राष्ट्रपति बनने की अनिच्छा, दोस्तों की बीवियों पर डोरेः फायर एंड फ्यूरी: इनसाइड द ट्रंप व्हाइट हाउस- पुस्तक अंश

राष्ट्रपति बनने की अनिच्छा, दोस्तों की बीवियों पर डोरेः फायर एंड फ्यूरी: इनसाइड द ट्रंप व्हाइट हाउस- पुस्तक अंश वॉशिंगटनः डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बनना नहीं चाहते थे. ये दावा अमेरिकी पत्रकार ने अपनी किताब में किया है. अमेरिकी पत्रकार की किताब के मुताबिक, पिछले साल आश्चर्यजनक चुनावी जीत के बाद अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप की आंखों में आंसू थे, लेकिन वो खुशी के आंसू नहीं थे.

अमेरिकी लेखक और पत्रकार माइकल वोल्फ की हाल में नई किताब आई है, जिसका नाम 'फायर एंड फ्यूरी' है. इसी में अमेरिकी राष्ट्रपति को लेकर चौंकाने वाले दावा किए गए हैं.

अमेरिकी पत्रकार माइकल वोल्फ द्वारा लिखित किताब 'फायर एंड फ्यूरी: इनसाइड द ट्रंप व्हाइट हाउस' का दावा है कि ट्रंप का अंतिम लक्ष्य कभी भी जीतना नहीं था. किताब के अंश के अनुसार, ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ के वक्त अपने सहयोगी सैम नूनबर्ग से कहा था कि मैं दुनिया का सबसे प्रसिद्ध व्यक्ति बन सकता हूं. फॉक्स न्यूज के पूर्व प्रमुख रॉजर एलेस ने उस वक्त ट्रंप से कहा था कि अगर आप अपना करियर टेलीविजन में चाहते हों, तो पहले राष्ट्रपति की दौड़ में शामिल होना होगा.'

'फायर एंड फ्यूरी: इनसाइड द ट्रंप व्हाइट हाउस' के अंश

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की निजी जिंदगी से जुड़ा एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. ट्रंप बेहद ही रंगीन मिजाज के शख्स हैं. दोस्तों की पत्नियों को फांसने के लिए वह अनोखे तरीके अपनाते थे. वह इस काम के लिए झूठ तक बोलते थे. यही नहीं, ट्रंप टावर में अपने सेक्रटरी का इस्तेमाल भी करते थे. फिर दोस्तों को बातों के झांसे में लेकर उनकी पत्नियों को अपने बिस्तर तक लाते थे.

‘एमएसएनबीसी’ न्यूज चैनल के पास माइकल वोल्फ की किताब की एक कॉपी है. एनबीसी की पूर्व पत्रकार केटी टर ने इसके कुछ हिस्सों को मार्कर से हाईलाइट कर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है. वह कुछ वक्त के लिए ट्रंप के कैंपेन से भी जुड़ी रही थीं.

किताब के पैराग्राफ की शुरुआत के अनुसार, “ट्रंप यह बताते थे कि जिंदगी की बेहतरीन चीजों में से एक आपके दोस्तों की पत्नियों को बिस्तर पर ले जाना होता है.”

आगे लिखा है, “दोस्तों की पत्नियों को फांसने के लिए वह औरतों से कहते थे कि उन्हें वैसा पति नहीं मिला, जैसा वह असल में चाहती थीं. ट्रंप इसके बाद अपने दफ्तर के सेक्रटरी के जरिए दोस्तों के दफ्तरों में होने के बारे में पता लगाते थे. दोस्त के आ जाने पर वह उनका कई बातों को लेकर मजाक बनाते थे. ट्रंप पूछते थे कि क्या उन्हें (दोस्तों से) अभी भी पत्नियों से सेक्स करना पसंद है? कितनी बार? तुम्हें अपनी पत्नी से बेहतर महिला मिलनी चाहिए थी. मुझे बताओ इस बारे में. मैं लॉस एंजलिस में कुछ लड़कियों को जानता हूं, जो रात के तीन बजे आने को राजी हो जाती हैं. हम उनके पास जाकर अच्छा वक्त बिता सकते हैं. मैं वादा करता हूं…और इस दौरान ट्रंप अपने दोस्तों की पत्नियों को ये सारी बातें स्पीकरफोन के जरिए सुना रहे होते थे.”

राष्ट्रपति बनने से अनिच्छा

ट्रंप की जीत के कुछ समय बाद वोल्फ ने कहा था कि राष्ट्रपति ने खुद यह विचार प्रोत्साहित किया था कि वह पश्चिम विंग में अर्द्ध-स्थायी सीट जैसा कुछ स्थान लेने में सक्षम थे. पुस्तक में लिखा है, 'उनकी इस पहुंच का कोई आधार नियम नहीं था और न ही उन्होंने कोई वादा किया था कि वे किस दिशा में चलेंगे. हालांकि "Donald Trump Did Not Want to be President" शीषर्क से न्यूयार्क मैगजीन द्वारा किताब का अंश प्रकाशित होने के बाद व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव सारा सैंडर्स ने इस बात का खंडन किया है कि डोनाल्ड ट्रम्प की राष्ट्रपति बनने की इच्छा नहीं थी. सैंडर्स ने कहा कि राष्ट्रपति बनने के बाद कुल मिलाकर ट्रंप ने 5-7 मिनट बातचीत की होगी और यह उनका एकमात्र संवाद है. इस संक्षिप्त वार्तालाप का किताब से कोई लेना-देना नहीं है.

'मानों ट्रंप ने कोई भूत देख लिया हो'

किताब के लेखक वोल्फ का कहना है कि ट्रंप को सुझाव देना जटिल था. किताब में यह भी कहा गया कि कुछ लोगों का मानना था कि सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए ट्रंप अर्द्ध-साक्षर नहीं थे. ट्रंप केवल अपनी विशेषज्ञता पर भरोसा करते थे, जिन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा था चाहें वे विचार दूसरों की तुलना में  कितने भी तुच्छ और अप्रासंगिक हो. किताब में यह भी कहा गया, 'चुनाव की रात 8 बजे करीब जब यह साफ होने लगा कि ट्रंप की जीत संभव है. तब जूनियर ट्रंप ने एक मित्र को बताया कि उनके पिता को देख कर यह लग रहा था कि मानों उन्होंने कोई भूत देख लिया हो. मेलानिया की आंखों में भी आंसू थे, जो खुशी के तो बिल्कुल नहीं थे.'

एच-1बी वीजा और सिलिकॉन वैली

पुस्तक में यह भी कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एच -1 बी वीजा मुद्दे सहित सिलिकॉन वैली के मुद्दों पर सहानुभूति रखते थे. किताब में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि एच -1 बी वीजा पर उठाया गया स्टैंड उनके लिए काफी कठोर रहा. वोल्फ की किताब के मुताबिक, 14 दिसंबर, 2016 को सिलिकॉन वैली से एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल उसके साथ मिलने के लिए ट्रम्प टॉवर में आए. सूत्र के अनुसार बाद में ट्रम्प ने रूपर्ट मर्डोक को बुलाया, जिन्होंने उनसे पूछा कि बैठक कैसे चली. ट्रंप ने जवाब में कहा कि ग्रेट...इन लोगों को वास्तव में मेरी मदद की जरूरत है.

ओबामा उनके लिए बहुत अनुकूल नहीं थे. वास्तव में इनकी मदद के लिए यह अच्छा अवसर है. उस वक्त मर्डोक ने ट्रंप को सुझाव दिया कि एच -1 बी वीजा के लिए एक उदार दृष्टिकोण लेना होगा, जो कि आप्रवासियों का चयन करने के लिए अमेरिका का दरवाजा खोलता है. वोल्फ का कहना है कि ट्रंप ने मर्डोक की सुझाव को गंभीरता से नहीं लिया. किताब के मुताबिक ट्रंप के एच-1 बी वीजा के प्रति सहानुभूतिपूर्ण दृश्य इस लोकप्रिय कार्य वीजा पर अपने सार्वजनिक विचारों के विपरीत दिखाई देता है. यहां तक कि उनके चुनाव के दिनों के दौरान उन्होंने इस पर सख्त समीक्षा करने की वकालत करते हुए कहा था कि यह अमेरिकी लोगों की नौकरियों को निगल रहा है. राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने एच -1 बी वीजा की समीक्षा के आदेश दिए थे.
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