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नवंबर के दिन, फिर भी नहीं पड़ रही सर्दी
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Nov 21, 2023, 15:05 pm IST
Keywords: Weather Winter Weather Updates News ग्लोबल वार्मिंग अमेरिका और चीन Delhi Winters
सर्दी इस बार कम हो रही है. इसका कारण ग्लोबल और लोकल दोनों है. लेकिन दिल्ली और आसपास के इलाकों के लोकल फैक्टर भी इसके लिए जिम्मेदार हैं. नवंबर का महीना बीतने वाला है. आमतौर पर इस वक्त उत्तरी भारत में सर्दी भी शुरू हो जाती है. इस साल हालांकि हल्की ठंड ने एंट्री तो मारी है, लेकिन आने वाले समय में भयंकर ठंड वाला मौसम शायद ही देखने को मिले. इसका कारण ग्लोबल फैक्टर भी हैं. जैसे कि अल नीनो. अल नीनो एक प्राकृतिक घटना है जो समुद्र के तापमान पर असर डालती है. अल नीनो के दौरान, समुद्र का तापमान बढ़ जाता है, जिससे एटमॉस्फेयर में बदलाव आते हैं. इन बदलावों के कारण सर्दी कम पड़ती है. इसका असर दिल्ली के तापमान तक पड़ रहा है.दिल्ली और आसपास के इलाकों में मौजूद लोकल फैक्टर भी सर्दी कम पड़ने के लिए जिम्मेदार हैं. इन फैक्टर्स में एयर पॉल्यूशन भी शामिल है. दिल्ली में एयर पॉल्यूशन एक गंभीर समस्या है. एयर पॉल्यूशन के कारण एटमॉस्फेयर में धूल और धुएं की मात्रा की मौजूदगी ज्यादा है. वैसे तो एयर पॉल्यूशन का तापमान से सीधा कोई कनेक्शन नहीं है. लेकिन जब एयर पॉल्यूशन के साथ ही नमी आती है तो ब्लैंकेट इफेक्ट देखने को मिलता है. ऐसी स्थिति में गर्मी वायुमंडल से बाहर नहीं निकल पाती है. और तापमान कम नहीं हो पाता है. इसी की वजह से रात में भी गर्मी बनी रहती है. ये भी एक वजह है कि दिसबंर आने वाला है और सर्दी नहीं बढ़ रही है. बता दें कि ये साल अल-नीनो का है. अल-नीनो वाले साल में तापमान सामान्य से ज्यादा होता है. हालांकि, अल-नीनो का ज्यादा असर मार्च-अप्रैल तक सबसे ज्यादा दिखाई देने की संभावना है. यह ज्यादा सर्दी नहीं होने देगा. अल-नीनो का असर ये भी होगा कि इस बार शायद दिसंबर और जनवरी के महीने में उतनी सर्दी ना पड़े जितनी हर साल पड़ती है. इसके साथ ही गर्मी भी जल्दी आ सकती है. फरवरी में ही अल-नीनो इफेक्ट गर्मी का एहसास दिला सकता है. सर्दी नहीं होने के कारण ग्लोबल वार्मिंग भी है. पर्यावरण में मौजूद मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड जैसी ग्रीन हाउस गैसें पृथ्वी का तापमान बढ़ा रही है. हालांकि, हाल की रिपोर्ट थोड़ी राहत भरी है. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का ग्लोब वार्मिंग में योगदान सिर्फ 5 प्रतिशत है. अमेरिका और चीन इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है. भारत का योगदान भले ही कम हो लेकिन उसका असर भारत में साफ देखा जा सकता है. दिसंबर आने को पर फिर भी कड़ाके की सर्दी नहीं पड़ रही है. |
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