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बुरे वक्त में कौन है सच्चा साथी? जानें
जनता जनार्दन संवाददाता , Apr 03, 2021
चाणक्य अर्थशास्त्र के भी ममर्ज्ञ थे. जीवन में धन की क्या उपयोगिता होती है इस बात को चाणक्य अच्छी तरह से जानते थे. चाणक्य के अनुसार धन एक साधन है, जिससे जीवन को आसान बनाया जाता है. भौतिक जीवन में धन का विशेष महत्व होता है. धन से जीवन की भौतिक जरूरतों को पूर्ण करने में आसानी होती है. इसलिए धन का प्रयोग सोच समझ कर करना चाहिए. ....
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शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए करें हनुमान जी की साधना
जनता जनार्दन संवाददाता , Mar 29, 2021
राम दूत भगवान हनुमान से शनि का संबंध जानने के लिए आपको पौराणिक कथा को जानना आवश्यक है. माता सीता की खोज में हनुमानजी लंका में घर-घर घूम कर पता लगा रहे थे कि आखिर किस घर में माता सीता को रावण ने कैद कर रखा है. हनुमान माता सीता को ....
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सफलता की कुंजी: इन आदतों का जितनी जल्दी हो सके त्याग करें दें
जनता जनार्दन संवाददाता , Mar 23, 2021
सहकारिता के भाव से किया गया कार्य सदैव सफल होता है. ये तभी संभव है जब सभी का पूर्ण सहयोग लेकर कार्य किया जाए. करियर के क्षेत्र में यदि सफलता प्राप्त करनी है तो सभी का सहयोग लेने का प्रयास करना चाहिए. बड़ी सफलता समूह पर ही निर्भर करती है. इसलिए अपने सभी सहयोगियों का पूर्ण सहयोग प्राप्त करना चाहिए. ....
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वाणी में मधुरता और स्वभाव में विनम्रता व्यक्ति को बनाती है सफल
जनता जनार्दन संवाददाता , Mar 18, 2021
चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति की सफलता में उसकी वाणी यानि बोली और स्वभाव का बहुत बड़ा योगदान होता है. कई बार व्यक्ति योग्य और प्रतिभाशाली होने के बाद भी वह सफलता और सम्मान प्राप्त नहीं कर पाता है, जो उसे प्राप्त होना चाहिए. इसके पीछे व्यक्ति का स्वभाव और वाणी की बहुत अहम भूमिका होती है. ....
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इस दिन लगेगा खरमास, जानें इस दौरान क्या करें
जनता जनार्दन संवाददाता , Mar 06, 2021
हिन्दू पंचांग के अनुसार सूर्यदेव जब बृहस्पति की राशि धनु या मीन राशि में गोचर करते हैं तो इस अवधि को ही खरमास या मलमास कह ....
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26 मई को लगने जा रहा है साल का पहला चंद्र ग्रहण, जानें सूतक काल
जनता जनार्दन संवाददाता , Feb 18, 2021
ज्योतिष शास्त्र में चंद्र ग्रहण को शुभ नहीं माना गया है. इसे एक अशुभ खगोलिय घटना के तौर पर देखा जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार ग्रहण के समय चंद्रमा पीड़ित हो जाता है. ग्रहण के दौरान चंद्रमा पर तेज आंधी चलती है, जिस कारण नकारात्मक ....
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वसंत पंचमी का त्यौहार, ऐसे हुआ मां सरस्वती का अवतार
जनता जनार्दन संवाददाता , Feb 14, 2021
हर साल की तरह इस साल भी वसंत पंचमी के आगमन को लेकर लोगों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है. देशभर में 16 फरवरी को वसंत पंचमी मनाई जाएगी. इसी दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना भी की जाएगी. कहा जाता है कि मां सरस्वती की पूजा करने से ज्ञान का विस्तार होता है. मान्यता है कि माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मां सरस्वती ब्रह्माजी के ....
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घर पर ही रह कर मनाएं, अघोराचार्य महाराज श्री सिद्धार्थ गौतम राम जी का अभिषेक दिवस
जनता जनार्दन संवाददाता , Feb 09, 2021
वर्षो से हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 10 फरवरी 2021 को परम् पूज्य ब्रम्हलीन श्री राजेश्वर राम जी (बुढ़ऊ बाबा) का महानिर्वाण दिवस एवं परम् पूज्य पीठाधीश्वर अघोराचार्य महाराज श्री सिद्धार्थ गौतम राम जी का अभिषेक दिवस एवं संस्थान का स्थापना दिवस मनाया जाता है। इस 10 फरवरी 2021 को परम् पूज्य ब्रम्हलीन श्री राजेश्वर राम जी (बुढ़ऊ बाबा) का ....
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16 फरवरी को मनाई जाएगी वसंत पंचमी, बन रहे हैं विशेष योग
जनता जनार्दन संवाददाता , Jan 31, 2021
पंचांग के अनुसार वर्ष 2021 में बसंत पंचमी का पर्व 16 फरवरी को मनाया जाएगा. इस दिन रेवती नक्षत्र रहेगा और चंद्रमा मीन राशि में मौजूद रहेगा. बसंत पंचमी के दिन शुभ योग बना रहेगा. इस कारण इस दिन सरस्वती जी की पूजा का विशेष लाभ जीवन में प्राप्त होगा. मां सरस्वती जी को ज्ञान की देवी कहा गया है. ज्ञान सभी प्रकार के अंधकार को दूर करता है. मान्यता है ....
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आय से अधिक व्यय करने वालों से लक्ष्मी जी हो जाती हैं नाराज
जनता जनार्दन संवाददाता , Jan 31, 2021
चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि धन के मामले में व्यक्ति को बहुत ही गंभीर रहना चाहिए. धन के महत्व को जो नहीं पहचानते हैं वे समय आने पर कष्ट उठाते हैं. विद्वानों का भी मत है कि पूंजी की रक्षा करनी चाहिए. पूंजी का व्यय सोच समझ कर रही करना चाहिए. जीवन को सरल और सुगम बनाने वाले साधनों का प्रयोग सावधानी पूर्वक करना चाहिए. पूंजी यानि धन भी इनमें से एक प्रमुख चीज है. ....
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अपने घर पर ही रहकर मनायें गुरू पूर्णिमा का पर्व: सिद्धार्थ गौतम राम जी
जनता जनार्दन संवाददाता , Jun 14, 2020
अपने घर पर ही रहकर मनायें गुरू पूर्णिमा का पर्व: सिद्धार्थ गौतम राम जी वाराणसी: देश भले ही अनलॉक हो गया है। लेकिन इस वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का खतरा बना हुआ है । ऐसी स्थिति मे अपने भक्तों को संक्रमण से दूर रखने के लिए विश्व विख्यात अघोरपीठ औघोराचार्य बाबा कीनाराम अघोर शोध एवं सेवा संस्थान क्रीकुण्ड शिवाला के पीठाधीश्वर अघोराचार्य बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी ने कहा कि आप सभी से विनम्र निवेदन है कि कोरोना वैश्विक महामारी कोविड19 के प्रकोप के कारण सम्पूर्ण मानव जाति के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो गया है। ....
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स्वामी सहजानन्द सरस्वती: जिनके जीवन गाथा में निहित है जगत सन्देश
गोपाल जी राय , Feb 21, 2019
ह ठीक है कि उनके जीते जी जमींदारी प्रथा का अंत नहीं हो सका। लेकिन यह उनके द्वारा ही प्रज्ज्वलित की गई ज्योति की लौ ही है जो आज भी बुझी नहीं है, और चौराहे पर खड़े किसान आंदोलन को मूक अभिप्रेरित कर रही है। यूं तो आजादी मिलने के साथ हीं जमींदारी प्रथा को कानून बनाकर खत्म कर दिया गया। लेकिन आज यदि स्वामीजी होते तो फिर लट्ठ उठाकर देसी हुक्मरानों के खिलाफ भी संघर्ष का ऐलान कर देते। दुर्भाग्यवश, किसान सभा भी है और उनके नाम पर अनेक संघ और संगठन भी सक्रिय हैं, लेकिन स्वामीजी जैसा निर्भीक नेता दूर-दूर तक नहीं दिखता। किसी सियासी मृगमरीचिका में भी नहीं। ....
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जब करपात्री जी मिले अघोरेश्वर अवधूत भगवान राम से
अमिय पाण्डेय , Nov 19, 2018
बात करीब 1957 की है, बाबा जशपुर पैलेस मे थे,उन दिनो राजा साहब के गुरू स्वामी करपात्री जी भी महल मे ही प्रवास कर रहे थे, दरअसल राजा विजयभूषण जू देव का प्रथम दर्शन बाबा से अष्टभुजी( विँध्याचल) मे हुआ था,वहाँ पर किसी ने किशोर अवधूत की महिमा के बारे मे राजपरिवार को बताया थाl, फिलहाल इस घटना के पहले बाबा २-३ बार जशपुर पैलेस राजासाहब के अनुनय विनय पर जा चुके थे ....
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मैलानी आश्रम अघोरियों के लिए शक्ति प्रतिष्ठित
नीरज वर्मा , Nov 15, 2018
ये सब बहुत कुछ आपकी आंतरिक पवित्रता व अध्यात्मिक सामर्थ्य पर निर्भर है । ये स्थान आने वाले दिनों में क्रमशः एक महान शक्तिपीठ के रूप में स्थापित होने की संभावनाओं को दरकिनार नहीं करता है । और न ही आम जनमानस की लौकिक और आध्यात्मिक जगत की पारलौकिक लालसाओं की पूर्ति से इनकार करेगा । ....
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रावण को शत शत नमन
अमित मौर्या , Oct 18, 2018
रावण उत्तम कुल का था. वह वह पुलत्स्कर का नाती और विशेश्रवा का बेटा था. पुलत्स्कर ने विश्व संस्कृत को प्रथम रंगमंच दिया था और ग्रीक नाट्य साहित्य में उसका उल्लेख "पुलित्ज़र" के नाम से मिलता है. रावण ने अपनी बहन के आन के लिए अपना सबकुछ लुटा दिया और सीता को कभी भी अपने हरम में ले जाने के लिए कभी जबरजस्ती नही की वह ज्योतिष का प्रकांड विद्वान् था. उसकी लिखित "रावण संहिता" ज्योतिष विज्ञान की महान कृति है. रावण ने नृत्य और योग के मानक प्रस्तुत किये. प्रायः जो विद्वान् और पढ़े लिखे होते हैं वह कायर होते हैं और निर्णायक मौकों पर आर -पार की लड़ाई या युद्ध से बचते हैं पर रावण विद्वत्ता और साहस का अद्भुत संयोग था. वह महान विद्वान् और प्रतापी योद्धा था. वह रक्षसः आन्दोलन का प्रणेता था. इसीलिए उसे राक्षस कहा गया. हुआ यह कि उस समय इंद्र का राज्य था उसे लोग इंद्र इस लिए कहते थे क्यों कि वह इन्द्रीय हरकतें यानी कि वासना में लिप्त था . इंद्र एक आदिवासी /बनवासी ....
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आज सभी धर्म बांझ हो चुके हैं, अब इन की सांस्कृतिक कोख से राम कृष्ण बुद्ध नहीं पैदा होंगे
अमित मौर्य , Jul 31, 2018
धर्म सत्ता स्थापित करने का गैर राजनीति उपकरण जब -जब और जहां-जहां बना संस्कृत विकृति हो ही गयी ...संस्कृति छद्म और पाखण्ड से परे एक सात्विक परम्परा होती है ...वैदिक युग के बाद त्रेता में राम के नेतृत्व में धर्म और राजनीति का घाल मेल हुआ परिणाम सामने आया ...जर (आधिपत्य ), जोरू (पत्नी ) और जमीन के विवादों का वहिरुत्पाद "आध्यात्म " कहा जाने लगा ... ....
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मानस मीमांसाः बाल्मीकि रामायण व रामचरित मानस में मूल अन्तर
दिनेश्वर मिश्र , Sep 16, 2017
बाल्मीकिजी राम के समकालीन थे। उन्हें कहीं- कहीं दशरथ के मंत्रियों के समूह में सम्मिलित होना भी बताया गया है। अतः वे सर्वश्रेष्ठ राजा के रूप में राम को सर्व सद्गुण-संपन्नता के साथ अधिष्ठापित करते हैं। किन्तु गोस्वामीजी का मुख्य उद्देश्य राम की ईश्वरता की ओर श्रोता का ध्यान आकृष्ट करना रहा है। बाल्मीकि के राम अनुकरणीयता की दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ हैं । ....
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मानस मीमांसाः तुलसीदास के राम ब्यक्ति नहीं ब्रह्म, पूज्य व आराध्य, ऐतिहासिक दृष्टि
दिनेश्वर मिश्र , Sep 15, 2017
दक्षिण तो दक्षिण, उत्तर में भी राम निर्विवाद नहीं हैं । यहाँ भी उन्हें एक ओर वर्ण-ब्यवस्था के आधार पर आलोचना का विषय बनाया जा रहा है। राम शुद्र बिरोधी और ब्राह्मणवादी हैं. कोई आश्चर्य नहीं होगा कि कुछ दिनों के बाद ब्राह्मणों को क्षत्रिय राम से विरत रहने की प्रेरणा दी जाय। श्रीराम को ब्राह्मण द्वेषी सिद्ध किया जाय ,क्योंकि उन्होंने महा विद्वान रावण का बध किया था। तब राम किसके पूज्य व आराध्य रह जायेंगे?यह सब ऐतिहासिक दृष्टि की देन है। ....
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मानस मीमांसाः श्री राम और श्री कृष्ण लीला उतनी सत्य जितना यह जगत
दिनेश्वर मिश्र , Sep 14, 2017
महाभारत के मुख्य नायक पांडव हैं और प्रतिद्वंद्वी उनके ही बन्धु कौरव हैं। दोनों राज्य के लिए संघर्ष करते हुए, करोड़ों ब्यक्तियों को कट जाने देते हैं। रामचरितमानस में बन्धुत्व के आदर्श राम और भरत हैं, जो एक दूसरे के लिए राज्य का परित्याग करने में संतोष का अनुभव करते हैं। स्वभावतः संघर्ष -प्रिय मानव मन, कौरवों-पांडवों के चरित्र को अपना आदर्श मान लेता है। ....
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मानस मीमांसाः निज अनुभव अब कहौं खगेसा, बिनु हरि भजन न जाहिं कलेसा
दिनेश्वर मिश्र , Sep 12, 2017
भक्ति में भगवान के दर्शन भी हो सकते हैं--यह भक्ति की विशेषता है, जबकि ज्ञान की परानिष्ठा होने पर भी भगवान के दर्शन नहीं होते। रामायण में भी भक्ति को मणि की तरह बताया है किन्तु ज्ञान को तो दीपक की तरह बताया है। दीपक को तो जलाने में घी, बत्ती आदि की जरूरत होती है और हवा लगने से वह बुझ भी जाता है, पर मणि को न तो घी, बत्ती की जरूरत है और न ही वह हवा से बुझती ही है ....
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