खामोश हैं और रिजल्ट क्लियर होने का इंतजार कर रहे हैं. इसके बाद विधायकों की राय की औपचारिकता पूरी करने के बाद पार्टी की ओर से सीएम पद के नाम का ऐलान हो सकता है. तब तक राजस्थान में बीजेपी के तमाम वरिष्ठ नेताओं की सांस अटकी रहेगी. 

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