टाइफॉयड बुखार है क्या? लक्षण और बचाव के उपाय
जनता जनार्दन डेस्क ,
Apr 14, 2021, 10:01 am IST
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नई दिल्लीः टाइफॉयड बुखार भी एक जानलेवा बीमारी हो सकती है, अगर सही समय पर इसका इलाज न किया जाए. क्या आप जानते हैं कि संदूषित भोजन और पानी पीने से आप एक गंभीर बीमारी का शिकार हो सकते हैं. इस बीमारी को टाइफॉयड बुखार के नाम से जाना जाता है, जो साल्मोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया से फैलती है. यह बीमारी पूरे शरीर में फैल सकती है, और आपके शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर सकती है. तत्काल उपचार के अभाव में, यह घातक भी हो सकती है.
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि औद्योगिक देशों में टाइफाइड बुखार दुर्लभ है, लेकिन विकासशील देशों में एक यह बीमारी एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा है. इस लेख में हम आपको टाइफॉयड बुखार के बारे में बताएंगे. टाइफॉयड बुखार क्या है? टाइफॉयड बुखार, साल्मोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया के संक्रमण से होने वाली एक गंभीर बीमारी है, जो भोजन में उपस्थित एक जीवाणु सैल्मोनेला टाइफी के संक्रमण से होता है और भोजन का इस बैक्टीरिया से संदूषण मक्खियों और हमारी गन्दी आदतों के कारण होता है. यह संक्रमित व्यक्ति के मल के साथ सीधे संपर्क से व्यक्तियों के बीच फैलता है या मानव से मानव तक फैलता है. इस रोग के जीवाणु भोजन के साथ आंतों में पहुँचकर आंतों को छतिग्रस्त करते हैं जिससे खूनी नासूर बन जाते हैं. बाद में जीवाणु रक्त में फैल जाते हैं. रक्त प्रवाह से, यह अन्य ऊतकों और अंगों में फैलता है. टाइफॉयड बुखार रोगी की पाचन क्षमता को कमजोर बना देता है. अगर इलाज नहीं किया जाए, तो टाइफॉयड के हर 5 मामलों में से एक न केवल घातक बल्कि जानलेवा हो सकता है. कुछ लोगों में टाइफॉयड बुखार के जीवाणु होने के बाद भी इसके लक्षण दिखाई नहीं देते. टाइफॉयड बुखार के कारण टाइफॉयड बुखार, साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया के कारण होता है और संक्रमित मल-सामग्री से दूषित भोजन, पेय और पीने के पानी के माध्यम से फैलता है. प्रदूषित पानी से फल और सब्जियां धोना भी इसे फैला सकता है. कुछ लोगों में टाइफॉयड बुखार के बाहरी लक्षण दिखाई नहीं देते, जिसका अर्थ है कि वे इस बैक्टीरिया से ग्रसित होने के बाद भी उनपर का कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है. जबकि कुछ लोगों में टाइफॉयड के लक्षण खत्म होने के बाद भी साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया उनके शरीर में बना रहता है. कभी-कभी, यह रोग फिर से दिखाई दे सकता है. जो लोग इस रोग से ग्रस्त होते हैं उन्हें बच्चों या वृद्ध लोगों के साथ काम करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, जब तक की जांच से ये नहीं पता चल जाता की मरीज सही हो चुका है और इसके लक्षण पूरी तरह से जा चुके हैं. टॉ़यफायड बुखार के लक्षण अपर्याप्त भूख सिरदर्द दस्त सामान्यीकृत दर्द और पीड़ा बुखार सुस्ती तीव्र बीमारी के बाद लगभग 3% -5% रोगी इस बैक्टीरिया के वाहक बन जाते हैं. टायफॉइड के रोगी को आमतौर पर 103 फॉरेनहाइट -104 फॉरेनहाइट (39 सेल्सियस -40 सेल्सियस) तक बुखार रहता है. कुछ मरीजों में चेस्ट कंजेस्शन की समस्या भी विकसित होती है. पेट दर्द और बेचैनी इस बुखार में सामान्य होते है और बुखार लगातार बना रहता है. ऐसे रोगियों में तीसरे और चौथे सप्ताह में सुधार होने लगता है. वहीं कुछ रोगियों (लगभग 10% ) में एक से दो सप्ताह बेहतर महसूस करने के बाद टायफॉइड के लक्षण (आवर्ती लक्षण) फिर से दिखाई देने लगते हैं. ऐसा उन रोगियों के साथ ज्यादा होता है जो एंटीबायोटिक दवाओं के इलाज से सही होते हैं. टाइफॉयड बुखार के उपचार स्वच्छ पानी और धुलाई सुविधाओं की कमी वाले देशों में आम तौर पर टाइफॉयड के मामलों की संख्या अधिक होती है. टाइफॉयड बुखार का उपचार 2 प्रकार से किया जा सकता है:
मौखिक: यह एक live, attenuated vaccine होता है जिसमे 4 गोलियां होती हैं, जो हर दूसरे दिन ली जाती हैं, जिसमें से अंतिम गोली यात्रा से 1 सप्ताह पहले ली जाती है. शॉट, यह एक निष्क्रिय टीका होता है, जो यात्रा से 2 सप्ताह पहले लिया जाता है. टीकाकरण 100% प्रभावी नहीं होते हैं इसलिए यात्रा के समय अपने खाने और पीने में सावधानी बरतनी चाहिए.अगर कोई व्यक्ति बीमार है या यदि वह 6 वर्ष से कम आयु के हैं तो टीकाकरण नहीं किया जाना चाहिए. इसके अलावा HIV से ग्रसित किसी भी व्यक्ति को live and oral dose नहीं लेनी चाहिए. यद्धपि टीकाकरण के प्रभाव प्रतिकूल होते हैं फिर भी 100 लोगों में से एक को बुखार का अनुभव हो सकता है. मौखिक टीका के बाद, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं, मतली, और सिरदर्द होना सामान्य लक्षण होते हैं. संक्रमण से कैसे बचें? टाइफॉयड संक्रमित मानव के मल के संपर्क और इंजेक्शन द्वारा फैलता है. यह संक्रमित जल स्रोत या भोजन से भी हो सकता है. टायफाइड संक्रमण से बचने के क्या करें: साफ पानी पियें, पानी कार्बोनेटेड हो तो बेहतर. बोतलबंद पानी या कम से कम १ मिनट तक उबला हुआ पानी पियें. सड़क पर खाने से बचें. पेय-पदार्थों में बर्फ से बचें. कच्चे फल और सब्जियों को न खाये. साफ - सफाई का ध्यान रखें शरीर में पानी की कमी न हो. |
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