जैन समाज गौरव दर्शन लाल जैन पद्मभूषण से सम्मानित

जैन समाज गौरव दर्शन लाल जैन पद्मभूषण से सम्मानित
दिल्ली: वरिष्ठ समाज सेवी एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी दर्शन लाल जैन को आज यहां राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने पद्मभूषण से सम्मानित किया। श्री दर्शन लाल जैन को पद्म सम्मान मिलने से जैन समाज में हर्ष की लहर छा गई।
 
सम्मान प्राप्त करने के पश्चात श्री जैन ने कहा कि उन्होंने जो भी कार्य करें हैं उसके पीछे कोई सम्मान व पुरस्कार पाना मकसद कभी नहीं रहा। उनका तो सिर्फ एक ही मकसद है कि स्वयं के द्वारा किये जा रहे कार्यों में सफलता प्राप्त करना। उनके द्वारा चलाए जा रहे अभियान के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि उनका उनका सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य लुप्त हुई सरस्वती नदी को पुनरजिवित करना इसमें उन्हे काफी हद तक सफलता मिली है हरियाणा में सरस्वती नदी के प्रमाण मिले हैं वहां आज लघू रुप में नदी बह रही है जल्दी ही इसको पूर्ण रुप से खोज लिया जाएगा। इसके अलावा उन महान नायकों के स्मारक स्थापित करवाना जिन्होंने इस देश के लिये कुर्बानी दी लेकिन उनके बारे में कोई नहीं जानता है। केंद्र सरकार ने हमारी यह योजना स्वीकृत कर ली है जल्दी ही देश के विभिन्न स्थानों पर उन गुमनाम नायकों के स्मारक बनाने का कार्य भी प्रारम्भ हो जाएगा।

दर्शन लाल जैन ने बताया कि इन सब के अलावा हम लोग विभिन्न इतिहासकारों के साथ मिल कर देश को सही इतिहास की जानकारी उपलब्ध करवाने का प्रयास भी कर रहे हैं। अभी जो भी इतिहास पढा़या जा रहा है वह आधा अधूरा व तथ्यों से परे हैं। हमारी कोशिश है कि हम भावी पीढ़ी को सही व तथ्यात्मक इतिहास से परिचित करवा सकें।
 
इतने वर्षों बाद यह सम्मान मिलने  पर उन्होंने कहा अगर यह सम्मान नहीं मिलता तो भी उन्हें कोई असर नहीं होता । मेरा मकसद सम्मान व पुरस्कार पाना नहीं बल्कि काम करना है।
मिलिए उस शख्स से, जिन्होंने राज्यपाल का पद ठुकरा दिया। सरस्वती नदी को वापस लाने के संघर्ष किया और इस जज्बे के लिए अब सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया है जानिए कौन हैं।
 
कुछ लोग समाज की सेवा करने के लिए पैदा होते हैं और दर्शन लाल जैन उन दुर्लभ लोगों में से एक हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया और समाज कल्याण के सभी पहलुओं में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। विशेषतौर पर गरीब व वंचित वर्ग की शिक्षा के लिए काम किया। इसके अलावा सरस्वती नदी के पुनरुद्धार के लिए संघर्ष किया।
 
यमुनानगर जिले के सामाजिक योद्धा और आरएसएस के दिग्गज दर्शन लाल जैन (92 वर्ष) को केंद्र सरकार ने पद्मभूषण दिया है। पद्मभूषण के लिए नाम चयनित होने के बाद  बातचीत में उन्होंने कहा कि मुझे केवल राष्ट्र भक्ति नजर आती है और देश में जो रह रहे हैं वे मेरा परिवार है। मैंने किसी अवार्ड के लिए काम नहीं किया। इसका श्रेय साथ काम करने वालों, दोस्तों और समाज सेवा में सहयोग करने वालों को जाता है। जिसकी बदौतल मैं अपने मिशन में कामयाब होता चला गया।  

आपातकाल में जेल में रहे
दर्शनलाल जैन का जन्म 12 दिसंबर 1927 को जगाधरी शहर में एक धार्मिक और उद्योगपति जैन परिवार में हुआ। लोग उन्हें बाबूजी के नाम से भी पुकारते हैं। बचपन से ही देशभक्ति की भावना के चलते वे आरएसएस के संपर्क में आएं। वह महात्मा गांधी से बहुत प्रेरित रहे और ब्रिटिश शासन के दौरान जब स्वतंत्रता सेनानी के प्रतीक के रूप में जब खादी पर प्रतिबंध था तो वे स्कूल में खादी पहनकर जाते थे। 15 साल की उम्र में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ काम करने पर उन्हें 1975-1977 में आपातकाल के दौरान जेल में रखा गया था। इस दौरान सशर्त रिहा करने के सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था।            
 
एमएलसी और राज्यपाल के पद से इंकार किया
उनका सक्रिय राजनीति में शामिल होने की ओर झुकाव कभी नहीं था और 1954 में जनसंघ द्वारा एमएलसी सुनिश्चित सीट के लिए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। बाद में उन्हें तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार द्वारा गवर्नरशिप की पेशकश भी की गई, लेकिन उन्होंने गवर्नर का पद भी स्वीकार नहीं किया।             
 
शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया
उन्होंने समाज की शिक्षा की दिशा में काम किया और 1954 में सरस्वती विद्या मंदिर की स्थापना की। साल 1957 में क्षेत्र के पहले डीएवी कॉलेज फॉर गर्ल्स के संस्थापक सदस्य बने। उन्होंने लगभग 20 वर्षों तक भारत विकास परिषद हरियाणा, विवेकानंद रॉक मेमोरियल सोसायटी, 30 साल तक वनवासी कल्याण आश्रम के साथ-साथ ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में हरियाणा के लगभग 100 स्कूल और गीता निकेतन एजूकेशन सोसायटी का नेतृत्व भी किया।

उनके मुकुट में एक और गहना था टप्पा गांव (अंबाला) में नंद लाल गीता विद्या मंदिर। यह विद्यालय 1997 में अपनी स्थापना के बाद से हरियाणा, नॉर्थ ईस्ट और जम्मू-कश्मीर के जरूरतमंद और बुद्धिमान छात्रों को मुफ्त शिक्षा और मुफ्त बोर्डिंग प्रदान कर रहा है। उन्होंने मेवात जिले के नूंह में हिंदू हाई स्कूल को भी पुनर्जीवित किया जिसके कारण हरियाणा के मेवात क्षेत्र में कई नए स्कूल खुल गए।     

सरस्वती नदी को वापस लाने में जु
टे
लगभग 40 वर्षों तक आरएसएस के अध्यक्ष पद पर रहने के बाद उन्होंने 2007 में उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के कारण 80 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद खुद को इस पद से मुक्त कर लिया। उन्होंने 1999 में सरस्वती नदी शोध संस्थान की स्थापना की और सरस्वती पुनरुद्धार परियोजना शुरू की। तब से वह पवित्र नदी सरस्वती की महिमा को वापस लाने में लगे हुए हैं। दर्शन लाल जैन का कहना है कि सरस्वती पुनरुद्धार में तेजी तब आई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रख्यात भू विज्ञानी पदमश्री केएस वाल्डिया की अध्यक्षता में प्रख्यात वैज्ञानिकों की एक केंद्रीय सलाहकार समिति का गठन किया और मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा सरस्वती हेरिटेज डेवलपमेंट बोर्ड की स्थापना भी की।             
 
देश के नायकों के सम्मान की लड़ाई भी लड़ रहे
यमुनानगर जिले के सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश पाल का कहना है कि दर्शन लाल जैन अभी भी समाज के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं और अभी भी युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। दर्शन लाल ने 2007 में राष्ट्र के विस्मृत नायकों को याद करने के लिए योद्धा सम्मान समिति का गठन किया। समिति ने अब तक पानीपत के द्वितीय युद्ध के नायक हेमचंद्र विक्रमादित्य के राज्याभिषेक समारोह सहित कई समारोह आयोजित किए हैं।
 
अंग्रेजों ने हमारे राजाओं और बहादुर सैनिकों के मूल इतिहास को छिपाने की हर कोशिश की। उन्होंने अपनी पाठ्यपुस्तकों में क्रूर राजाओं का महिमामंडन किया। देश को आजादी मिलने के बाद भी यह छिपा रहा। सड़कों और पार्कों के नाम हमारे अपने राजाओं के बजाय विदेशी आक्रमणकारियों के नाम पर रखे गए। इन नायकों सम्मान को दिलाने में जुटे हुए हैं।
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