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मोबाइल गेम्स से ठंडा पड़ा पतंग बाजार
जनता जनार्दन डेस्क ,
Mar 27, 2015, 17:17 pm IST
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![]() राजधानी की भारती यादव कहती हैं कि कुछ वर्षो पूर्व मार्च-अप्रैल के महीने में पहले आसमान पर रंग-बिरंगे पतंगें उड़ती हुई नजर आती थीं। शहर व ग्रामीण अंचल के मकानों की छतों और किसी ऊंचे स्थानों पर पतंग उड़ाते बच्चों की झुंड दिखाई देता था, लेकिन पिछले कुछ सालों से यह नजारा खत्म होने के कगार पर पहुंच गया है। गिनती के बच्चों ही पतंग उड़ाते दिखाई देते हैं। आधुनिक युग में कंप्यूटर व मोबाइल पर उपलब्ध कई तरह के आकर्षक गेम्स ने बच्चों में पतंग उड़ाने के प्रति दिलचस्पी को कम कर दिया है। यही वजह है कि आज कल के छोटे बच्चे पतंग उड़ाने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। मोबाइल व कंप्यूटर के बटनों पर हाथ चलाकर कई तरह के गेम्स से आनंद उठाकर समय काट रहे हैं। शिक्षाविद प्रमोद शर्मा के मुताबिक, कम्प्यूटर पर बच्चों का लगातार गेम खेलना सेहत के लिए नुकसानदायक है, बच्चों को ऑउटडोर गेम भी समय-समय पर खेलते रहना चाहिए। राजधानी के प्रमुख पतंग व्यावसायी अब्दुल सलाम रिजवी के मुताबिक, पतंग का व्यवसाय भी जब से विडिओ गेम और कंप्यूटर का चलन बढ़ा है तब से लगातार गिरता जा रहा है। अब बच्चे छुट्टियों में पतंग उड़ाने की बजाय कंप्यूटर पर ऊंगली ज्यादा फेरते हैं। बहरहाल, बाल मन है कि उसे जो अच्छा लगता है वह वही करता है..अब भले ही उससे किसी के व्यवसाय पर फर्क पड़ता हो तो पड़े, उससे बच्चों को क्या लेना-देना, पर मातापिता को यह जरूर ध्यान देना होगा कि कम्प्यूटर पर लगातार बैठे रहकर गेम खेलते रहने से उनके बच्चों की सेहत पर कोई बुरा असर न पड़े। |
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