हिन्दी और साहित्य की सुन्दरता व समृद्धि को बचाना जरूरी: अमिताभ
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Aug 11, 2011, 13:22 pm IST
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मुम्बई: बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन मानते हैं कि आधुनिक संचार माध्यमों की वजह से लिखी और बोली जाने वाली हिंदी की शुद्धता में गिरावट आई है लेकिन उन्हें उम्मीद है कि पिता हरिवंशराय बच्चन की कविताओं के लिए एक संग्रहालय बनवाकर वह साहित्य की सुंदरता को संवारने की कोशिश करेंगे।
अमिताभ ने मीडिया के साथ विशेष बातचीत में कहा, "मैं ऐसा मानता हूं कि हम अपनी भाषा की समृद्धि को खो रहे हैं। जो कुछ भी लिखा और बोला जाता था, उसके पीछे एक सोच हुआ करती थी। सम्भवत: पहले के दिनों में यह ज्यादा समृद्ध होती थी।" अमिताभ कहते हैं, "मैं वर्तमान युवा पीढ़ी को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहता। समय बदल चुका है। संचार माध्यम बहुत तेज हो चुके हैं।" सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर या फिर ब्लॉग पर विचार व्यक्त करने वाले 68 वर्षीय अभिनेता अमिताभ हिंदी भाषा के स्तर में गिरावट को लेकर चिंतित है। 20वीं शताब्दी के महान कवि हरिवंश राय बच्चन के बेटे अमिताभ ने कहा, "बहुत दिनों से मैं एक संग्रहालय खोलने पर विचार कर रहा हूं, जहां मैं अपने पिताजी की प्रसिद्ध रचनाओं को शोध कार्यों के लिए संग्रहित करूंगा। मुझे उम्मीद है कि मैं उनकी अद्भुत कृतियों को सजो कर रखने में कामयाब रहूंगा।" गौरतलब है कि प्रख्यात कवि हरिवंश राय बच्चन का निधन वर्ष 2003 में हो गया था। उनकी रचनाएं 'मधुशाला' एवं 'अग्निपथ' तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी काफी चर्चित हुई हैं। बकौल अमिताभ , "मैं यह नहीं जानता था कि मेरे पिताजी की रचनाएं न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं। मेरे पिता की 100वीं जयंती के मौके पर न्यूयार्क स्थित भारतीय विद्या भवन ने मुझे लिकंन सेंटर में पिताजी की रचनाओं के पाठ के लिए आमंत्रित किया था। इस कार्यक्रम के दौरान 3,500-4,000 लोगों को देखकर मैं भाव विभोर हो गया।" अमिताभ कहते हैं, "पिछले वर्ष मैं पिताजी की रचनाओं का पाठ करने के लिए पेरिस गया था और वहां भी अच्छी प्रतिक्रिया मिली। उनमें 75 फीसदी फ्रांसीसी तथा 25 प्रतिशत भारतीय शामिल थे। लेकिन मैं यह देखकर आश्चर्यचकित रह गया कि एक फ्रांसीसी अध्यापक एक विश्वविद्यालय में हिन्दी पढ़ा रहे थे।" अमिताभ ने कहा कि वह विश्व के अन्य हिस्सों में भी जाकर अपने पिताजी की कविताओं का पाठ करने की योजना बना रहे हैं। |
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