चंद्रयान-3 की लैंडिंग से ठीक पहले कैसे होंगे हालात, कितना होगा तापमान?

जनता जनार्दन संवाददाता , Aug 23, 2023, 16:12 pm IST
Keywords: Chandrayaan 3 News   Chandrayaan 3 Landing final moment   लैंडर   दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र  
फ़ॉन्ट साइज :
चंद्रयान-3 की लैंडिंग से ठीक पहले कैसे होंगे हालात, कितना होगा तापमान? आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आज की शाम भारत, चांद पर होगा. 140 करोड़ देशवासी बड़ी बेसब्री से शाम के 6.04 बजे का इंतजार कर रहे हैं. भारत अपना यान चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने जा रहा है. दशकों पहले देखा गया एक सपना पूरा होने जा रहा है. ऐसे में आपके मन में कई सवाल होंगे, जैसे जब अपना लैंडर उतरेगा तो उस समय चांद का मूड कैसा होगा. वहां क्या कुछ हलचल होगी? तापमान कितना होगा और स्पीड कितनी होगी? आइए ऐसे हर सवाल का जवाब आपको बताते हैं.

भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बनने के लिए कमर कस चुका है. बस वो शुभ घड़ी आने वाली है जबशाम 6.04 बजे अपना लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के पास सॉफ्ट लैंडिंग करेंगे. हालांकि इसरो के इस मिशन की चुनौतियां भी कम नहीं हैं.

चंद्रयान-2 की विफलता से भारत ने बहुत सीख ली है. इसलिए इस बार इसरो ने अपने विक्रम के पैरों को काफी मजबूत बनाया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक 10.8 किमी प्रति घंटे की लैंडिंग वेलॉसिटी भी झेल सकते हैं. खबरों के मुताबिक मिशन ऑन टाइम चल रहा है. ऐसे में इसरो के साथ पूरा देश उत्साह से भरा है.

स्पेस में धरती जैसा वातावरण न होने से लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग चुनौती भरा काम होती है, क्योंकि यान की रफ्तार स्लो करना आसान नहीं होता. जिस समय लैंडर और रोवर चांद की सतह पर उतरेंगे, उन्हें खराब मौसम का सामना करना पड़ेगा. वहां तापमान 54 डिग्री सेल्सियस से लेकर -203 डिग्री सेल्सियस तक रह सकता है.

लैंडिंग के दौरान उसके इंजन फायर से चांद की सतह पर गर्म गैसों और धूल का प्रवाह उलटी दिशा में हो सकता है. यह भी एक तरह की चुनौती होगी. मिशन कंट्रोल और यान के बीच हर संदेश आने-जाने में कुछ मिनटों का वक्त लगता है. क्योंकि एंटीना पर मिल रहे सिग्नल कमजोर हो जाते हैं. ये पल बेहद कीमती होते हैं. क्योंकि लाइव लोकेशन ट्रैक करने में सारा खेल सिग्नल का होता है.

आखिरी पलों में विक्रम लैंडर 4 किमीx2.5 किमी के उस क्षेत्र की पहचान करेगा जो उसके उतरने के लिए बेहतर जगह होगी. शाम पौने छह बजे के करीब थ्रस्टर्स स्पीड को नियंत्रित करने की कोशिश करेंगे. चांद की सतह के करीब पहुंचने पर विक्रम की स्पीड कम हो जाएगी. विक्रम के पैर किसी पैसेंजर प्लेन की तरह बाहर निकलेंगे और इस तरह करोड़ों भारतवासियों की उम्मीदों को अपने कंधों पर लिए विक्रम 6.04 पर लैंड करेगा.

सफलतापूर्वक लैंड करने के बाद रोवर प्रज्ञान सतह पर घूमेगा. कामयाब लैंडिंग होने पर इसरो यानी भारतीय वैज्ञानिकों की टीम इतिहास रच देगी. इस तरह स्पेस सेक्टर में भारत का डंका एक बार फिर बजने लगेगा.

वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल