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किताबें
कुलमणि बिस्वाल की हिंदी पुस्तक प्रेमार्धशतक का नई दिल्ली में लोकार्पण जनता जनार्दन संवाददाता ,  Jul 29, 2025
प्रसिद्ध कॉरपोरेट सलाहकार और कवि कुलमणि बिस्वाल की पुस्तक प्रेमार्धशतक के हिंदी संस्करण लोकार्पण किया गया। ....  समाचार पढ़ें
आईएएस आशुतोष अग्निहोत्री पुस्तक मैं बूँद स्वयं, खुद सागर हूँ का लोकार्पण जनता जनार्दन ,  Jun 21, 2025
अशुतोष अग्निहोत्री, आईएएस द्वारा लिखित पुस्तक "मैं बूँद स्वयं, खुद सागर हूँ" का लोकार्पण माननीय केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री द्वारा विधिवत् रूप से किया गया। यह अवसर साहित्य, सिविल सेवा, अकादमिक जगत और नीति-निर्माण के क्षेत्र ....  समाचार पढ़ें
कलिंगा लिटरेरी फेस्टिवल ने चौथे वार्षिक कलिंगा लिटरेरी फेस्टिवल पुस्तक पुरस्कारों के लिए लॉन्गलिस्ट में शामिल शीर्षकों की घोषणा की जनता जनार्दन संवाददाता ,  Jan 14, 2025
प्रशंसित लेखक अनंत विजय की 'ओवर द टॉप: ओटीटी का मा-यजाल', विमल चंद्र पांडे की 'दशमेध', गरिमा श्रीवास्तव की 'हिंदी नवजागरण: इतिहास, गल्प और स्त्री-प्रश्न', नीलेश मिश्रा की 'गांव से बीस पोस्टकार्ड', कबीर संजय की 'गोडावण: मोरे अंगना की बेटा' चिरैया', यतीश कुमार की 'बोरसी भर आँच ....  समाचार पढ़ें
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले का उद्घाटन जनता जनार्दन संवाददाता ,  Feb 10, 2024
नई दिल्ली: प्रगति मैदान में आयोजित होने वाले नौ दिवसीय नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले का शुभारंभ 10 फरवरी को सुबह 11 बजे माननीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा किया जाएगा। यह जानकारी गुरुवार को कंस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित प्रेस वार्ता में नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया के निदेशक श्री युवराज मलिक ने दी। उन्होंने विश्व पुस्तक मेले की संपूर्ण जानकारी देते हुए कहा, ''विश्व का सबसे बड़ा पुस्तक मेला केवल एक आयोजन नहीं है, यह एक उत्सव है, जिसमें पाठकों ....  समाचार पढ़ें
निर्मल वर्मा-गगन गिल की किताबें 18 साल बाद लौटीं राजकमल जनता जनार्दन संवाददाता ,  Jan 15, 2024
आधुनिक हिंदी के प्रमुख हस्ताक्षरों में निर्मल वर्मा की अपनी ख़ास महत्ता और लोकप्रियता रही है।वे अपने समय में जितने विशिष्ट रहे, आज युवा पीढ़ी के बीच उतने ही प्रिय हैं। उनकी सभी किताबें राजकमल से2005 तक प्रकाशित होती रहीं। उसके बाद 18 साल की अवधि अलगाव की रही। अब 2024 में फ़रवरी से अप्रैल के दरम्यान उनकी कुल 43 किताबें फिर से राजकमल से नई साज-सज्जा में प्रकाशित होंगी। साथ ही 3 अप्रैल को निर्मल जी के 95वें जन्मदिवस के अवसर पर उनकी अब तक अप्रकाशित-असंकलित कहानियों का एक नवीनतम संग्रह नई दिल्ली में लोकार्पित होगा। इस तरह कुल 44 किताबों के साथ निर्मल जी पुन: राजकमल के लेखक हैं। राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने सोमवार को जारी आधिकारिक बयान में इसे एक नई शुरुआत बताया। इस अवसर पर, निर्मल वर्मा की कृतियों की स्वत्त्वाधिकारी और हिंदी की प्रतिष्ठित कवि-लेखक गगन गिल ने कहा, "निर्मल जी और मेरी, हम दोनों की सभी किताबें अब राजकमल प्रकाशन में लौट रही हैं। यह क्षण घर लौटने जैसा है। हमारा सबसे पहला प्रकाशक तो राजकमल ही है। निर्मल जी ओंप्रकाश जी के समय से राजकमल से जुड़े हुए थे, सन् 1956-57 से, मैं श्रीमती शीला सन्धू के समय से, 1987-88 से। राजकमल के साथ शुरू से ही एक सुचारु सामंजस्य था। अशोक जी के आने के बाद उनके साथ भी मैंने अनेक किताबें तैयार कीं निर्मल जी की, मेरी, हमारे मित्रों की। फिर 2005 में दुर्भाग्यवश हमारा मनमुटाव हुआ और रास्ते अलग हो गए। "इन 18 सालों में मुझे कई लोगों के साथ काम करने का मौक़ा मिला मगर जैसा ताल-मेल शुरू से ही राजकमल और अशोक जी के साथ रहा, वह अतुलनीय है। आज उम्र के जिस पड़ाव पर मैं हूँ, बहुत सारी चीजें समेटनी हैं, बहुत सारा काम एक समय-सीमा के अन्दर करना है। अशोक जी के साथ मिलकर वह सब ठीक से समेटा जाएगा, ऐसा मेरा विश्वास है। "हमें एकसाथ वापस आने में 18 साल लगे मगर इस सारे अंतराल में हमारा पारिवारिक स्नेह बना रहा। अगर अशोक जी इतने खुले मन से हमें बार-बार नहीं बुला रहे होते तो शायद यह वापसी नहीं हो पाती। इस वापसी का सारा श्रेय अशोक जी को है। "निर्मल जी को शुरू से ही हर पीढ़ी के पाठकों ने बहुत प्यार किया है। आज नई पीढ़ी, विशेषकर अंग्रेज़ीदाँ पीढ़ी, उनके साहित्य में नये सिरे से अपने आत्म-बिंब पा रही है, खोज रही है। मुझे पूरी उम्मीद है जिस कल्पनाशील प्रस्तुति के साथ उनकी चीजें नयी पीढ़ी तक पहुँचनी चाहिएँ, राजकमल उसमें अपनी भूमिका बख़ूब निभाएगा। "18 साल बाद इस वापस लौटने के निर्णय में शायद मेरे बौद्ध हो जाने की भी अहम भूमिका है। 'निपट अकेले ही जाना था यदि मुझको, क्या मिला इतने मित्र-शत्रु बनाकर'; नालंदा के आचार्य शांतिदेव ने कहा था। आज यही मेरा सच है। किसी दैवी आशीर्वाद से मेरा मन इतना उजला और शान्त है कि मैं निश्चिंत हो पा रही हूँ। जिस भरोसे से मैं यह ज़िम्मेदारी राजकमल और अशोक जी को सौंप रही हूँ, मुझे मालूम है, वे उसे अच्छी तरह निभायेंगे। आज भी, आगे भी।” अशोक महेश्वरी ने कहा, "इन अठारह वर्षों में शायद ही कोई ऐसा दिन रहा होगा, जब मुझे निर्मल जी की याद न आई हो। मुझे उनका स्नेह और विश्वास बहुत मिला है। वह मैं कभी भुला नहीं सका। अठारह वर्ष पहले जिन परिस्थितियों में निर्मल जी की किताबें अन्यत्र छपने गयीं, वह मेरे लिए दुखद और राजकमल प्रकाशन के लिए अप्रिय प्रसंग बना रहा। तब गगन जी की मन:स्थिति को, उनकी बातों को समझने में मेरी तरफ से चूक हुई और अलगाव की यह घटना राजकमल के इतिहास का एक घाव बन गई, जिसे भरने में अठारह साल लगे। मुझे कुछ अधिक संवेदनशील और धैर्यवान होना था। अपने को सही साबित करने का उत्साह किसी के मन को चोटिल कर सकता है, ऐसा समझने में उम्र निकल जाती है। कई बार हम अपनी गलतियों से सीखते हैं, कई बार समय हमें किसी बड़े उद्देश्य के लिए कठिन पाठ भी पढ़ाता है। खैर, मुझे निजी तौर पर, और सांस्थानिक रूप से भी अब बहुत संतोष है कि निर्मल जी और गगन जी की सभी किताबें अपने मूल प्रकाशन में वापस लौट आई हैं।” उन्होंने कहा, "गगन केवल निर्मल जी की जीवनसंगिनी या राजकमल की लेखक की तरह नहीं थीं। वे पारिवारिक मित्र रहीं। राजकमल की शुभचिंतक रहीं। हमने निर्मल जी की, उनकी और कई और लेखकों की भी किताबों को सुंदर बनाने-सँवारने का काम पहले एकसाथ किया है। बच्चों की उनके साथ सुंदर यादें जुड़ी हुई थीं। मुझे लगता रहा, निर्मल जी और गगन जी को राजकमल से जुड़े रहना चाहिए। एक और बात का जिक्र करना चाहूँगा। निर्मल जी की किताबों के राजकमल से चले जाने के दशक बीत जाने के बावजूद, दूरदराज से बहुत सारे पुस्तक-प्रेमी उनकी किताबों की माँग राजकमल से ही करते रहे। यह दुर्लभ स्थिति है। दिल छू लेने वाली बात है कि साहित्य के सीमान्त पर बसा पाठकों का ऐसा मासूम तबका अभी भी है जो किसी लेखक और प्रकाशक को इस हद तक अभिन्न माने। इन स्थितियों में हमारा भी यह दायित्व बनता था कि हम पुनः अपने प्रिय लेखक की किताबें उन पाठकों के लिए लेकर आएँ। उन सभी पाठकों और पुस्तकप्रेमियों के प्रति हमारे मन में बहुत आदर है जो हमसे लगातार निर्मल जी की किताबों के बारे में पूछते रहे।” राजकमल प्रकाशन के सीईओ आमोद महेश्वरी ने बताया कि इस साल नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में निर्मल वर्मा जी की 6 किताबों और गगन गिल जी की 2 किताबों का पहला सेट युवा पाठकों को ध्यान में रखते हुए आकर्षक साज-सज्जा में उपलब्ध हो रहा है। मार्च में निर्मल जी की 12 किताबों और गगन जी की 3 किताबों का दूसरा सेट जारी होगा। अप्रैल तक दोनों की सभी किताबें बाज़ार में उपलब्ध हो जाएंगी। सबके ई-बुक भी आएँगे। यह हमारे लिए दोहरी ख़ुशी है कि दो महत्वपूर्ण लेखकों की सभी कृतियाँ अपने पहले प्रकाशक के पास लौटी हैं। इसके लिए हम गगन जी के आभारी हैं। उन तमाम पाठकों-पुस्तकप्रेमियों और शुभचिंतकों का भी धन्यवाद जिनकी सद्भावनाओं से यह ऐतिहासिक कार्य सम्पन्न हुआ। ....  समाचार पढ़ें
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल हरिचंदन की आत्मकथा का नई दिल्ली में विमोचन जनता जनार्दन संवाददाता ,  Jul 16, 2023
श्री हरिचंदन ने कहा कि इस आत्मकथा में उन्होंने अपने जीवन के संघर्षों और उनसे मिली सीख को साझा किया है। उन्होंने कहा कि मेरे रिश्तेदारों और शुभचिंतकों की प्रेरणा से यह पुस्तक इस रूप में सामने आई है। उन्होंने कहा कि वह अपने पिता स्वर्गीय श्री परशुराम हरिचंदन की देशभक्ति से प्रेरित थे • उन्होंने अन्याय के खिलाफ लड़ना सिखाया। राज्यपाल ने ....  समाचार पढ़ें
गजपति: राज्य विहीन राजा पुस्तक का विमोचन जनता जनार्दन संवाददाता ,  Sep 21, 2022
भगवान जगन्नाथ के प्रथम सेवक (आद्य सेवक) गजपति को अपने लिए किसी राज्य की आवश्यकता नहीं है।' यह कहना है प्रसिद्ध विद्वान डॉ कर्ण सिंह का। दिल्ली में अंग्रेजी में लिखित 'गजपति: किंग विदाउट किंगडम' पुस्तक के लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ सिंह ने कहा कि ब्रह्मांड नियंता ईश्वर श्री जगन्नाथ के करीबी सहयोगी के रूप में, पूरा ब्रह्मांड उनके आध्यात्मिक शा ....  समाचार पढ़ें
किताब 'द केस अगेंस्ट आईएमए' आईएमए के लिए चुनौती, डॉक्टरों को मेरे सवालों का जवाब देना होगा: विश्वरूप रॉय चौधरी जनता जनार्दन संवाददाता ,  Nov 30, 2021
अन्य चिकित्सा प्रणालियों का अभ्यास करके रोगियों का इलाज करने वालों के लिए तिरस्कार दिखाने के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) पर तीखा हमला करते हुए, डॉ विश्वरूप रॉय ....  समाचार पढ़ें
आंचलिक पत्रकार पत्रिका की छांव में.. गौरव अवस्थी ,  Sep 21, 2021
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के समकालीन पंडित माधव राव सप्रे की स्मृति में देश के प्रखर पत्रकार और मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में लंबे समय तक पत्रकारिता करने वाले पद्मश्री विजय दत्त श्रीधर जी ने 40 वर्ष पहले भोपाल में सप्रे संग्रहालय की स्थापना के साथ पत्रकारिता और पत्रकारों की दशा-दिशा सुधारने के लिए ....  समाचार पढ़ें
पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की जीवनी में पीएम मोदी के कामकाज पर गंभीर सवाल जनता जनार्दन संवाददाता ,  Jan 28, 2021
प्रधानमंत्री ये भूल गए की कोई भी भारतीय विदेशों में या किसी भी बड़े पद पर बैठता है तो वो राष्ट्र की नीति से काम करता है ना कि अपनR निजी मान्यताओं के मुताबिक. हांलाकि शाम को बालयोगी ऑडिटोरियम में आयोजित मेरे विदाई कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मेरे कार्यकाल के दौरान मिली सीख से जनता के प्रति नीतियों में फायदा होगा. मगर मीडिया ने इस भाषण को तवज्जो नहीं दिया. ....  समाचार पढ़ें
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