Saturday, 21 September 2024  |   जनता जनार्दन को बुकमार्क बनाएं
आपका स्वागत [लॉग इन ] / [पंजीकरण]   
 

जीएसटी रिटर्न के नियमों में ढील, नई कर व्यवस्था पहली जुलाई से ही

जनता जनार्दन संवाददाता , Jun 19, 2017, 13:28 pm IST
Keywords: GST   टैक्स सिस्टम   जीएसटी न्यूज   जीएसटी   आयकर रिटर्न   Tax system   Income return   GST news   Arun Jaitly  
फ़ॉन्ट साइज :
जीएसटी रिटर्न के नियमों में ढील, नई कर व्यवस्था पहली जुलाई से ही नई दिल्ली: देश में 30 जून की आधी रात के बाद माल एवं सेवा कर जीएसटी की नई व्यवस्था लागू कर दी जाएगी लेकिन पहले दो महीने तक कर रिटर्न को दाखिल करने के नियमों में थोड़ी ढील देने का फैसला किया गया है ताकि व्यापारियों को नई प्रणाली को अपनाने में प्रारंभिक दिक्कतों से निबटने में सहूलियत हो सके।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी को लागू करने के कार्यक्रम को कुछ और समय टालने की उद्योग एवं व्यापार जगत की मांग को नामंजूर करते हुए कहा कि अब इसके लिए सरकार के पास गुंजाइश नहीं बची है। उन्होंने देश को भरोसा दिलाया कि जीएसटी के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का बुनियादी ढांचा पूरी तरह जांचा-परखा जा चुका है और जीएसटी के लिए सारी प्रणालियां तैयार हैं।

जीएसटी परिषद की यहां बैठक के बाद वित्त मंत्री ने कहा , कई कंपनियों तथा व्यापारियों ने तैयारी की कमी के मुद्दे को उठाया था। पर, हमारे पास जीएसटी का क्रियान्वन टालने की गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि जीएसटी को तीस जून की आधी रात को लागू कर दिया जाएगा। जीएसटी परिषद की आज हुई 17 वीं बैठक वातानुकूलित होटल परिचालकों को राहत देते हुए 7,500 रुपए तक के किराए वाले कमरों के बिल पर 18 प्रतित की दर से कर लगेगा और उससे अधिक के कक्ष के किरायों पर 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाने का फैसला किया गया है।

पहले 5000 रुपए से अधिक के एसी कमरों के बिल पर 28 फीसद की दर से कर लगाने का प्रावधान किया गया था। वित्त मंत्री ने बैठक के बाद ब्योरा देते हुए कहा कि 2,500-7,500 रुपए तक के एसी कमरों के बिल पर 18 फीसद की दर से जीएसटी लागू होगा।  परिषद ने लॉटरी पर कर की दो श्रेणी रखने का निर्णय किया है।

सरकारी लॉटरी पर 12 प्रतिशत तथा सरकारों से अधिकृत लॉटर पर 28 प्रतिशत कर लगेगा। संबंधित नियमों के अनुसार जुलाई के लिए संशोधित रिटर्न फाइलिंग के तहत बिक्री का ब्योरा 10 अगस्त के बजाए अब पांच सितंबर तक दाखिल कराया जा सकता है। कंपनियों को अगस्त के अपने बिक्री इनवायस जीएसटी नेटवर्क पर 10 सितंबर के बजाए 20 सितंबर तक जमा करना होगा।

जेटली ने कहा, किसी तरह की शिकायत या तैयारी में कमी को ध्यान में रखते हुए पहले दो महीने जुलाई अगस्त के रिटर्न को दाखिल करने के मामले में थोड़ी मोहलत दी गई है। इसका मतलब है कि जो लोग अभी तैयार नहीं है उन्हें ढाई महीने का मौका तैयारी के लिए मिल जाएगा। इसके बाद भी यदि कोई कहता है कि वह तैयार नहीं है तो वह यह उसका जोखिम है।

उन्होंने कहा कि इस अंतरिम अवधि में रिटर्न फाइल करने में देरी को लेकर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा, कारोबारियों को स्वत: घोषणा के आधार पर रिटर्न भरने होंगे। वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि परिषद ने जीएसटी पर एडवांस रलिंग अग्रिम व्यवस्था, अपील एवं पुनरीक्ष, आकलन, मुनाफाखोरी निरोधक व्यवस्था और कोष के निपटान से संबंधित छह तरह के नियमों को भी मंजूरी दी है।

सून्नों ने बताया कि जीएसटी के तहत पांच सदस्यों वाले मुनाफाखोरी निरोधक प्राधिकर का गठन किया जाएगा जो अंतत संबंधित मामलों को सुरक्षा निदेालय डीजीएस के पास आगे की जांच के लिए भेजेगा। जहां तक ई-वे विधेयक का प्रश्न है तो जीएसटी परिषद में इस पर सहमति नहीं बन पाई थी। राज्यों को फिलहाल एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने वाली वाििज्यक वस्तुओं के बारे में वर्तमान व्यवस्था को जारी रखने की छू दे दी गई है।

जेटली ने कहा, परिषद में दो तरह की राय थी। इस पर आगे और चर्चा की जाएगी। तबतक के लिए राज्यों को मौजूदा व्यवस्था जारी रखने की छूट होगी। इस बारे में जीएसटी परिषद की 30 जून को होने वाली बैठक में या उसके बाद फैसला हो सकता है। ई-वे बिल के मसौदे के अनुसार 50000 रुपए से ऊपर के किसी माल को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने के लिए जीएसटी नेटवर्क जीएसटीएन में पंजीकर कराना अनिवार्य होगा ताकि कर चोरी न हो।

सून्नों के अनुसार ई-वे के लिए बुनियादी सुविधा तैयार करने में कम से कम दो महीने लगेंगे। जेटली ने कहा कि मौजूदा उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट व्यवस्था के तहत पंजीकृत 80.91 लाख पंजीकृत करदाता इकाइयों में से 65.6 लाख यानी 81.1 फीसद इकाइयां जीएसटीएन पोर्टल में अपना पंजीकरण करा लिया है। पंजीकरण का काम 15 जून को बंद हो गया था। उसे 25 जून को फिर खोला जाएगा और यह सारा काम संतोषजनक ढंग से चल रहा है।
 
जेटली ने कहा, जीएसटीएन पर जाने के लिए कारोबारियों को हड़बड़ी करने की जररत नहीं है। उनकी अस्थाई पहचान संख्या वही होगी जो जीएसटीआईएन पहचान संख्या है। नए कारोबारियों के लिए भी जल्दबाजी नहीं है क्योंकि उन्हें जीएसटीएन के लिए 30 दिन का मौका मिलेगा। परिषद ने विशेष श्रेणी के राज्यों में अधिकतम 50 लाख रुपए तक के सालाना कारोबार करने वाली इकाइयों को कंपोजिन एकमुश्त शुल्क की आसान व्यवस्था में रखने का फैसला किया है लेकिन उत्तराखंड के लिए यह सीमा 75 लाख रुपए होगी।

जेटली ने कहा कि उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर को छोडक़र पूर्वाेत्तर राज्यों और हिमाचल प्रदे सहित अन्य पहाड़ी राज्यों में एकमुश्त कर योजना के लिए कारोबार की अधिकतम सीमा 50 लाख रुपए का फैसला किया गया है। जहाजरानी सेवा के पोतों पर जीएसटी आईजीएसटी पांच प्रतित होगा और इस पर इनपुट क्रेडिट दी जाएगी।

जिन राज्यों ने जीएसटी विधेयक पारित नहीं किया है, उनके बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने कहा, ऐसे तीन राज्य ही बचे हैं।तमिलनाडु विधानमंडल की बैठक कल होगी। पश्चिम बंगाल ने अध्यादेश पहले ही पारित कर दिया और उम्मीद है कि पंजाब और केरल इसे पारित कर देंगे। उसके बाद सिर्फ जम्मू कश्मीर बचता है। उसे छोड़ सभी राज्य अगले हफ्ते के अंत तक यह काम पूरा कर लेंगे।
अन्य कर लेख
वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल